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Climate change will cause trouble for players in Tokyo Olympics
'Rings of Fire: How Heat Could Impact the 2021 Tokyo Olympics'
नई दिल्ली, 27 मई 2021. ओलिंपिक खेलों की पहचान हैं वो पांच आपस में तरतीब से फंसे हुए रिंग्स। लेकिन इस साल जुलाई में टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों में, वैज्ञानिकों की मानें तो, वो पांच रिंग्स या छल्ले, आग के छल्लों से कम नहीं होंगे।
दरअसल दुनिया के कुछ चुनिन्दा एथलीटों द्वारा समर्थित एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से प्रेरित गर्मी और उमस के उच्च स्तर जुलाई में टोक्यो ओलंपिक में प्रतियोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकते हैं।
ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबिलिटी इन स्पोर्ट (British Association for Sustainability in Sport - BASIS) और लीड्स विश्वविद्यालय में प्रीस्टली इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट (Priestley International Center for Climate) तथा पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय की चरम पर्यावरण प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के इस अध्ययन का शीर्षक है 'रिंग्स ऑफ फायर: हाउ हीट कुड इम्पैक्ट द 2021 टोक्यो ओलंपिक्स’ और इसमें शामिल एथलीट्स में प्रमुख रूप से हैं ट्रायएथलीट्स, रोवर्स (नाव चलाने वाले), टेनिस खिलाड़ी, मैराथन धावक। इस शोध में वैज्ञानिकों द्वारा एथलीटों को गर्मी की मुश्किल परिस्थितियों से निपटने की सलाह भी दी गयी है।
Tokyo 2020: Japan's heat will impair Olympic athletes' performance, says report
मामले की गम्भीरता को इस बात से समझ सकते हैं कि जापान की राजधानी टोक्यो 2021 ओलंपिक का मेज़बान है और वहां औसत वार्षिक तापमान 1900 के बाद से 2.86 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह दुनिया के औसत से तीन गुना तेज़ी के साथ हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 1990 के दशक से टोक्यो में अधिकतम दैनिक तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना आम हो गया है, जबकि 2018 में एक क्रूर टोक्यो हीटवेव असंभव होता।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जाने-माने ब्रिटिश रोवर, मेल विल्सन, कहते हैं
"मुझे लगता है कि हम निश्चित रूप से एक खतरे के क्षेत्र में आ रहे हैं... यह एक भयानक क्षण है जब आप एथलीटों को लाइन पार करते हुए देखते हैं, उनके शरीर पूरी तरह से थकावट की चपेट में गिर जाते हैं, और फिर नहीं उठते हैं।"
आगे, पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में एक्सट्रीम एनवायरनमेंट लेबोरेटरी, स्कूल ऑफ स्पोर्ट, हेल्थ एंड एक्सरसाइज़ साइंस में ह्यूमन एंड एप्लाइड फिजियोलॉजी के प्रोफेसर, माइक टिपटन, कहते हैं, "ओलंपिक आयोजकों को इस रिपोर्ट में दी गई चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए वरना उन्हें गर्मी की थकावट से प्रतियोगियों के ढहने के वास्तविक जोखिम का सामना करना पड़ेगा।”
वहीँ ब्रिटिश ट्रायएथलॉन फेडरेशन के मुख्य कोच, बेन ब्राइट, कहते हैं,
"रेस के दिन 1-2 डिग्री के अंतर का इस बात पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा कि क्या इवेंट चलाना सुरक्षित है।"
बाहरहाल, नतीजतन हुआ ये हैं कि मैराथन और साइकिलिंग की कार्यक्रमों को पहले से ही ठंडे आबहवा में स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन जुलाई में आगे बढ़ने से पहले अन्य खेलों को सुरक्षा जांच का सामना करना पड़ सकता है - जबकि IOC (आईओसी) को वैश्विक तापमान वृद्धि को देखते हुए भविष्य के स्थल मानदंडों में जलवायु डाटा को एकीकृत करने की आवश्यकता हो सकती है। यादों में अभी 2019 दोहा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ध्वस्त एथलीटों की तस्वीरें अभी ताज़ा हैं और आयोजकों ने पहले ही स्वीकार कर लिया है कि टोक्यो में गर्मी और उमस का स्तर एक बुरा ख़्वाब साबित हो सकता है।
बीजिंग 2008 ओलंपिक एथलीट और अब तक की दूसरी सबसे तेज़ ब्रिटिश महिला मैराथन धावक, मारा यामुइची, कहती हैं, "मुझे निष्कपट आशा है कि एथलीटों की भावी पीढ़ी ओलंपिक मैराथन में सुरक्षित रूप से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगी, क्योंकि मैं ऐसा करने में भाग्यशाली रही। लेकिन गर्म वातावरण में प्रतिस्पर्धा करने वाले सभी मैराथन धावकों के लिए अधिक से अधिक गर्मी का अनुकूलन (के आदी होना) आवश्यक हो जाएगा, न कि (सिर्फ) वांछनीय।"
2021 प्रमुख आयोजनों का वर्ष है, जिसमें नवंबर में ग्लासगो, स्कॉटलैंड में वार्षिक COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन हो रहा है। सभी देशों द्वारा तेल, गैस और कोयले के उपयोग में कटौती के लिए कठिन लक्ष्यों की घोषणा होने की उम्मीद की जाती है - हालांकि प्रमुख कोयला उपयोगकर्ता जापान अब तक स्वच्छ ईंधनों को अपनाने के प्रयासों का विरोध कर रहा है।
BASIS के CEO, रसेल सीमोर, कहते हैं,
"वो समय आ गया है कि प्रमुख वैश्विक खेल आयोजनों के आयोजक जलवायु को प्रभावित करें, साथ ही पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी को भी जो यह तय करने में एक मुख्य कारक है कि उन्हें कहां और कैसे होस्ट किया जाना चाहिए। जैसा कि इस रिपोर्ट से पता चलता है, हम जलवायु परिवर्तन को मामूली चिंता की तरह मानने का व्यवहार जारी नहीं रख सकते। एथलीटों और दर्शकों के लिए जोखिम एक केंद्रीय चिंता का विषय है।”
डॉ. सीमा जावेद
पर्यावरणविद, वरिष्ठ पत्रकार और
जलवायु परिवर्तन की रणनीतिक संचारक