मिलजुलकर मनायें आपसी प्रेम और सद्भाव का प्रतीक लोकपर्व होली : डॉ पी एन अरोड़ा

hastakshep
17 Mar 2022
मिलजुलकर मनायें आपसी प्रेम और सद्भाव का प्रतीक लोकपर्व होली : डॉ पी एन अरोड़ा मिलजुलकर मनायें आपसी प्रेम और सद्भाव का प्रतीक लोकपर्व होली : डॉ पी एन अरोड़ा

Celebrate Lokparv Holi, a symbol of mutual love and harmony together: Dr PN Arora

गाजियाबाद, 17 मार्च 2022. यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी, गाजियाबाद के एमडी डॉ पी एन अरोड़ा ने रंगोत्सव होली के शुभ अवसर पर गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश, देश की जनता एवं हस्तक्षेप डॉट कॉम के पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ाने वाली होली भारत का एक प्रमुख त्यौहार है जिसे हर धर्म में मनाया जाता है। अपनी इस सांस्कृतिक विरासत एवं त्योहार को सब लोग एक साथ मिलकर खूब धूम-धाम से अपने परिवार व दोस्तों के साथ मनाएं।

उन्होंने आगे कहा कि इस दिन सभी एक दूसरे के साथ अपने गिले-शिकवे भुलाकर, कुटिल भावनाएं एवं राग-द्वेष मिटाकर, गुलाल लगाकर, गले मिलकर, मिठाई खिलाएं व त्यौहार की शुभकामनाएं दें।

उन्होंने कहा कि 2022 की होली आत्मीयता एवं प्यार की 2019 व उससे पहले की होली की तरह मनाएं। क्योंकि कोरोना काल में दो वर्षों की होली और इसके पीछे छिपी सामूहिक भावना को नीरस बना दिया था, जिससे अब उबरने की जरूरत है।

जीवन की गति में कभी समानता नहीं होती, यही सीख देते हैं होली के विविध रंग

उन्होंने कहा कि इस पर्व पर हर किसी के मन में एक उमंग है, एक खुशी है और उल्लास है। होली के विभिन्न रंग हमें जीवन का ये ही संदेश देते हैं कि हमारा जीवन इसी तरह के रंगों की तरह सराबोर रहे, क्योंकि जीवन में कभी प्रेम आता है, तो कभी उदासी आती है। कभी आगे बढ़ने की क्षमता प्राप्त होती है, तो कभी आसमान को छू लेने की आकांक्षा/हसरत बढ़ने लगती है। कभी दु:खों के घनघोर बादल छाते हैं, तो कभी खुशियों से जीवन नाचता-झूमता है। यानी कि जीवन की गति में समानता नहीं होती। कभी सुख, कभी दुःख, कभी विरह, कभी मिलन, कभी इंसानी जीवन आगे, तो कभी यही जीवन हमें बहुत पीछे धकेल देता है। ये रंग हमें ये ही समझाते हैं।

होली खेलने के गलत तरीके पर डॉ अरोड़ा ने जताई चिंता

डॉ अरोड़ा ने आजकल होली खेलने के गलत तरीके पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कोई ग्रीस से होली खेलता है, तो कोई कालिख से। यह ठीक नहीं है दोस्तों। आपके रंगों से या किसी तरह की अनुपयोगी चीजों से आप होली खेलोगे तो इससे किसी का नुकसान हो जाएगा। कोई आहत न हो, किसी को दुःख न हो, इस तरह से खेलें होली, तभी होली का मजा है।

डॉ अरोड़ा ने लोगों से प्राकृतिक एवं हर्बल रंगों से होली खेलने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने सूखी होली खेलने पर जोर देते हुए कहा कि जल ही जीवन है। आइये प्रण लें कि हम सूखे रंगों से होली खेल कर अपनी आने वाले पीढ़ी के लिए जल संचय करेंगे। होली त्योहार है उत्साह और उमंग का, पर्यावरण को दूषित करने का कतई नहीं। मनाइए इस बार होली फ्रेंडली और हेल्दी तरीके से। रंगों के होते कई नाम, कोई कहे पीला कोई कहे लाल, हम तो जाने बस खुशियों की होली, राग द्वेष मिटाओ और मनाओ होली।

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