आपकी नज़र
पर्यावरण के प्रति गांधी जी की प्रतिबद्धता और उनके सिद्धांत : दो शब्द
गाँधी जी का पर्यावरण चिंतन (Gandhiji’s Thinking On Environment) Gandhi’s commitment to the environment and his principles जिस प्रकार भौतिक विज्ञान के विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने आज से ठीक 117 वर्षों पूर्व वर्ष 1905 में अपना सुप्रसिद्ध सापेक्षता का सिद्धांत (theory of relativity) प्रतिपादित किए थे,और आज वह सिद्धांत वर्तमान वैज्ञानिकों द्वारा बिल्कुल सही साबित हो रहा है,ठीक उसी …
Read More »इस रात की सुबह नहीं! : गुलामी के प्रतीकों की मुक्ति का आन्दोलन !
There is no end to this night! Movement for the liberation of the symbols of slavery! 16 मई को ज्यों ही वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने की जानकारी (Information about getting Shivling in Gyanvapi Masjid premises of Varanasi) प्रकाश में आई हर-हर महादेव के उद्घोष से वहां की सड़कें – गलियां गूंज उठीं, जिसकी अनुगूँज पूरे देश …
Read More »अवसरवादी नेताओं की पहचान करने में विफल क्यों हो जाती है कांग्रेस?
अवसरवादी नेताओं की पहचान करे कांग्रेस (Congress should identify opportunistic leaders) देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today) हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों में हैं। चुनावों में बार-बार हार का सामना करने वाली कांग्रेस इस बार अपना दम-खम दिखाना चाहती है। इसलिए उदयपुर में कांग्रेस चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir in Udaipur) से लेकर …
Read More »सोनिया गांधी के नाम खुला पत्र
Open letter to Congress President Sonia Gandhi कांग्रेस चिंतन शिविर और कांग्रेस का संकट (Congress Chintan Shivir and the crisis of Congress) कांग्रेस कौन से मुद्दे जनता के बीच लेकर जाएगी, क्या चिंतन शिविर में इस पर कोई विचार किया गया? कांग्रेस के पक्ष में किस तरह माहौल बनाया जाएगा? भाजपा की कमियों पर मौखिक आलोचना का कोई अर्थ नहीं …
Read More »कांग्रेस चिंतन शिविर : राहुल राजनीतिक समझदारी से एक बार फिर दूर दिखे
कांग्रेस चिंतन शिविर और राहुल गांधी का संकट क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Country’s oldest party Congress) में अपने अतीत की गलतियों से सबक लेने की तमीज और निराशा से उबरने की इच्छा शक्ति है? क्या कांग्रेस ने गठबंधन की राजनीति को नकार दिया है ? क्या राहुल गांधी फिर एक बार अपरिपक्व नेता साबित हुए हैं? चर्चा …
Read More »हिन्दी की कब्र पर खड़ा है आरएसएस!
RSS stands at the grave of Hindi! आरएसएस के हिन्दी बटुक अहर्निश हिन्दी-हिन्दी कहते नहीं अघाते। वे हिन्दी –हिन्दी क्यों करते हैं ॽ यह मैं आज तक नहीं समझ पाया। इन लोगों के हिन्दीप्रेम का आलम है कि ये अभी तक इंटरनेट पर रोमनलिपि में हिन्दी लिखते हैं। मेरे अनेक दोस्त हैं जो रोमनलिपि में हिन्दी लिखते हैं, मेरी उनसे …
Read More »कश्मीरी पंडितों की हत्या : भाजपा की नाकाम कश्मीर नीति
Killing of Kashmiri Pandits: BJP’s failed Kashmir policy कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या पर संपादकीय टिप्पणी | देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today) कश्मीर में हालत (condition in Kashmir) बहुत खराब है। कश्मीरी पंडितों की कोई सुरक्षा (Security of Kashmiri Pandits) नहीं है। कश्मीरी पंडितों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है… ये अल्फाज किसी विपक्षी …
Read More »पहले उन्होंने मुसलमानों को निशाना बनाया अब निशाने पर आदिवासी और दलित हैं
कॉरपोरेटी मुनाफे के यज्ञ कुंड में आहुति देते मनु के हाथों स्वाहा होते आदिवासी First they targeted Muslims, now the target is Adivasis and Dalits दो तथा तीन मई 2022 की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के गाँव सिमरिया (Village Simaria in Seoni district of Madhya Pradesh) में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर …
Read More »साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा
हिन्दी में डॉ. राम पुनियानी का लेख- ज्ञानवापी मस्जिद – क्यों उखाड़े जा रहे हैं गड़े मुर्दे? Dr. Ram Puniyani’s article in Hindi – Gyanvapi Masjid: Why are the dead bodies being uprooted? मीडिया में इन दिनों (मई 2022) ज्ञानवापी मस्जिद चर्चा में है. राखी सिंह और अन्यों ने एक अदालत में प्रकरण दायर कर मांग की है कि उन्हें …
Read More »जानिए दुनिया क्या डॉलर की ग़ुलाम है?
Is the world a slave to the dollar? वर्तमान हालत यह है कि वित्तीय बाजार की पूरी दुनिया पर डॉलर का दबदबा है। वित्तीय बाजार लंदन, न्यूयॉर्क से नियंत्रित हो रहा है लेकिन दुनिया के उत्पादन श्रृंखला पर अमेरिका का दबदबा नहीं है। रूस अपना ही पैसा इस्तेमाल नहीं कर सकता ! ढाई महीने से ज्यादा हो चुके रूस और …
Read More »लघु पत्रिकाएँ : वैकल्पिक पत्रकारिता का स्वप्न
वैकल्पिक मीडिया की आवश्यकता क्यों है? Small Magazines: The Dream of Alternative Journalism दिनेशपुर, उत्तराखंड में अखिल भारतीय लघु पत्र-पत्रिका सम्मेलन (All India Small Paper-Magazine Conference at Dineshpur, Uttarakhand) का आयोजन हो रहा है। कुछ समय पूर्व पलाश विश्वास ने पत्रकारिता और साहित्य के संपादन संबधों की चर्चा की थी जिसमें मूल बात यह थी कि रघुवीर सहाय और सव्यसाची …
Read More »बीजेपी की बी टीम से बढ़कर अब उसकी हमराह बन चुकी है ‘आप’
Khalistan: More than the B team of BJP, now AAP has become its companion आंख खोलने की आवश्यकता | देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today) हिमाचल प्रदेश में विधानसभा गेट पर खालिस्तान के झंडे लगाने पर संपादकीय (Deshbandhu’s editorial in Hindi on putting up Khalistan flags at the assembly gate in Himachal Pradesh) हिमाचल प्रदेश में रविवार सुबह …
Read More »कोरोना से हर तीन में से एक मौत भारत में : मोदी राज के झूठे दावों की पोल खुलती जा रही
The false claims of Modi Raj are getting exposed कोरोना महामारी में इंसानी जानों की सबसे भारी कीमत भारत ने चुकाई. दुनिया हर तीन में एक मौत भारत में हैरानी की बात यह नहीं है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार (According to the World Health Organization), जो अपनी अनेक सीमाओं के बावजूद, कोविड-19 वायरस की महामारी (covid-19 virus pandemic) …
Read More »भाजपा की सफलता के लिए जातिगत अस्मितावादी आंबेडकराइट और लोहियावादी जिम्मेदार
For the success of BJP, the caste identity Ambedkarite and Lohiaist are responsible. उत्तर प्रदेश में भाजपा इस समय जिस सियासी सिलेबस पर आगे बढ़ रही है, उसे विपक्ष की तरफ से कोई चुनौती ही नहीं मिल रही है. सब चुप हैं और ऐसा लगता है कि पूरा मैदान ही साफ़ है. यही नहीं, इस सियासी सिलेबस को आम जनता …
Read More »पंडित जवाहरलाल नेहरू और धर्मनिरपेक्षता की चुनौतियाँ
Pandit Jawaharlal Nehru and the challenges of secularism in Hindi लोकतंत्र बचाना है तो क्या करना होगा? साम्प्रदायिकता के औजार क्या हैं? भारत जब आजाद हुआ तो उसकी नींव साम्प्रदायिक देश-विभाजन पर रखी गयी। फलतः साम्प्रदायिकता हमारे लोकतंत्र में अंतर्गृथित तत्व है। लोकतंत्र बचाना है तो इसके खिलाफ समझौताहीन रवैया रखना होगा। साम्प्रदायिकता के औजार हैं आक्रामकता और मेनीपुलेशन। इसने …
Read More »जेएनयूएसयू का देश की राजनीति में क्या योगदान है?
लोकतंत्र, विवेक और आनंद का सौंदर्यलोक जेएनयू-1 What is the contribution of JNUSU to the politics of the country? मैं 1980-81 में जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव में कौंसलर पद पर एक वोट से जीता था। वी. भास्कर अध्यक्ष चुने गए। उस समय जेएनयू के वाइस चांसलर वाय. नायडुम्मा साहब (Prof.Y.Nayudamma or Dr. Yelavarthy Nayudamma) थे, वे श्रीमती गांधी के भरोसे …
Read More »2022 : सामाजिक न्याय की राजनीति का टेस्ट होना बाकी है!
क्या सामाजिक न्याय की राजनीति का अंत हो गया है? गत 10 मार्च को 4 राज्यों, विशेषकर देश की दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश में जिस तरह भाजपा ने पुनः सत्ता में आकर इतिहास रचा है और जिस तरह बहुजनवादी दलों, खासकर चार बार यूपी की सत्ता पर काबिज होने वाली बहुजन समाज पार्टी एक सीट पर सिमटी है, …
Read More »दलित अस्मितावाद और हिंदुत्व दोनों के साझे दुश्मन गांधी ही क्यों?
Book review : Bhimrao Ambedkar Ek Jeevani by Jaffrelot Christophe in Hindi अंबेडकर पर ज़्यादातर भाववादी लेखन दिखता है। जिसकी दिक़्क़त है कि वो समझ से ज़्यादा भक्तिभाव उत्पन्न करता है, जो अपने से बड़ी भावनाओं के राजनीतिक उभार के दौर में बहुत आसानी से उसमें समाहित हो जाता है। यहाँ तक कि अगर सत्ता किसी समुदाय के जनसंहार की …
Read More »स्कूली पाठ्यक्रम में सांप्रदायिक एजेंडा ! जानिए भाजपा की शिक्षा से दुश्मनी क्या है?
Communal agenda in school curriculum : a matter of serious concern युक्तियुक्तकरण (rationalisation of syllabus) के नाम पर सीबीएसई के पाठ्यक्रम से अप्रैल 2022 में कई हिस्से हटा दिए गए. जिन टॉपिक्स को दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटाया गया है उनमें शामिल हैं प्रजातंत्र और बहुलता (democracy and pluralism), अफ़्रीकी-एशियाई इस्लामिक राज्यों का उदय, मुग़ल दरबारों का इतिहास (History …
Read More »अहिंसक मानव सभ्यता के पक्ष में : कब समाप्त होगा यह रक्तपात?
In favor of non-violent human civilization: when will this bloodshed end? टुकड़े–टुकड़े हो बिखर चुकी मर्यादा उसको दोनों ही पक्षों ने तोड़ा है पांडव ने कुछ कम कौरव ने कुछ ज्यादा यह रक्तपात अब कब समाप्त होना है . . . (‘अंधा युग’, धर्मवीर भारती) 1 क्या विकल्पहीन है आधुनिक हिंसक सभ्यता? | Is there no alternative to modern violent …
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