Advertisment

6 फरवरी को पूरे प्रदेश में चक्का जाम, धरना, प्रदर्शन : छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन

author-image
hastakshep
03 Feb 2021
किसान सभा सदस्यों ने रखा उपवास, दिया सदभावना का संदेश

Advertisment

Chakka jam, picket, demonstration across the state on 6 February: Chhattisgarh Kisan Andolan

Advertisment

रायपुर, 03 फरवरी 2021. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठन भी पूरे प्रदेश में चक्का जाम, धरना और प्रदर्शन करेंगे। यह आंदोलन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने तथा केंद्र सरकार के किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट के खिलाफ किया जाएगा।

Advertisment

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला, नंद कश्यप आदि ने किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली में धरनारत किसानों और इस आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों के दमन की तीखी निंदा की है।

Advertisment

उन्होंने कहा कि सरकार के किसी भी कानून या फैसले के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करना इस देश के हर नागरिक का अधिकार है, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी की है। लेकिन इस आंदोलन को कुचलने के लिए यह सरकार भाड़े के टट्टू असामाजिक तत्वों और संघी गिरोह का इस्तेमाल कर रही है। 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा इसी का परिणाम थी, जिसकी आड़ में किसान आंदोलन को बदनाम करने की असफल कोशिश इस सरकार ने की है।

Advertisment

उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार तीन किसान विरोधी कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रख रही है, लेकिन दूसरी ओर अपने बजट प्रस्तावों के जरिये ठीक इन्ही कानूनों को अमल में ला रही है। इस वर्ष के बजट में वर्ष 2019-20 में कृषि क्षेत्र में किये गए वास्तविक खर्च की तुलना में 8% की और खाद्यान्न सब्सिडी में 41% की कटौती की गई है। इसके कारण किसानों को मंडियों और सरकारी सोसाइटियों की तथा गरीब नागरिकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जो सुरक्षा प्राप्त है, वह कमजोर हो जाएगी। इस बार के बजट में फिर किसानों की आय दुगुनी करने की जुमलेबाजी की गई है। इस बजट के जरिये जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर डकैती डालने की कोशिश की जा रही है, जिस पर किसानों और आदिवासियों का अधिकार है। इससे मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।

Advertisment

किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा है कि देश का किसान इन काले कानूनों की वापसी के लिए खंदक की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का कारपोरेटीकरण देश की समूची अर्थव्यवस्था, नागरिक अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह करने वाला साबित होगा। इन सत्यानाशी नीतियों के खिलाफ 6 फरवरी को पूरे छत्तीसगढ़ में सड़कों को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

Advertisment

उन्होंने कहा कि जब तक ये सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, किसानों का देशव्यापी आंदोलन जारी रहेगा।





Advertisment
सदस्यता लें