थिएटर ऑफ़ रेलेवंस….. नेता ऐसे बनते हैं ! 2 अक्तूबर गांधी जयंती पर : रंगकर्म, राजनीति और गांधी पर राजनैतिक विश्लेषक धनंजय कुमार का लेख 2 October on Gandhi Jayanti: Political analyst Dhananjay Kumar’s article on Rangkarma, politics and Gandhi नेता आसमान से नहीं गिरते, न ही किसी फैक्ट्री में पैदा होते हैं. नेता ज़मीन में उगते हैं. संस्कारों, संवेदनाओं, …
Read More »आपकी नज़र
बतख मियाँ न होते तो गांधी युग भी न होता
गांधी जयंती पर विशेष | Special on Gandhi Jayanti बतख मियां (Batakh Miya Ansari) : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम योद्धा भारत की आज़ादी के आंदोलन की वैश्विक पहचान के पीछे महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है और आज उनका जन्मदिन अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनियां में मनाया जाता है। 1917 में स्थानीय किसानों की समस्या को देखने …
Read More »भविष्य से आँख भी मिला पाएँ, इसलिए उठिए और बोलिए
कुछ बोलिए संतुलन न बिगड़ जाए कुछ बोलिए अंधेरा न बढ़ता रहे कुछ बोलिए भविष्य न हो मलिन कुछ बोलिए देश की आहुति न हो कुछ बोलिए कीट के काटने पर तो चुप थे सर्पदंश पर तो कुछ बोलिए जहर, मार दे देह को लकवा उससे पहले ही कुछ बोलिए वर्तमान, डरावना भूत न बने इसलिए कुछ तो बोलिए भविष्य …
Read More »बलात्कार : स्त्री देह में ‘मजा’ और ‘सजा’ की संस्कृति
The entire society is responsible for creating this criminal mindset. यौन अपराधों (Sexual offences) के साथ जब तक ‘मजा’ और ‘सजा’ का संबंध बना रहेगा, ये अपराध थमने वाले नहीं। जिसने यौन अपराध किया वह अपराधी है लेकिन पूरा समाज ही इस अपराधी मानसिकता को बनाने का जिम्मेदार ठहरता है। The relationship of man is ultimately attributed to the body, …
Read More »बाबरी मस्जिद विध्वंस मुकदमा – लिब्राहन आयोग के निष्कर्ष और अदालत के फैसले में रोचक विरोधाभास
Babri Masjid demolition lawsuit – Interesting contradiction between Liberhan Commission findings and court verdict बाबरी मस्जिद गिराने के मामले (Babri Masjid demolition case) में 30 सितंबर 2020 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट लखनऊ का फैसला आ गया है। बाबरी मस्जिद गिराने के लिये सभी दोषी अभियुक्त दोषी नहीं पाए गए। उन्हें अदालत ने बरी कर दिया है। स्पेशल सीबीआई जज एसके …
Read More »एक पत्रिका के पृष्ठों पर बोलते साहित्य जगत पर दृष्टिपात
Arun Maheshwari on review of Aalochana पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों का अर्थ होता है कोरा पिष्टपेषण, एक अधकचरी संपादित किताब, तब किसी भी साहित्यिक पत्रिका का साधारण कविता, कहानी, आलोचनात्मक निबंधों, समीक्षाओं से तैयार किया गया ‘सामान्य’ कहलाने वाला …
Read More »अभी तक चौराहों पर क्यों नहीं लगे हाथरस के गैंगरेप के आरोपियों के पोस्टर ?
देश में हर दिन चार दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है Four Dalit women are raped every day in the country उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) का मानना है कि अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करने आपराधिक मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है। वह अपराधियों के पोस्टर विभिन्न चौराहों पर लगाने के …
Read More »हाथरस गैंगरेप : व्यवस्था और मानवता का अंतिम संस्कार, बचता तानाशाह भी नहीं है। उसका अंत तो और भी दारुण होता है
हाथरस गैंगरेप पीड़िता का चुपके से रात के अंधेरे में समस्त मानवीय और वैधानिक मूल्यों को दरकिनार कर किया गया अंतिम संस्कार अनुचित है और बचता तानाशाह भी नहीं है। उसका अंत तो और भी दारुण होता है …. बता रहे हैं अवकाशप्राप्त आईपीएस अफसर विजय शंकर सिंह सुबह जब फेसबुक खोला तो पहली खबर मिली कि, हाथरस की गैंगरेप …
Read More »अब इस किसान असंतोष को सरकार नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है
निरन्तर उपेक्षा का दंश झेलता किसान | Farmers facing the brunt of constant neglect 2014 के लोकसभा चुनाव (2014 Lok Sabha Elections) में अनेक लोकलुभावन वादों के बीच, किसानों के लिये सबसे प्रिय वादा भाजपा का था (BJP’s most beloved promise to farmers), 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करना। साथ ही एमएस स्वामीनाथन आयोग की संस्तुतियों (Recommendations of MS …
Read More »जी मोदीजी ! पं. नेहरू भगत सिंह और साथियों से मिलने लाहौर जेल गये थे, आप भी पढ़ लें
भगत सिंह और साथियों से मिलने नेहरू, लाहौर जेल गये थे. जी हाँ, जेल में भगत सिंह से मिले थे नेहरू 2018 में, कर्नाटक के चुनाव (Karnataka assembly elections in 2018) में प्रधानमंत्री बीदर में अपनी चुनाव रैली कर रहे थे। उन्होंने यह कहा, “जब शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त और स्वातन्त्र्यवीर सावरकर आज़ादी की लड़ाई में जेल में थे …
Read More »क्या मुग़ल काल भारत की गुलामी का दौर था? – डॉ राम पुनियानी का लेख
Dr. Ram Puniyani‘s article in Hindi: Was the Mughal period a period of India’s slavery? डॉ राम पुनियानी का लेख हिंदी में क्या मुग़ल काल भारत की गुलामी का दौर था? जब जेम्स स्टुअर्ट मिल– John Stuart Mill (1806–73) ने भारतीय इतिहास (Indian history) को हिन्दू काल, मुस्लिम काल और ब्रिटिश काल में विभाजित किया, उसी समय उन्होंने अंग्रेजों को …
Read More »जहां हर मिनट में बलात्कार की घटनाएं होती हैं, वहां किस मुंह से कहें Happy World Daughters Day
बेटी दिवस पर नगीना खान का विचारोत्तेजक लेख | Nagina Khan’s thoughtful article on daughter’s day बेटी दिवस क्यों मनाया जाता है? हर साल विश्व बेटी दिवस या अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस, #WorldDaughtersDay सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता रहा है। बेटियों के सम्मान और समानता के प्रतीक वाला यह दिन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी सहित कई देशों …
Read More »किसी की आपदा, किसी का अवसर! मेहनत-मजदूरी करने वालों की आपदा को कार्पोरेटों के लिए अवसर बनाने की धोखाधड़ी नहीं चलेगी
महामारी के बीचो-बीच और वास्तव में देशव्यापी लॉकडाउन के बीच (Amidst nationwide lockdown), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ‘आपदा को अवसर’ बनाने का आह्वान किया था, उस समय तो उनके कटु आलोचकों ने भी नहीं सोचा होगा कि वह सचमुच, कोविड-19 महामारी की आपदा को, कार्पोरेटों की सेवा के अपने असली एजेंडा को पहले से भी तेजी से आगे बढ़ाने …
Read More »हिन्दू समाज के ठेकेदारों ने ईश्वर चन्द्र विदयासागर को बार-बार जान से मारने की कोशिश की
ईश्वर चंद्र विद्यासागर पर निबंध | Essay on Ishwar Chandra Vidyasagar in Hindi 250 words essay on Ishwar Chandra Vidyasagar आभार सुबीर वन्दना दास। तुमने हिन्दू धर्म के महान समाज सुधारक को याद किया। जिन्होंने शिक्षा आंदोलन चलाया। बेमेल और बहू विवाह, सती प्रथा पर रोक लगवाई। विधवा विवाह का प्रचलन किया और मनुस्मृति के मुताबिक सारे अधिकारों से वंचित …
Read More »डिजिटल मीडिया से घबराई सरकार अब कसना चाहती है नकेल !
अब सोशल मीडिया और वेब पोर्टलों पर नियंत्रण की तैयारी Now preparing to control social media and web portals विगत दिनों सुदर्शन न्यूज चैनल पर ‘यूपीएससी जिहाद‘ कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (Hearing in the Supreme Court on a petition filed against the ‘UPSC Jihad’ program on Sudarshan News Channel) से मीडिया की आजादी (Media …
Read More »मोदी के खून में व्यापार इसलिए फिर से साहूकारी दौर लाने पर आमादा, अपने खेत में ही बंधक बना लिये जाएंगे किसान
मोदी सरकार बनने के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हठधर्मिता दिखाते हुए मनमानी फैसले लिये, उससे न केवल उद्योग धंधे चौपट हो गये हैं बल्कि छोटे-मोटे कारोबारी भी सडक़ पर आ गये हैं। किसान-मजदूर और युवा बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में देश के शीर्षस्थ उद्योगपतियों के रहमोकरम पर चल रही मोदी सरकार (Modi …
Read More »ऐसे लोग उन भेड़ियों से कम नहीं, जो महिला सशक्तीकरण का चारा महज़ जिस्मानी आज़ादी तक मानते हैं
आज के युवाओं में विवाह को लेकर उदासीनता के कारण | The reasons for the apathy about marriage among today’s youth किसी भी मज़हब की बात कीजिए, विवाह/ शादी में यौनिक संबंधों को ही अहम माना गया है। प्यार का तो जिक्र ही नहीं मिलता। मनपसंद शादी के नाम पर चेहरे से ज्यादा खानदान की इज्ज़त के रूप में जाने …
Read More »आरएसएस-भाजपा के अधिनायकवादी प्रोजेक्ट पर अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का महत्वपूर्ण लेख
Akhilendra Pratap Singh Article on Political Platform राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के अधिनायकवादी प्रोजेक्ट (Totalitarian project of Rashtriya Swayamsevak Sangh and BJP) के विरुद्ध व्यापक आंदोलन के साथ ही समाज के राजनीतिकरण (Politicization of society) पर सर्वाधिक जोर देना होगा और सामाजिक संतुलन (Social balance) को बदलना होगा। Leftist paradox पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय (SANTOSH BHARTIYA- Ex …
Read More »कोरोना बढ़ रहा है, सीमा पर मामला संवेदनशील होता जा रहा है, मन्दिर, तीन तलाक, धारा 370 से अब लोगों को बरगलाया नहीं जा सकता।
बदलते कानून और सामाजिक जिम्मेवारी से मुक्त व्यापारी व उद्योगपति Changing laws And businessmen and industrialists free from social responsibility सरकारें कानून बनाती हैं और हर तरह के नियमों व कानूनों को जनता के हित में उठाये गये कदम बताती हैं। सच तो यह है कि यह सरकारों के चरित्र और उनकी क्षमता पर निर्भर करता है कि ऐसे बदलते …
Read More »वादा तो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का, पर यहां तो एमसीपी ही खतरे में है
वादा फरामोशी, यूं तो दुनिया भर की सभी सरकारों और राजनीतिक दलों का स्थायी भाव होता है, पर चर्चा उसी की होती है जो वर्तमान में सामने है। 20 सितंबर को राज्यसभा से किसी तरह ध्वन्यात्मकता के सहारे सरकार ने कृषि विधेयकों (Agricultural bills) को पारित ज़रूर करा लिया और जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि यह सब …
Read More »कोविड -19 और नैदानिक चिकित्सा का अंत, जैसा कि हम जानते हैं : ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का लेख
सरकारें लगातार विरोधाभासी और भ्रामक नीतियों का निर्माण कर रहीं हैं प्रसिद्ध चिकित्सा विज्ञानी प्रोफेसर कार्ल हेनेगन और टॉम जेफरसन (Renowned medical scientists Professor Carl Heneghan and Tom Jefferson) ने इस टिप्पणी में चिकित्सा शास्त्र के उन बुनियादी सरोकारों (Those basic concerns of medical science) को उठाया है, जिनके तहत मरीज से संवेदनशील और पारदर्शी व्यवहार अच्छे उपचार के लिए …
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