मशहूर गीतकार संतोष आनंद 21/02/2021 को इंडियन आइडल के शो (Famous lyricist Santosh Anand on Indian Idol show on 21/02/2021) पर आए थे। वह अपनी ज़िंदगी से जुड़े कुछ भावुक पल दर्शकों के साथ साझा करते हुए भावुक हो गए। गायिका नेहा कक्कड़ (Singer Neha Kakkar) ने भेंट स्वरूप 5 लाख रुपए देने को कहा तो संतोष जी ने कहा, …
Read More »आपकी नज़र
जानिए उत्तर प्रदेश सरकार का दो करोड़ से अधिक नया रोजगार सृजन के दावे की असलियत
Know the reality of the Uttar Pradesh government’s claim of creating more than two crore new jobs नीति आयोग की गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जानकारी (Information by Chief Minister Yogi Adityanath at the meeting of the Governing Body of NITI Aayog) दी गई कि उत्तर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की 50 लाख इकाइयों के वित्त …
Read More »जुगनुओं को कैद करता तानाशाह : यही है संघी-भाजपाई “राष्ट्रवाद” – जो शुरू से ही इतना ही फर्जी है
इस बार 21-22 वर्ष की दिशा रवि को बिना किसी तरीके की सुनवाई के सीधे 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। दिशा पर देशद्रोह, राष्ट्र के खिलाफ बगावत और न जाने कैसे-कैसे संगीन आरोप मढ़े गए हैं, अभी और कुछ आरोप गढ़े जाएंगे। कारपोरेट नियंत्रित मोदी मीडिया उन्हें और भी नमक-मिर्च लगाकर दोहरायेगा और पेड़,पौधे, नदी, पहाड़, …
Read More »सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के काव्य में आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, रहस्यवाद
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जन्मदिवस पर विशेष | Special on the birthday of Suryakant Tripathi ‘Nirala’ इतिहास में आज का दिन | Today’s History | Today’s day in history | आज का इतिहास सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (21 फरवरी 1899 – 15अक्तूबर 1961) छायावाद युगीन हिन्दी कविता के चार प्रमुख स्तंभों (chhayavad in hindi) में से एक माने जाते हैं। यूं …
Read More »क्या आप उत्तराखंड के आदिवासियों के बारे में यह बात जानते हैं ?
Do you know this about the tribals of Uttarakhand? उत्तराखंड में आदिवासियों की आबादी (Tribal population in Uttarakhand) लगभग 8% है. 1967 में उत्तर प्रदेश में भूटिया, जौनसारी, थारु, बोक्सा और राजी को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था. हालाँकि आदिवासियों के प्रश्न पर उत्तराखंड में बहुत बहस नहीं दिखाई देती, क्योंकि थारु, बोक्सा और राजी की स्थिति तो …
Read More »कमजोर न पड़ने दें कोरोना टीके का सुरक्षा कवच
Negligence in vaccination can overshadow infection prevention efforts. भारत में कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक (Second Dose of Corona Vaccine) गत 13 फरवरी को शुरू हो गया और उसी के साथ भारत सबसे तेजी से 77.66 लाख वैक्सीन लगाने वाला देश बन गया। सरकारी दावों के मुताबिक अभी तक एक करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है। Covid-19 …
Read More »अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस : महात्मा गांधी के हिंदी प्रेम से गुजरते हुए
आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है | International Mother Language Day or Matribhasha Diwas महात्मा गांधी के हिंदी प्रेम से गुजरते हुए Mother tongue will not survive without writing in Unicode font. गांधीजी के जेल अनुभवों में से एक अनुभव याद आ रहा है उन्होंने लिखा – महानिष्क्रिय – प्रतिरोध के कारण जब वे एक बार दक्षिण अफ्रीका के एक जेल …
Read More »हामिद अंसारी और भारतीय बहुवाद को खतरे : हमें अंसारी की बातों को गंभीरता से लेना होगा
Hamid Ansari’s Woes: Plight of Pluralism in India भारत का उदय विविधता का सम्मान करने वाले बहुवादी प्रजातंत्र के रूप में हुआ था. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हमारे संविधान में समुचित प्रावधान किये गए, जिनका खाका सरदार पटेल की अध्यक्षता वाली संविधानसभा की अल्पसंख्यकों पर समिति ने बनाया था. आज, सात दशक बाद, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके आर्थिक …
Read More »भारत में जाति प्रथा का उदय, जानिए सत्य क्या है
जाति प्रथा का उदय भारत में “राजनीति की बलिवेदी पर इतिहास की बलि” शीर्षक डॉ. राम पुनियानी का यह आलेख हस्तक्षेप पर मूलतः 27 अक्तूबर 2014 को प्रकाशित हुआ था। राम पुनियानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में प्रोफेसर थे, और उन्होंने दिसंबर 2004 में भारत में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए पूरे समय काम करने के लिए स्वैच्छिक …
Read More »नामवर सिंह के मायने
आज 19 फरवरी नामवर सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष 19 February, Today in History | 19 फरवरी, इतिहास में आज का दिन Today special on the death anniversary of Namvar Singh बुद्धिजीवी और कलाकार के लिए मुख्य चीज है उसके आदर्श। वह उनके साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता। सवाल यह है नामवर सिंह के आदर्श क्या थे ? What …
Read More »पत्रकारों को कानूनी सुरक्षा देने के लिए जेजेए का संघर्ष
रांची से शाहनवाज हसन. झारखंड में पत्रकारों की सुरक्षा (Security of journalists in Jharkhand) हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। रघुवर दास के कार्यकाल में झारखण्ड के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्यायें एवं झूठे मुकदमों के बाद जेल भेजने की घटनाओं को तब विपक्षी दलों चुनावी मुद्दा बनाते हुए इसे अपने घोषणापत्र में शामिल करने …
Read More »बंगालियत और वामपंथ : क्या वामपंथ फिर ऐतिहासिक भूल करने जा रहा है ?
बंगालियत और वामपंथ : संदर्भ बंगाल चुनाव बंगाल का आगामी विधानसभा चुनाव (Upcoming assembly elections in Bengal) अब भी एक टेढ़ी खीर ही बना हुआ है। हमारी नजर में इसकी सबसे बड़ी वजह है — बंगाल और वामपंथ के साथ उसके संबंधों का सच। बंगाल का वामपंथ बांग्ला रैनेसांस की एक लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया के ऐतिहासिक उत्तरण की तरह है। …
Read More »Greta Thunberg Toolkit Case : सवाल दिशा और उजाले का है
दिशा रवि पर मुकदमा | Greta Thunberg Toolkit Case | देशबन्धु में संपादकीय आज जो इंसान प्रकृति को बचाने की लड़ाई लड़ता है, जो पर्यावरण से प्यार करता है, क्या वह मानवता से नफरत कर सकता है? यह सवाल पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी (Arrest of 22-year-old Environmental activist Disha Ravi) के बाद जेहन में उठता है। Farmers toolkit …
Read More »मोदी सरकार के साथ ही योगी सरकार से कैसे निपटेंगे भटकते कारपोरेट समाजवादी !
How will wandering corporate socialists deal with the Modi government and the Yogi government ! मैंने समाजवाद और प्रख्यात समाजवादियों के संघर्ष (Conflicts of eminent socialists) पर काफी अध्ययन किया है समझने का प्रयास किया है। मेरा मानना है कि सच्चे समाजवादी ही मोदी और योगी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध कर सकते हैं। बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा …
Read More »Attack on Newsclick: पत्रकारिता और लोकतंत्र के लिए जरूरी है न्यूज़क्लिक पर हमले का विरोध
MEDIA FREEDOM: The attack on Newsclick must be resisted by those who care about journalism – and democracy in India मैं पत्रकारों पर हमले, कार्यकर्ताओं और लेखकों की गिरफ़्तारी (Attack on Newsclick) के बारे में पढ़ती रही हूँ और देख रही हूँ कि असहमति के सभी लोकतांत्रिक जगहों को कैसे समाप्त किया जा रहा है। 2010 से 2020 के बीच …
Read More »किसान आंदोलन को बिखरने घोषणा करने वाली चालू क़िस्म की पत्रकारिता
किसान आंदोलन की गति-प्रकृति पर दैनंदिन टिप्पणियों पर एक टिप्पणी A Commentary on the Day-to-Day Comments on the Nature of the Peasant Movement सरकार या कोई भी पत्रकार, जब किसी भी तर्क पर किसान आंदोलन के स्वत: बिखरने की कल्पना करता है, तो उसके यथार्थबोध पर गहरा शक होता है। तब वह आंदोलन की अपनी आंतरिक गति, ‘उसके अपने तर्क’ …
Read More »हम ने किस बेशर्मी से सरहदी गाँधी की क़ुर्बानियों और विरासत को भुला दिया!
सरहदी गाँधी ने देश-विभाजन से पहले और बाद में दो-क़ौमी नज़रिए को नहीं माना ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान की 131वीं जयंती पर On the 131st birth anniversary of Khan Abdul Ghaffar Khan फ़रवरी 6 ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान, जिन्हें सरहदी गाँधी और बादशाह ख़ान के नाम से भी याद किया जाता है, की 131वीं जयंती थी। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन …
Read More »अच्छे दिन की आस में नया भारत
आज से सात साल पहले आम चुनाव 2014 (General election 2014) में देश में एक नया स्लोगन लोगों की जुबान पर था जिसके बोल थे ‘अच्छे दिन आने वाले हैं‘ इस स्लोगन ने आम चुनाव 2014 के परिणाम को बदलने में महती भूमिका का निर्वहन किया। भारतीय जनमानस इसी स्लोगन के काल्पनिक वादों में अपने को रंग लिया और उसके …
Read More »लद्दाख डिसइंगेजमेंट – ‘पीछे लौटो’ होगा या ‘जैसे थे’ ? लद्दाख में इतनी बड़ी शहादत के बाद हमने अब तक क्या पाया ?
Ladakh Disengagement – Will ‘Return Back’ or ‘As It Were’? What have we found so far after such a great martyrdom in Ladakh? अप्रैल 2020 से चल रहा, भारत चीन का लद्दाख सीमा विवाद अब सुलझ गया है। डिसइंगेजमेंट की लंबी वार्ता के बाद, चीन और भारत अपनी अपनी सेनाएं पीछे हटाएंगे। यह सरकार का अधिकृत बयान है। पर सुलझाव …
Read More »प्रकृति और हम : आओ! थोड़ा बसंत हो जाएं …
माघ अलविदा हो चला है। मौसम का मिजाज फागुनी हो चला है। जवान ठंड अब बूढ़ी हो गई है। हल्की पछुवा की गलन सुबह – शाम जिस्म में चुभन और सिहरन पैदा करती है। गुनगुनी धूप थोड़ा तीखी हो गई है। घास पर पड़ी मोतियों सरीखी ओस की बूँदें सूर्य की किरणों से जल्द सिमटने लगी हैं। प्रकृति के इस …
Read More »प्रेम ही क्रांति है ..Love is revolution!
क्रांति या प्रेम …प्रेम या क्रांति ..दोनों अलग हैं ..या दोनों एक …या एक दूसरे के पूरक..एक प्रक्रिया के दो सम्बोधन… क्रांति मतलब बदलाव..परिवर्तन ..प्रेम का अर्थ है बदलाव ..परिवर्तन .. दोनों में फर्क है ‘स्वेच्छा’! प्रेम में ‘स्वेच्छा’ सर्वोपरि है ..जबकि क्रांति ‘स्वेच्छा से शुरू होकर तानाशाही तक पहुँच जाती है. प्रेम को व्यक्तिगत स्तर एवम् सीमा तक देखा …
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