Smile you’re in New India, there’s no place for Charlie Chaplin here वैसे दुखों से भरे जीवन में मुस्कुराहट बड़ी अनमोल चीज हो गई है, ऐसा विद्वान कहते हैं। ये और बात है कि इस मुस्कुराहट से रोज की दाल-रोटी नहीं कमाई जा सकती, न शिक्षा हासिल हो सकती है, न बीमार आदमी मुस्कुरा कर अपने इलाज के पैसे कम …
Read More »स्तंभ
तो द कश्मीर फाइल्स की सरकारी मार्केटिंग हिटलर से प्रेरित है!
So the government marketing of Kashmir Files is inspired by Hitler! धर्मनिरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव की बात करने वालों को अपमानित कर रही है द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files humiliating those who talk of secularism, sarvadharma sambhav) देश बदल चुका है! (The country has changed!) देश बदल नहीं रहा है बल्कि बहुत कुछ बदल चुका है! एक वह समय था …
Read More »खतरनाक विचार शिक्षा के भगवाकरण का
Dangerous idea of saffronisation of education देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today) शिक्षा के भगवाकरण पर संपादकीय | Editorial in Hindi on saffronisation of education देश के शिक्षण संस्थानों में धर्म का दखल (The interference of religion in the educational institutions of the country) हमेशा ही विवाद का विषय रहा है और कर्नाटक के ताजा हिजाब विवाद के …
Read More »कश्मीर फाइल एक्सपोज्ड : द कश्मीर फाइल्स ट्रू फाइल क्यों नहीं है?
कश्मीर फाइल एक्सपोज्ड Kashmir File exposed कश्मीर फाइल, जनसंहार और फिल्म मीडियम Kashmir File, Massacre and Film Medium बुनियादी तौर पर प्रोपेगंडा फिल्म है। द कश्मीर फाइल्स ट्रू फाइल क्यों नहीं है? कश्मीरी मुसलमानों ने आतंकवादियों से कैसे लोहा लिया? कैसे मुसलमानों ने आतंकवादियों को घरों में घुसने से रोका? जस्टिस बीएम ताकुंडे की रिपोर्ट में क्या कहा गया? कश्मीर …
Read More »देश का भूगोल बहुत छोटा हो गया है क्योंकि आपको विकास चाहिये
The geography of the country has become very small because you want development. वरिष्ठ पत्रकार और हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार पलाश विश्वास की यह टिप्पणी (This comment of Palash Vishwas) आज से पाँच वर्ष पूर्व 17 मार्च 2017 को लिखी गई थी। आज पाँच वर्ष बाद जब पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम (Results of assembly elections of five …
Read More »बोलियों का साहित्य कहाँ गायब हो गया?
Where did the literature of dialects disappear? बांग्ला में दो तरह की भाषा प्रचलित रही है। बंकिम चंद्र की तत्सम संस्कृतमुखी बांग्ला (Bankim Chandra’s Tatsam Sanskritmukhi Bangla) और जनभाषा, जो लोग बोलते हैं। बांग्लादेश का समूचा साहित्य लोक संस्कृति में रचे बसे जनपदों की बोलियां हैं। जैसे हम हिंदी के संत साहित्य में पाते हैं। बृज भाषा, अवधी, मैथिली, बुंदेलखंडी …
Read More »पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे : क्या होगी बहुवाद और प्रजातंत्र की दशा और दिशा
Results of assembly elections of five states: what will be the condition and direction of pluralism and democracy पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा (Review of results of assembly elections of five states) करते हुए आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ राम पुनियानी (Former IIT Professor Dr Ram Puniyani) इस आलेख में चर्चा कर रहे हैं कि वर्ष …
Read More »क्या किसान आंदोलन ने भाजपा की मदद की ?
क्या जन आंदोलनों का नेतृत्व राजनीतिक सवालों से उदासीन रह सकता है ? Arun Maheshwari on UP election and Kishan Aandolan (यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव से उठने वाले प्रश्न | Questions arising from the elections of five states including UP) तमाम दलीलों को सुन कर बहुत सोचने के बावजूद पंजाब और यूपी के चुनाव परिणाम और उनमें किसान …
Read More »क्या इन नतीजों से विपक्ष और बंटकर मोदी की राह आसान करेगा?
Will these results further divide the opposition and make it easier for Modi? अप्रत्याशित न सही, हैरान करने वाली जरूर है भाजपा की जीत! यह अप्रत्याशित भले नहीं हो, कुछ हैरान करने वाला जरूर है। विधानसभा चुनाव के मौजूदा चक्र में प्रभावशाली कामयाबी और उसमें भी खासतौर पर उत्तर प्रदेश में जोरदार कामयाबी के मौके पर भाजपा मुख्यालय में हुई …
Read More »विधानसभा चुनाव 2022 : बहस से गायब नई शिक्षा नीति
उप्र चुनाव : अब भाजपा का माफी-आसन
UP Election: Now BJP’s apology-posture उत्तर प्रदेश में भाजपा की दुर्दशा की कहानी पूर्वी उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले के अंतर्गत, रॉबर्ट्सगंज विधानसभाई क्षेत्र की भाजपा की एक अनोखी जनसभा का वायरल हुआ वीडियो, चंद सैकेंडों में जिस तरह से उत्तर प्रदेश के इस विधानसभाई चुनाव की और उसमें भी सब से बढ़कर सत्ताधारी भाजपा की दुर्दशा की कहानी (The …
Read More »सर्जनात्मकता और मित्रता
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार के जन्मदिन के बहाने (birthday of senior journalist Kuldeep Kumar) Role of All India Radio i.e. All India Radio in the preservation and promotion of our music Information about the role of All India Radio in the promotion and promotion of music कल कुलदीप कुमार का जन्मदिन था। मुझे अफसोस है मथुरा रहने के कारण उससे …
Read More »क्या यूक्रेन में वियतनाम युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं?
Russia reiterates mistake of sending Soviet troops to Afghanistan जैसी आशंका थी, युद्ध जल्दी खत्म नहीं हो रहा। रूस ने अफगानिस्तान में सोवियत सेना भेजने की गलती दोहराई है। यूक्रेन हमेशा आजादी की लड़ाई लड़ता रहा है। सोवियत संघ में वह था, लेकिन रूसी वर्चस्व को उसने जार के साम्राज्य में भी बर्दाश्त नहीं किया। बहरहाल रूस एक patrotic महायुद्ध …
Read More »साम्राज्यवादी लूट रहेगी तो युद्ध रहेंगे : बुजदिल और गुलाम दिमाग की देशभक्ति
रूस-यूक्रेन युद्ध पर विशेष लेख (रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है. आम शिकायत है कि युद्ध के बारे में अमेरिका (America about the war) अपना एकतरफा नैरेटिव चला रहा है. भारत में भी युद्ध के पहले दिन से सरकार और नागरिक समाज के कहीं परस्पर पूरक और कहीं अंतर्विरोधी लघु-नैरेटिव मीडिया और सोशल मीडिया में …
Read More »लेनिन की धरती पर हिटलर के पुनर्जन्म का संकेत !
पुतिन के रुख़ को देखते हुए यूक्रेन पर उसके हमले के मामले में ‘तटस्थता’ की कोई भूमिका अब नहीं बची है यूक्रेन की जनता की बहादुरी से पुतिन कोई सबक लेने को तैयार नहीं फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से लंबी बातचीत में व्लादिमीर पुतिन यह साफ़ संकेत दे दिया है कि वह यूक्रेन पर अपने हमले को जल्द ख़त्म करने …
Read More »फ़्रांसिस फ़ुकुयामा के परिप्रेक्ष्य में ‘इतिहास का अंत’
‘End of history’ from Francis Fukuyama’s perspective यह भविष्यवादी चिंतकों का युग है। ये ऐसे विचारक हैं जो कभी भी कुछ भी कह सकते हैं। कभी भी अपनी धारणाओं को बगैर कोई कारण बताए बदल सकते हैं। किसी भी अवधारणा को मनमाने ढ़ंग अर्थ दे सकते हैं। समय, देष-काल, स्थान, उत्पादक शक्तियां, शोषक वर्ग, प्रतिरोध, समग्रता, ऐतिहासिकता आदि का इनके …
Read More »रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे नए सवाल : यूक्रेन में हाहाकार कहां है मोदी सरकार?
रूस-यूक्रेन युद्ध : New questions arising from the Russo-Ukraine war रूस-यूक्रेन युद्ध बहुत ही खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। यह सामान्य युद्ध नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध को सामान्य युद्ध की तरह नहीं लिया जाना चाहिए। रूस-यूक्रेन संकट में भारत सरकार की विदेश नीति (Foreign Policy of Government of India in Russia-Ukraine Crisis) काम ही नहीं कर रही। भारत पूरे …
Read More »रूस-यूक्रेन युद्ध : क्यों कारगर नहीं होते नागरिक प्रतिरोध?
Russo-Ukraine War: Why Civil Resistance Doesn’t Work? क्या यूरोप युद्ध की चपेट में आ गया है? | Is Europe in the grip of war? 24 फरवरी 2022 को रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ विभिन्न देशों की सरकारों, संयुक्त राष्ट्र समेत सभी वैश्विक संस्थाओं, दूतावासों, मीडिया, विषय-विशेषज्ञों आदि की सक्रियता रूस-यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित हो गई है। दूसरे महायुद्ध …
Read More »द्वितीय विश्व युद्ध : भारत में एक भी बम नहीं गिरा, लेकिन लाखों लोग मारे गए
World War II: Not a single bomb dropped in India, but millions of people died द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में एक भी बम विस्फोट नहीं हुआ था। हालांकि जापानी लड़ाकू विमान कोलकाता के आसमान में नजर आए। लेकिन बंगाल के भीषण अकाल में लाखों लोग मारे गए, अनाज की कमी के कारण नहीं बल्कि लोगों को भूखा रहना …
Read More »आख़िर मोदी जी इतनी बेतुकी बातें क्यों कर रहे हैं ?
Why is Modi ji talking so absurdly? मोदी ने साइकिल को ही आतंकवादी क्यों बता दिया? सब लोग अब यह गौर करने लगे हैं कि यूपी के चुनाव में मोदी के भाषण कुछ अजीबोग़रीब हो रहे हैं। सिवाय कुछ सचेत सांप्रदायिक विभाजनकारी बातों के किसी को उनके भाषणों में कोई तुक नज़र नहीं आ रहा है। वे लोग भी, जो …
Read More »हर पल चलती फिरती लाशों से टकरा रहे हैं, यह संवादहीनता का दौर है
डॉ सुनील हालदार दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके। उत्तर प्रदेश काल में हल्द्वानी से 50 हजार वोट मिले बीएसपी से। फिर माकपा से भी लड़े। साइकिल से भारत की परिक्रमा कर चुके हैं। हमारे घनिष्ठ मित्र हैं। इन दिनों कोलकाता गए हुए हैं, वहां एनआरएस अस्पताल में उनकी बेटी कार्यरत है। असीमदा की मृत्यु के बाद उनके परिजनों से …
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