गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती किसान आत्महत्याएं : मध्यप्रदेश आगे, तो छत्तीसगढ़ भी पीछे नहीं If the country is developing, then why are people forced to commit suicide? किसी भी देश में आत्महत्या की दर (Suicide rate) उसके सामाजिक स्वास्थ्य का संकेतक (Indicator of social health) होती है। हमारे देश में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau -एनसीआरबी) इसके विश्वसनीय …
Read More »हस्तक्षेप
यह गांधी के रामराज्य की नहीं, शंबूक वध और सीता वनवास वाले रामराज्य की तैयारी है
वंचितों को बाहर कैसे करते हैं? मोदी राज के छ: साल में आंकड़ों की विश्वसनीयता का जैसा ध्वंस हुआ है, उसकी तुलना आजादी की लड़ाई में से निकले, शासन के धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक स्वरूप के ध्वंस से ही की जा सकती है। फिर भी आंकड़ों की विश्वसनीयता (Data reliability) के इन प्रश्नों को अगर उठाकर भी रख दिया जाए तब भी, …
Read More »षड़यंत्रकारी राजनीति के मुकाबले आक्रामक राजनीति
Aggressive politics in comparison to conspiracy politics इस समय पूरा देश कुछ मीडिया चैनलों द्वारा प्रस्तुत राजनैतिक दंगल देख रहा है। पिछले तीस सालों में ऐसे दृश्य देखने को नहीं मिले थे जैसे इन दिनों देखे जा रहे हैं। आजादी मिलने पर स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी अहिंसक फौज के रूप में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस देशवासियों के सामने थी और …
Read More »कोविड-19 : सांख्यिकी, विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना
प्रमोद रंजन कोविड के भय के अतिरेक ने अब तक एक ख़ास दिशा में विकसित हो रही मानव-सभ्यता और संस्कृति को एक गहरे संकट में धकेल दिया है। जिस दिशा में मानव जाति जा रही थी, उसकी अपनी कमियाँ थीं, लेकिन इस नये संकट ने इन प्रश्नों पर शीघ्र विचार करना आवश्यक बना दिया है कि हम कहाँ जा रहे …
Read More »मोदी सरकार के हिन्दी प्रेम के खतरे और सीमाएं
Dangers and limitations of Modi government’s Hindi love हिंदी दिवस पर विशेष – Special on Hindi Diwas लेखकों-बुद्धिजीवियों में एक बड़ा तबका है जो हिन्दी के नाम पर सरकारी मलाई खाता रहा है। इनमें वे लोग भी हैं जो कहने को वाम हैं, इनमें वे भी हैं जो सोशलिस्ट हैं, ये सब मोदी के हिन्दीप्रेम के बहाने सरकारी मलाई के …
Read More »यह मनुस्मृति का आधुनिक संस्करण है जो इस बार हिंदुत्व का नाम धर कारपोरेट की गोद में बैठकर आया है
हुआ वही जो होना था ? मगर क्यों हुआ जो नहीं होना था !! बादल सरोज सितम्बर के पहले सप्ताह में हुई जी – 2020 की अखिल भारतीय दाखिला प्रतियोगी परीक्षाओं में वही हुआ जो होना था। पहले दिन की परीक्षाओं में अनुपस्थिति डरावनी थी; करीब आधे ही परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों तक पहंच पाए। बाद के दिनों में भी जहां …
Read More »हरियाणा : सोशियो-इकोनॉमिक के मार्क्स मेरिट वाले बच्चों को खत्म कर रहे हैं
Marks of Socio-Economic are eliminating children with merit ( हरियाणा सरकार का तुगलकी आदेश- Tughlaqi order of Haryana government निम्न स्तर के बच्चों को सरकारी नौकरी में ला रहा है. मेरिट वाले मेहनती और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए हरियाणा में नौकरी के चांस (Job Chances in Haryana) न के बराबर हो गए हैं. वोट बैंक के लिए गरीबी और सरकारी …
Read More »रांगेय राघव : एक अहिंदीभाषी जिसने हिंदी को समृद्ध किया
हिंदी साहित्य के ‘शेक्सपियर‘ नाम से भी जाने जाते हैं रांगेय राघव Rangeya Raghav is also known as ‘Shakespeare’ of Hindi literature रांगेय राघव Rangeya Raghav (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन चंद विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावान रचनाकारों में से एक हैं, जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में …
Read More »भारत में अधिकतर पुलिस जातिवादी और सांप्रदायिक क्यों है
Why Police is Casteist and Communal Sometime back a video of a police officer from Maharashtra, Bhagyashree Navtake had gone viral wherein she is seen bragging about how she files false cases against Dalits and Muslims and tortures them. It represents a crude but true picture of social prejudices in India’s police force. दिसंबर 2018 में, महाराष्ट्र के एक पुलिस …
Read More »आत्मनिर्भरता के साथ जरूरी है आत्महत्याओं को रोकना
Preventing suicides is necessary with self-sufficiency कोरोना के कारण सबसे ज्यादा मार रोजगार पर पड़ी है। खास कर रोज कमाने खाने वालों पर। बात यहां तक आ पहुंची है कि समाधान, आत्महत्या में दिख रहा है। बेरोजगारी के ताजे आंकड़े (Fresh unemployment statistics) पर गौर करें तो स्थिति सुधरती नहीं दिख रही। जुलाई के सापेक्ष अगस्त माह में शहरी क्षेत्र …
Read More »इस्लामोफोबिया और साम्प्रदायिकता के वैश्विक प्रभाव
Hindi Article of Dr Ram Puniyani – Islamophobia Global Fall Out पैगंबर हजरत मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक पोस्टों (Offensive posts about Prophet Hazrat Mohammad) और कुरान की प्रतियां जलाने की प्रतिक्रिया स्वरूप (In response to burning copies of Quran) अभी हाल में अनेक हिंसक घटनाएं हुई हैं. नवीन कुमार, जो बेंगलुरू के एक कांग्रेस विधायक के भतीजे हैं, ने …
Read More »हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव में इस रविवार ऑस्ट्रेलिया से डॉ. भावना कुँअर का काव्यपाठ
नई दिल्ली, 10 सितंबर 2020. हस्तक्षेप डॉट कॉम के यूट्यूब चैनल के साहित्यिक कलरव अनुभाग (Sahityik Kalrav section of hastakshep.com ‘s YouTube channel) में इस रविवार 13 सितंबर 2020 को सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. भावना कुँअर (Dr.Bhawna Kunwar) का काव्य पाठ होगा। यह जानकारी देते हुए हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव के संयोजक डॉ. अशोक विष्णु शुक्ला व डॉ. कविता अरोरा ने बताया …
Read More »शिकागो भाषण से स्वामी विवेकानंद ने बजाया भारतीय अध्यात्म का डंका
शिकागो वक्तृता दिवस (11 सितम्बर) पर विशेष | Article on Chicago Speech Day (11 September) 11 सितम्बर 1893 को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में हिन्दू धर्म पर स्वामी विवेकानंद का भाषण | Swami Vivekananda‘s speech on Hinduism at the World Religion Conference in Chicago on September 11, 1893 स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायी मूलमंत्र | Inspirational Credentials of Swami Vivekananda युवाओं …
Read More »कंगना रनौत प्रकरण में नारीवादियों पर हमला
Attack on feminists in Kangana Ranaut case जब शिवसेना के गठबन्धन वाली महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government with Shiv Sena alliance) ने कंगना रनौत का अवैध निर्माण तोड़ने की कार्यवाही (Proceedings to break the illegal construction of Kangana Ranaut) शुरू की तब परोक्ष में कंगना का समर्थन करने वाली भाजपा की सोशल मीडिया सेना ने एक ओर तो उसकी एकाध अच्छी …
Read More »भारतेंदु हरिश्चंद्र के संपूर्ण लेखन का मूल स्वर साम्राज्यवाद-सामंतवाद विरोधी है
The basic tone of Bharatendu Harishchandra’s entire writing is anti-imperialism मनोज कुमार झा/वीणा भाटिया का यह विशेष आलेख “गुलामी की पीड़ा : भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रासंगिकता” हस्तक्षेप पर मूलतः 13 सितंबर 2017 को प्रकाशित हुआ था। Bharatendu Harishchandra Birth Anniversary (भारतेंदु हरिश्चंद्र के जन्म दिवस) 09 सितंबर को हस्तक्षेप के पाठकों के पाठकों के लिए उक्त लेख के संपादित रूप …
Read More »सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा।।
“सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा/ कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।… सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा।। There is an undeclared emergency situation in the country. देश गंभीर परिस्थितियों से गुजर रहा है। देश के हालात पर कुछ लिखना, कहना और विमर्श करना भी कठिन होता जा रहा है। एक अघोषित आपात काल जैसी स्थिति है। जो राष्ट्रीय चिंतन …
Read More »लूटखसोट मची है और डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों की बलि चढ़ाई जा रही है
The medical system in Uttarakhand is at a standstill. उत्तराखंड में चिकित्सा व्यवस्था ठप है। डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित होकर मर भी रहे हैं। पीपीई किट नहीं है। दवाएं नहीं हैं। कोरोना के आंकड़े बढ़ाकर लूटखसोट मची है और डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों की बलि चढ़ाई जा रही है। भत्ते बन्द हैं। इंक्रीमेंट पर रोक है। वेतन में कटौती की जा …
Read More »राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और मुस्लिम समुदाय
National Education Policy 2020 and Muslim Community करीब 34 साल बाद देश को नई शिक्षा नीति 2020 (New education policy) मिली है जो कि आगामी कम से कम दो दशकों तक शिक्षा के रोडमैप की तरह होगी. यह नीति इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे देश की पहली पूर्ण बहुमत वाली हिन्दुतत्ववादी सरकार द्वारा लाया गया है जिसने इसे बनाने …
Read More »मनमोहन सिंह के बच्चे : विदेशी धन का यह फंदा काटना ही होगा
यह लेख हिंदी मासिक ‘युवा संवाद’ के दिसंबर 2012 अंक में ‘समय संवाद‘ स्तंभ के अंतर्गत छपा था। ‘भ्रष्टाचार विरोध : विभ्रम और यथार्थ’ (वाणी प्रकाशन) पुस्तक में भी संकलित है। मौजूदा सरकार द्वारा देश बेचने का काम (Selling the country by the current government) देश के ही नाम पर तेज़ी से किया जा रहा है। कुछ लोगों में इसे …
Read More »प्रश्नकाल की अवहेलना संसदीय प्रजातंत्र के मूल चरित्र की अवहेलना है
The violation of the Question Hour is a violation of the basic character of parliamentary democracy. प्रश्नोत्तर काल (Question Hour) संसदीय व्यवस्था की आत्मा (Soul of parliamentary system) होता है। प्रश्न पूछकर सांसद या विधायक सच पूछा जाए तो सरकार की मदद करते हैं। The Q&A period was suspended during the Emergency as well. आपातकाल के दौरान भी प्रश्नोत्तर काल …
Read More »बोलते नहीं सिहरन पैदा करते हैं जगदीश्वर चतुर्वेदी, उनकी बातें चेतना की गहराई में धँस जाती हैं
जगदीश्वर चतुर्वेदी : व्यक्तित्व एवं विचारधारा | Jagdishwar Chaturvedi: Personality and Ideology Professor Jagadishwar Chaturvedi is an example for the education world आज हम ऐसे दौर में हैं जहां ज्ञानवान, ईमानदार, बेबाक, समय के पाबंद, विद्यार्थियों के साथ उदार एवं मित्रवत व्यवहार रखने वाले, समस्या के समय विद्यार्थियों को सही परामर्श देने वाले मर्मज्ञ शिक्षकों का घोर अभाव है। ऐसे …
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