पटना टू सिंगरौली, इंडिया से भारत का सफर, Patna to Singrauli..India’s journey to Bharat सिंगरौली (Singrauli) लौट आया हूँ। कभी पहाड़ों के ऊपर तो कभी उनके बीच से बलखाती निकलती पटना-सिंगरौली लिंक ट्रेन (Patna-Singrauli Link Train)। बीच-बीच में डैम का रूप ले चुकी नदियों और उनके ऊपर बने पुल तो कभी पहाड़ों के पेड़ से भी ऊँची रेल पटरी से …
Read More »आपकी नज़र
सीएए-एनपीआर-एनआरसी की सबसे बुरी मार आदिवासी, दलित, ओबीसी पर पडने वाली है : राज वाल्मीकि की टिप्पणी
सीएए-एनपीआर-एनआरसी पर दलित दृष्टिकोण – Dalit Approach on CAA-NPR-NRC चलो दिल्ली भरो दिल्ली 04 मार्च 2020 आज अगर खामोश रहे तो….. “…इसकी सबसे बुरी मार नोमेडिक ट्राइब यानी घुमंतू जनजातियों पर पड़ने वाली है जिनके पास न कोई जमीन है न कोई कागजात. आदिवासी, दलित, ओबीसी भी कागजात के अभाव में नागरिकता खो देंगे. और वे तमाम गरीब जिनके पास न …
Read More »2019 में मॉब लिंचिंग : वर्चस्ववाद की अभिव्यक्ति
झारखंड के 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को एक भीड़ ने घेर लिया और उस पर आरोप लगाया कि उसने एक मोटरसाईकिल चोरी की है। भीड़ की मांग पर उसने ‘जय श्रीराम‘ के नारे भी लगाए। परंतु फिर भी उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। 25 साल का मोहम्मद बरकत आलम जब नमाज़ पढ़कर अपने घर लौट रहा …
Read More »हाँ ! मैं एक ‘लव जिहादी’ हूँ – जीसस भी लव जिहादी थे
I Am A ‘Love Jihadi’ – An Open Letter to Cardinal George Alencherry of Syro Malabar Church of Kerala by K P Sasi फिल्मकार के पी शशि का केरल के सिरो मालाबार चर्च के कार्डिनल जॉर्ज अलेंचेरी को खुला पत्र सर ! मैं भारत के सर्वाधिक प्राचीन दर्शनिक सम्प्रदाय चार्वाक सम्प्रदाय (ancient school of philosophical thought in India called Charvakas) …
Read More »स्वतंत्रता-संग्राम के ग़द्दारों की संतानों के नए पैंतरे : आरएसएस के ‘वीर’ सावरकर ने किस तरह नेताजी की पीठ में छुरा घोंपा
आरएसएस-भाजपा टोली गांधीजी को अपमानित और नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं गंवाती है। इस ख़ौफ़नाक यथार्थ को झुठलाना मुश्किल है कि देश में हिंदुत्व राजनीति के उभार (The rise of Hindutva politics in the country) के साथ गांधीजी की हत्या पर ख़ुशी मनाना (Celebrating Gandhi’s assassination) और हत्यारों का महिमामंडन, उन्हें भगवन का दर्जा देने का भी एक संयोजित …
Read More »योगी का संविधान विरोधी वक्तव्य है “देश को रामराज्य चाहिए समाजवाद नहीं”
There is socialism in the Preamble of the Constitution, not Ram Rajya Yogi’s anti-constitution statement is “the country needs Ramrajya, not socialism” संविधान विरोधी वक्तव्य है योगी जी का कि देश को रामराज्य चाहिए समाजवाद नहीं। संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद है रामराज्य नहीं। स्पष्ट करें योगी जी ! उन्होंने भारत के संविधान की प्रस्तावना में वर्णित समाजवाद की जगह …
Read More »राजनीति का बढ़ता अपराधीकरण : घर को लग गई आग घर के चराग से
Candidates with criminal background in elections सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है (Supreme Court has directed political parties) कि वे चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को खड़ा करें तो जनता को बतायें कि आखिर ऐसी कौन-सी मजबूरियां थीं, जिनके फलस्वरूप उन्होंने बेदाग के बजाय आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी (Candidates with criminal background) का विकल्प चुना। न्यायालय …
Read More »हमें आपकी मदद की आवश्यकता है, आपके समर्थन के बिना हम अस्तित्व में नहीं रहेंगे
आप हस्तक्षेप के पुराने पाठक हैं। हम जानते हैं आप जैसे लोगों की वजह से दूसरी दुनिया संभव है। बहुत सी लड़ाइयाँ जीती जानी हैं, लेकिन हम उन्हें एक साथ लड़ेंगे — हम सब। Hastakshep.com आपका सामान्य समाचार आउटलेट नहीं है। हम क्लिक पर जीवित नहीं रहते हैं। हम विज्ञापन में डॉलर नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया …
Read More »कैसे आते हैं बदलाव ? अशिक्षित होना और मूर्ख होना दो अलग बातें
How does change come? Being uneducated and being foolish are two different things आज हमें परिवर्तन की मानसिक यात्रा से गुज़रने की आवश्यकता है स्कूल-कॉलेज विधिवत औपचारिक शिक्षा के मंच (Formal education platforms) हैं और व्यक्ति यहां से बहुत कुछ सीखता है। शिक्षित व्यक्ति के समाज में आगे बढ़ने के अवसर अशिक्षित लोगों के मुकाबले कहीं अधिक हैं। एक कहावत …
Read More »परिभाषाओं के बदलते अर्थों में अब महिलाओं को चरित्रहीन ही होना चाहिये !
कल कल्लन के लिये गेट पर मजमा लगा.. पुलिस आई ज़ाहिल औरतों की इक टोली चिल्लाई इसने कल्लन का हाथ पकड़ा… थी तो बेहयाई पर मुझे ज़ोर से हँसी आई.. शक्ल से कबूतर उम्र पचपन से ऊपर.. कल्लन क्या खो चुका है दिमाग़ी आपा… अधेड़ उम्र पर जे सुतियापा… हट्टे कट्टे मुस्टंडे कल्लन ने हाथ क्यूँ नहीं छुड़ाया.. मजमई भेड़ों …
Read More »मोदी जैसों का सच सात पर्दों के पीछे से भी बोलने लगता है — सुनिये तवलीन सिंह के मोहभंग की कहानी
तवलीन सिंह का यह साक्षात्कार (Interview of Tavleen Singh) सचमुच उल्लेखनीय है। पिछले छ: सालों में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के उनके स्तंभ (Tavleen Singh’s column in ‘Indian Express’) में कई बार मोदी की तारीफ़ में उनकी बातें इतनी छिछली और भक्तों के प्रकार की हुआ करती थी कि उन पर तीखी टिप्पणी करने से हम खुद को रोक नहीं पाते थे। …
Read More »इस्लाम के आंतरिक ‘संकट’ की विवेचना : क्या वाकई मुसलमान, स्वयं इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु हैं ?
Explaining Islam’s internal ‘crisis’: Are Muslims themselves the biggest enemies of Islam? समकालीन वैश्विक संकट के पीछे धर्म है या राजनीति? Is religion or politics behind the contemporary global crisis? वैश्विक स्तर पर ‘इस्लामिक आतंकवाद’ (‘Islamic terrorism’ globally) शब्द बहुप्रचलित हो गया है और इस्लाम के आंतरिक ‘संकट’ की कई तरह से विवेचना की जा रही है। Islam is going through a big crisis ? …
Read More »आजादी से पहले देश अनपढ़ जरूर था, लेकिन धर्मांध हरगिज़ नहीं
India is still a country of villages. Those who led the freedom struggle were understood by this very rule. बदलाव का सपना देखने वाले लोग न जाने क्यों भूल जाते हैं कि भारत अब भी गांवों का देश है। आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वालों ने इस बहुत कायदे से समझा था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ ग्रामीण भारत में …
Read More »देश पिछड़ गया तो क्या, मोदी तो संघ का एजेंडा पूरा करने में उम्मीद से आगे निकल गए हैं
अच्छे दिन लाने और प्रत्येक के खाते में सौ दिन के अन्दर 15 लाख जमा कराने तथा हर साल युवाओं को दो करोड़ नौकरियां देने के वादे (Promises to provide 20 million jobs to youth every year) के साथ सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के चार वर्ष पूरे हो गए हैं। अवश्य ही मोदी इस दरम्यान जहाँ …
Read More »अंबेडकर की नजर में वास्तविक स्वतंत्रता का अर्थ है सभी किस्म के विशेषाधिकारों का खात्मा
We should see Baba Saheb Bhimrao Ambedkar as a modern mythologist. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को हमें आधुनिक मिथभंजक के रूप में देखना चाहिए। भारत और लोकतंत्र के बारे में परंपरावादियों, सनातनियों, डेमोक्रेट, ब्रिटिश बुद्धिजीवियों और शासकों आदि ने अनेक मिथों का प्रचार किया है। ये मिथ आज भी आम जनता में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। बाबासाहेब ने भारतीय …
Read More »फिर भी…दिल्ली अभी दूर है
वैसे तो हरेक चुनाव के नतीजे को ही जनता का जनादेश माना जाता है, फिर भी दिल्ली की जनता का फैसला अपने जोर में और निर्णायकता में खास है। इस फैसले के खास होने के तीन खास कारण हैं, जिनका महत्व उनके क्रम से उलटा है। पहला तो यही कि लगातार दूसरी बार, दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी …
Read More »रेडिकल अंबेकरवाद के जवाब में आंबेडकर में देवत्व स्थापना का संघ प्रायोजित ’खेल’
RSS-sponsored ‘game’ of establishing divinity in Ambedkar in response to radical Ambekarism Ambedkar-Buddha (Bhima Katha) Katha organized in Mangta village of Kanpur Nagar district of Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले के मंगटा गांव में हाल ही में आंबेडकर-बुद्ध(भीम कथा) कथा का आयोजन किया गया। इस कथा में आंबेडकर की बाईस शिक्षाओं (Twenty two teachings of ambedkar), उनके …
Read More »सर्वाधिक अवसरवादी केजरीवाल : जो सवाल मोदी से राहुल ने पूछा वो भाजपा को पूछना चाहिए था
राजनेताओं के बयानों और आचरण में गम्भीरता का अभाव Lack of seriousness in statements and conduct of politicians भारत एक बड़ा व महान देश है जिसे इन दिनों ओछे और निचले स्तर के नेता चला रहे हैं। पिछले दिनों जब पुलवामा कांड को एक साल पूरी हुआ तब राहुल गाँधी ने एक सवाल पूछा कि उक्त घटना की जाँच रिपोर्ट …
Read More »राजनीति का नया अखाड़ा : बजरंगबली बनाम जय श्रीराम
The craving for power has weakened human morality. राजनीति एक बड़ा अजीब खेल है। राजनीति में कब क्या होगा, इसका किसे कोई पता नहीं होता। कब करीबी दोस्त विरोधी बन जाएगा और कब कट्टर विरोधी दोस्त बनेगा इसपर कुछ भरोसा नहीं किया जा सकता। देश में ऐसे कई उदाहरण हैं। राजनीति में कब करीबी रिश्तेदार दुश्मन बनकर चुनावी मैदान में …
Read More »हाँ मैं बेशर्म हूँ….रवायतें ताक पर रख कर खुद अपनी राह चलती हूँ
हाँ मैं बेशर्म हूँ…. झुंड के साथ गोठ में शामिल नहीं होती रवायतें ताक पर रख कर खुद अपनी राह चलती हूँ तो लिहाजो की गढ़ी परिभाषाओं के अल्फ़ाज़ गड़बड़ाने लगते हैं.. और खुद के मिट जाने की फ़िकरों में डूबी रिवाजी औरतों की इक बासी उबाऊ नस्ल सामने से वार करती है… झुंड में यह मुँह चलाती भेड़ें भरकस …
Read More »प्रायोजित आतंकवाद, प्रायोजित राष्ट्रवाद और फेक न्यूज मोदी का माहौल बना रहे हैं
अपने ही “सत्य “में कैद नरेन्द्र मोदी प्रायोजित आतंकवाद (Sponsored terrorism), प्रायोजित राष्ट्रवाद (Sponsored nationalism) और फेक न्यूज (Fake news) ये तीन तत्व मिलकर घर घर मोदी का माहौल बना रहे हैं। मोदी की नई रणनीति– सैनिकों की मौत को वोट बैंक में तब्दील करो। जो इसका विरोध करे उसे राष्ट्र शत्रु करार दो। Vulgar politics tv show वल्गर राजनीति …
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