Kisan agitation: 40 days 60 deaths, and silence in government – Vijay Shankar Singh किसान आंदोलन : सरकारें इतनी अहंकारी क्यों हो जाती हैं दुनियाभर के जन संघर्षों की कथा (Story of mass struggles around the world) पढ़ते-पढ़ते अक्सर यह सवाल मन मे कौंध जाता है कि आखिर सरकारें इतनी ठस और अहंकारी क्यों हो जाती हैं और कैसे जनता …
Read More »हस्तक्षेप
क्या सरकार द्वारा पत्रकारों को पुरस्कृत करना उचित है?
Is it fair for the government to reward journalists? अभी हाल में मध्यप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति प्रतिबद्ध रहे प्रतिष्ठित पत्रकार स्वर्गीय माणिक चंद वाजपेयी (Eminent journalist late Manik Chand Vajpayee who was committed to the Rashtriya Swayamsevak Sangh) के नाम व स्मृति में पत्रकारों के लिए पुरस्कार की पुर्नस्थापना की है। यह पुरस्कार पूर्व में …
Read More »खेती किसानी नहीं, देश की जनता खतरे में है… भक्त अवश्य सुनें
देश की खाद्यान्न सुरक्षा खतरे में है किसान सभा, एपीएमसी एक्ट, एमएसपी क्या है, नए कृषि कानून, किसान आंदोलन, खेती किसानी खतरे में नहीं है, देश की जनता खतरे में है किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने सरल भाषा में समझाया किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं, एपीएमसी एक्ट क्या है, खेती-किसानी की समस्याएं क्या हैं ? क्या …
Read More »समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द से संघ को दिक्कत क्यों है?
संविधान की आत्मा हैं समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द Why does the RSS have problems with the words socialism and secularism? उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश में तीन जनवरी को संविधान में किए गए बयालीसवें संशोधन- 42nd amendment made in the constitution (जिसमें संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्दों को जोड़ा गया था) को आम जनता के बीच …
Read More »सरकार की प्राथमिकताएं कॉरपोरेट हित हैं, न कि जनहित या लोक कल्याण / विजय शंकर सिंह
The government’s priorities are corporate interests, not public interest or public welfare : Vijay Shankar Singh What is the economic policy of the government after 2014? सरकार की प्राथमिकताएं आखिर क्या हैं ? विकास हो रहा है तो जीडीपी क्यों गिर रही है। अर्थव्यवस्था में तमाम गिरावट के बाद पिछले छह सालों में केवल यही एक ‘उपलब्धि’ हुयी है कि …
Read More »यहां किसान आंदोलन कर नहीं रहे हैं, आंदोलन को जी रहे हैं
किसान आंदोलन : टिकरी बॉर्डर दिल्ली से एक रिपोर्ट…… दिल्ली के बॉर्डर से बहादुरगढ़ बाईपास (दिल्ली के बॉर्डर से बहादुरगढ़ बाईपास) तक बीस किलोमीटर में फैला आंदोलनकारी किसानों का काफिला। काफिले में आये हुए अलग-अलग गांव के किसान, जिन्होंने अपने लाव-लश्कर सत्ता की सड़क पर डाले हुए हैं। किसान जो गरीब भारत का हिस्सा है। किसान जो मेहनत करके पूरे …
Read More »ज्ञान की देवी का अपमान :लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में
ज्ञान की देवी का अपमान : राहत, नवाज़ और मार्टिन के सबक ज्ञान की देवी का अपमान : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने बागपत के बड़ौत में सौ साल से भी पुराने दिगंबर जैन कॉलेज में स्थापित श्रुत देवी की प्रतिमा हटाकर सरस्वती की प्रतिमा लगाने के लिए जमकर हंगामा किया। वे जूते-चप्पल पहने हुए ही श्रुत देवी …
Read More »सत्याग्रह से सत्याग्रह तक : 2020 की तीन तस्वीरें
From Satyagraha to Satyagraha: Three pictures of 2020 Happy New Year 2021 गुजरे साल, 2020 की विरासत (Legacy of 2020) को बहुत हद तक सिर्फ तीन छवियों में पकड़ा जा सकता है। इनमें पहली छवि तो, जिससे यह साल शुरू हुआ था, शाहीन बाग (Shaheen bagh) में दिन-रात के धरने पर बैठी, महिलाओं की ही थी। नागरिकता संशोधन कानून- Citizenship …
Read More »चंद इजारेदारों के कदमों में, नहीं देख सकते हम बंधक, अपने देश की संसद और सरकार
तीन काले कानूनों के विरुद्ध दिल्ली में आंदोलनरत किसानों को समर्पित एक रचना :- ठण्ड मुझे भी लगती है, खुला आसमान, ठंडी हवाएँ, मुझे भी सताती हैं यह अलग बात है, जब मैं सृज़न करता हूँ मिट्टी से जाने क्या क्या रचता हूँ, तो मेरे लिए ठण्ड बेमानी हो जाती है, धरती मेरा कर्मक्षेत्र और आकाश मेरे कर्म का साक्षी …
Read More »पुराना साल खत्म, नया साल शुरू हो गया, किसानों का समर अभी शेष है
The old year is over, the new year has started, the struggle of the farmers is yet to go / Vijay Shankar Singh पुराना साल खत्म, नया साल शुरू हो गया है, परन्तु किसान आंदोलन जारी है। लोग समझना चाहते हैं कि सरकार तीनों कानून वापिस लेना क्यों नहीं चाहती और नया साल किस तरह से शुरूआत से ही नए …
Read More »अंबानी-अडानी की ताकत से मदमस्त प्रधानमंत्री मोदी के असली इरादों को सामने ला दिया किसान आंदोलन ने
किसान आंदोलन, किसान सभा और राजनीतिक पार्टियाँ ARUN ON FARMER’S MOVEMENT AND ITS REVOLUTIONARY POTENTIALS Arun Maheshwari on Kisan Andolan and political parties भारत के वर्तमान किसान आंदोलन ने अपनी जो खास गति पकड़ ली है उससे आज लगता है जैसे भारत का पूरा राजनीतिक संस्थान हतप्रभ है। सिद्धांतों में कृषि क्षेत्र के समग्र संकट की बात तो तमाम राजनीतिक …
Read More »डरे हुए किसान हैं या प्रधानमंत्री?
Is the farmer scared or prime minister? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) किसान आंदोलन (Peasant movement) को लेकर विपक्ष पर लगातार हमला बनाए हुए हैं। उनका लगातार आरोप है कि विपक्ष अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ गुमराह कर रहा है। खास कर उन्हें जमीन छिन जाने का डर …
Read More »कांग्रेस का स्थापना दिवस : एक कम्युनिस्ट की कांग्रेस को बधाई !
Congress Foundation Day: A Communist’s Congratulations to Congress! एक कम्युनिस्ट की कांग्रेस को बधाई ! बेशक उपमहाद्वीप की सभ्यता और संस्कृति का हजारों साल का ज्ञात इतिहास है जिसमें अनगिनत मिथकीय और ऐतिहासिक नायक भी हैं जो आकर्षित या प्रेरित करते हैं लेकिन आधुनिक लोकतांत्रिक भारत के सृजन की गाथा में कांग्रेस की भूमिका केंद्रीय रही है ! एक सौ …
Read More »मेरा धर्म मुझे चुनने दो
स्वतंत्रता पर चोट हैं धर्म स्वातंत्र्य कानून DR RAM PUNIYANI’S ARTICLE IN HINDI – RELIGIOUS CONVERSION LAWS Choosing My Religion: ‘Freedom of Religion Laws’ to Curb Liberty भारत का संविधान हम सब को अपने धर्म में आस्था रखने, उसका आचरण करने और उसका प्रचार करने का हक़ देता है. यदि कोई नागरिक किसी भी धर्म का पालन करना नहीं चाहता …
Read More »मिर्ज़ा ग़ालिब का सम्पूर्ण जीवन ही दु:खों से भरा हुआ था
आज Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) का जन्मदिन है- Today is Mirza Ghalib’s birthday- मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी हिंदी में | Biography of mirza ghalib in hindi गालिब के रंग – ग़ालिब अथवा मिर्ज़ा असदउल्ला बेग़ ख़ान (अंग्रेज़ी:Ghalib अथवा Mirza Asadullah Baig Khan, उर्दू: غالب अथवा مرزا اسدللا بےغ خان) (जन्म- 27 दिसम्बर, 1797 ई. आगरा – 15 फ़रवरी, 1869 ई. …
Read More »क्या भारतीय लोकतंत्र ’सुधारों’ के लिए वाकई रोड़ा-बाधक है ?
Too much democracy: Is Indian democracy really a hindrance to ‘reforms’? Eliminating opposition and democracy in the name of ‘reforms’ is more obstructive and fatal for Indian democracy. भारतीय लोकतंत्र क्या वाकई में इस समय कई प्रकार के झंझावातों, कठिनाईयों, चुनौतियों के सबसे मुश्किल एवं कठिन दौर से नहीं गुजर रहा है ? 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद यह …
Read More »बिजली इंजीनियर ने बताया विद्युत संशोधन विधेयक-2020 किसानों की तबाही का दस्तावेज
देश को भ्रमित कर रही मोदी सरकार Impact on the general public including farmers if the Electricity Amendment Bill-2020 is passed. विद्युत संशोधन विधेयक-2020 के मसौदे (Electricity Amendment Bill-2020 Draft) का विरोध किसान संगठनों व विद्युत कार्मिक संगठनों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसी बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह जी का …
Read More »अमित शाह जी टैगोर का राष्ट्रवाद, आरएसएस का राष्ट्रवाद नहीं है !
Amit Shah ji Tagore’s nationalism is not RSS’s nationalism!! – Vijay Shankar Singh अगले साल बंगाल में चुनाव हैं। वहां राजनीतिक गतिविधियां तेज हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी बंगाल के नियमित दौरे पर हैं। अपने एक दौरे में अमित शाह ने कहा कि वे रवीन्द्रनाथ टैगोर के सपनों का बंगाल बनाना चाहते हैं। …
Read More »दिल्ली किसानों, जनता के लिये एक वर्जित क्षेत्र बना दिया गया हो तब चौधरी चरण सिंह का स्मरण
किसान दिवस पर चौधरी चरण सिंह जी का स्मरण Chaudhary Charan Singh Ji remembered on Farmers Day: Vijay Shankar Singh आज चौधरी चरण सिंह जी का जन्मदिन है (Today is Chaudhary Charan Singh‘s birthday), जिसे किसान दिवस के रूप में देश भर में याद किया जाता है। किसानों पर जवाहरलाल नेहरू का लिखा एक उद्धरण पढ़िये – “गांधीजी चाहे …
Read More »दुनिया की कोई ताक़त करोड़ों किसानों के सामने टिक नहीं सकती : जस्टिस काटजू
जस्टिस मार्कंडेय काटजू जब करोड़ों किसानों का विशाल समूह एक तूफ़ान या सुनामी जैसे उठ खड़ा होगा तो वह ऐसी भयंकर शक्ति होगी कि दुनिया की कोई ताक़त उसके सामने टिक नहीं सकती When hundreds of millions of peasants rise like a typhoon or tornado, it will be a force so powerful, and so swift, that no power on earth …
Read More »झूठ की ताक़त के भरोसे चल रहे हैं मोदी, थोड़े दिनों बाद ही मोदी रोते हुए भी दिखाई दे सकते हैं
Modi is running on the strength of lies पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानी (Famous story of panchatantra) है कि कैसे तीन ठगों ने बकरी को कंधे पर लाद कर ले जा रहे एक ब्राह्मण को बार-बार टोक कर उसे यह साबित कर दिया कि वह बकरी नहीं, कुत्ता लाद कर जा रहा है। भ्रम में फँस कर ब्राह्मण ने बकरी को …
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