एक कहावत है – “उसी के साहिल, उसी के कगारे, तलातुम में फंस कर जो दो हाथ मारे” कांग्रेस की नैया भीषण मंझधार में हिचकोलें खा रही है और इस बुरे दौर में जिन युवाओं की तरफ आस भरी निगाहों के पार्टी देख रही है वे युवा इस तूफान में दो हाथ मारने के बजाय कश्ती से छलांग मारकर भाग …
Read More »आपकी नज़र
भारत में गूगल का निवेश : भारत की सार्वभौमिकता में अमेरिकी सेंध की अनुमति, झूठ और दुरभिसंधि
Google’s investment in India: allowing US dent in India’s universality गूगल एंड अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai, CEO of Google & Alphabet) ने भारत में 75 हज़ार करोड़ के निवेश की जो घोषणा की है, वह महज़ इसीलिये संदेहास्पद हो जाती है क्योंकि इसे प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के बाद किया गया है। इस बात को ईश्वर …
Read More »कांग्रेस की सियासत और उसूल जब गांधीवाद पर आधारित है तो ये कांग्रेसी कैसे गांधी विरोधी संगठनों के हमराही बन जाते हैं?
कांग्रेस की सियासत और उसूल जब गांधीवाद पर आधारित है तो ये कांग्रेसी कैसे गांधी विरोधी संगठनों के हमराही बन जाते हैं? आज ये प्रश्न लोगों के जेहन में कौंध रहा है। इस पर कांग्रेस आला कमान / संगठन के साथ-साथ कांग्रेसी शुभचिंतकों को भी विचार करना होगा। गैर कांग्रेसी/खासकर साम्प्रदायिक और फासिस्ट ताकतें नेहरू ही नहीं बल्कि गांधी और …
Read More »आज मास्साब का जन्मदिन है
नमस्कार साथियों! आज मास्साब का जन्मदिन है। मास्साब के बगैर हम उनका तीसरा जन्मदिन मना रहे हैं। उनके मिशन पर काम करते हुए शायद ही कोई दिन गया होगा, जब हमने उन्हें याद न किया हो। समाज परिवर्तन की लड़ाई में प्रेरणा-अंशु परिवार आपके बताये रास्ते पर चल रहा है। हम हर स्थिति में आपके विचार को हवा-पानी देते रहेंगे …
Read More »कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन : क्या विज्ञान पर राजनैतिक हस्तक्षेप भारी पड़ रहा है?
Vaccine to Avoid COVID-19: Is Political Intervention Overcoming Science? भारत सरकार के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Medical Research) (आईसीएमआर) ने 2 जुलाई 2020 को कहा था कि 15 अगस्त 2020 (स्वतंत्रता दिवस) तक कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) से बचाव के लिए वैक्सीन के शोध को आरंभ और समाप्त कर, उसका “जन स्वास्थ्य उपयोग” आरंभ किया जाए. क्योंकि …
Read More »लेकिन तुम उस महामानव के विचारों से अब भी क्यों डरते हो?
महामानव के विचार जब हम चढ़ाते हैं ऐसे महामानव पर दो फूल तो डगमगा जाता है…! उनका सिंहासन वे डर जाते हैं कहीं ठप्प न हो जाए उनकी दुकान…!! हम चुपचाप फिर भी उस महामानव के बताए रास्ते पर चलना चाहते हैं…! वे मिटाना चाहते हैं उनकी पहचान और उनके विचारों को भी पर वे बंधे हुए हैं ऐसे विचारों …
Read More »केरल, मोपला क्रांति और साम्प्रदायिकीकरण
Kerala, Mopala revolution and communalization | ARTICLE BY DR RAM PUNIYANI – MOPLAH REVOLT पिछले कुछ महीनों से केरल ख़बरों में है. मीडिया में राज्य की जम कर तारीफ हो रही है. केरल ने कोरोना वायरस का अत्यंत मानवीय, कार्यकुशल और प्रभावी ढंग से मुकाबला किया. इसके बहुत अच्छे नतीजे सामने आये और लोगों को कम से कम परेशानियाँ भोगनी पडीं. …
Read More »अच्छे दिन : पाँच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था से पाँच किलो अनाज तक
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (Five trillion dollar economy) का सपना देखने वाला देश अब पांच किलो अनाज पर आ कर टिक गया है। भारत के दिमाग़, उसके बाजार, तेज दौड़ती अर्थव्यवस्था और कॉर्पोरेट की दुनिया में चर्चा होती रही है। ऐसा क्या हुआ है कि देश दो जून की रोटी की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री …
Read More »पाँच दशक से वैकल्पिक मीडिया का नेतृत्व कर रहे हैं आनन्दस्वरूप वर्मा
Anandaswaroop Verma has been leading alternative media for five decades हमें छात्र जीवन से आनन्द स्वरूप वर्मा और पंकज बिष्ट का सानिध्य मिला। समकालीन तीसरी दुनिया और समयांतर दोनों पत्रिकाएं रघुवीर सहाय के दिनमान के बाद हिंदी पत्रकारिता के मानक बनी हुई हैं। नैनीताल समाचार के डीएसबी के दिनों से लेकर प्रेरणा अंशु तक हम इनका ही अनुसरण करते हैं। …
Read More »वैश्विक रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में फिसड्डी भारत
India in global rule of law index वाशिंगटन डीसी स्थित वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट (World Justice Project, an organization devoted to promoting the rule of law throughout the world.) हरेक वर्ष देशों की क़ानून व्यवस्था से आधारित रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स (Rule of law index) प्रकाशित करता है. इस वर्ष के इंडेक्स में कुल 128 देशों की सूचि में विश्व के …
Read More »भारत-चीन टकराव : मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान की इसके हल में कोई दिलचस्पी नहीं है
India-China Conflict: The current power establishment is not interested in its solution 7 जुलाई 2020 के हिंदुस्तान अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत व चीन के तनाव में सुधार के संकेत हैं। लेकिन वह आगे लिखता है कि यदि चीन गलवान से पीछे हटा है तो भी हमें अपनी उदारता दिखाने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। भूटान …
Read More »लोकतंत्र के जननायक ज्योति बसु सही अर्थ में गांधी के दरिद्र नारायण के प्रतीक पुरुष थे
आज ज्योति बाबू का जन्मदिन है– Today is Jyoti Babu’s birthday आम आदमी की जिंदगी जीना सबसे मुश्किल काम है। अभिजन परिवार में पैदा होने और सुखों से भरी जिंदगी छोड़ने की किसी की इच्छा नहीं होती। खासकर इन दिनों सभी रंगत के राजनीतिक दलों में सुख और वैभव के साथ राजनीति करने की होड़ मची है। ऐसी अवस्था में …
Read More »कोई क्यों बनती है आयुषी ? महिला सशक्तिकरण के योगी मॉडल का सच – पूरी योजना का बजट मात्र एक हजार रुपए !
Why does someone become an Aayushi? The truth of the Yogi model of women empowerment – the budget of the entire scheme is only one thousand rupees उत्तर प्रदेश में 181 रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन (181 Rani Laxmi Bai Asha Jyoti Women’s Helpline in Uttar Pradesh) के उन्नाव जिले में काम करने वाली 32 वर्षीय आयुषी सिंह …
Read More »महिलाओं के लिए कोई नया नहीं है लॉकडाउन
महिला और लॉकडाउन | Women and Lockdown महिलाओं के लिए लॉकडाउन कोई नया लॉकडाउन नहीं है इससे पहले भी बचपन से न जाने कितने लॉकडाउनों को देखा और महसूस किया…! जैसे ही किसी बच्ची का जन्म होता है उसके साथ ही लॉकडाउन का जन्म होता है कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशे बनाई गई…. जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है …
Read More »जेल से लिखे डॉ. कफ़ील का ख़त पढ़कर, दिल रखने वाला कोई भी इंसान रो पड़ेगा…
पिछले कई महीनों से डॉक्टर कफ़ील मथुरा जेल में हैं। इसी जेल से उन्होंने ने चार पन्नों वाला एक ख़त (Dr. Kafil’s letter written from jail) खुद अपने हाथों से लिखा है। ख़त पढ़कर कोई भी सीने में दिल रखने वाला इन्सान रोये बगैर नहीं रह सकता है। आखिर एक काबिल और जनता के डॉक्टर को जेल में बंद कर, सरकार …
Read More »इस कोरोना काल में बंद नहीं हुआ जातीय अत्याचार…..
कोरोना और लॉकडाउन ऐ कोरोना तूने क्या किया एक ही पल में अचानक बदली दी तूने दुनिया तेरे ही कारण देश-व्यापी लॉकडाउन हुआ तेरे ही कारण अर्थ-व्यवस्था घुटनों पर आई तेरे ही कारण लाखों मजदूरों ने किया पलायन तेरे ही कारण महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा तेरे ही कारण गरीब किसानों ने खुदखुशी की…..! तेरे ही कारण खुली विकास की पोल …
Read More »उत्तराखण्ड बनने के बाद जनता को क्या मिला और सेवा के नाम मेवा कौन खा रहे हैं ?
After the formation of Uttarakhand, what did the public get and who are eating nuts in the name of service? गांव बुकसौरा के हैं लाखन सिंह। समाजोत्थान विद्यालय में पढ़ता था। पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया और इन दिनों मजदूरी कर रहा है। केले लेकर वह मिलने आया। फिर घर लौटते हुए मुझे बसंतीपुर छोड़ गया। The Buxa is a …
Read More »भारत-चीन सहयोग और समर्थन विश्व राजनीति के नक़्शे को पूरी तरह से बदल सकता है
India-China cooperation and support can completely change the map of world politics खबरें आ रही है कि गलवान घाटी और दूसरे कई स्थानों पर भी चीन और भारत, दोनों ने अपनी सेनाओं को पीछे हटाना शुरू कर दिया है। अगर यह सच है तो यह खुद में एक बहुत स्वस्तिदायक समाचार है। भारत चीन के बीच सीमा पर तनाव के …
Read More »निगाहें कहीं भी हों निशाना बिहार चुनाव पर
प्रधानमंत्री मोदी के 30 जून के संबोधन (Prime Minister Modi‘s 30 June address,) को, जो कोरोना संकट के दौर में राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री का छठा संबोधन था, अनेक टिप्पणीकारों ने खोदा पहाड़ निकली चुहिया करार दिया है। बेशक, प्रधानमंत्री के संबोधन ने ज्यादातर लोगों को निराश ही किया है। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम (Prime Minister’s ‘Mann Ki …
Read More »थाने में हत्या से थानेदार की हत्या तक की यात्रा 21वीं सदी में हमारे लोकतंत्र के अधःपतन का रूपक है!
थाने में हत्या से थानेदार की हत्या तक की यात्रा 21वीं सदी में हमारे लोकतंत्र के अधःपतन का रूपक है! देश के सबसे बड़े राज्य में 2001 में पिछली भाजपा सरकार के राज में थाने में दर्ज़ाप्राप्त राज्यमंत्री की हत्या से शुरू हुई यात्रा भाजपा के मौजूदा शासन में थानेदार, CO, पुलिसकर्मियों की हत्या तक पहुंची ! 21वीं सदी के …
Read More »राष्ट्र को बचाने के लिए नई आर्थिक व औद्योगिक नीति को बदलना वक्त की जरूरत
The need of the hour is to change the new economic and industrial policy to save the nation उदार अर्थनीति (Liberal economy) के समर्थकों द्वारा पब्लिक सेक्टर और कल्याणकारी नीतियों को देश के विकास में बाधक व अर्थव्यवस्था पर बोझ होने का प्रोपेगैंडा कर निजीकरण, विनिवेशीकरण और बाजारोन्मुखी आर्थिक सुधारों को तर्कसंगत और देशहित में जरूरी बताया जाता है। 1990 …
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