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कोयला संकट सार्वजनिक क्षेत्र को तबाह करने की नीतियों का परिणाम - वर्कर्स फ्रंट

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hastakshep
09 Oct 2021
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Coal crisis a result of policies to destroy the public sector - Workers Front

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लखनऊ, 8 अक्टूबर 2021, विद्युत उत्पादन गृहों में हो रही कोयले की कमी व संकट (Coal shortage and crisis in power generation houses) सरकार के ऊर्जा के प्रमुख स्रोत कोयला को निजी हाथों में देने और सार्वजनिक क्षेत्र को तबाह करने की नीति का परिणाम है। आज कोयले की इस कमी से प्रदेश में बिजली का संकट खड़ा हो रहा है और आम आदमी को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। इसके खिलाफ आम जनता में वर्कर्स फ्रंट जन जागरण अभियान चलाकर सरकार की निजीकरण की नीतियों के बारे में बतायेगा।

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यह बातें वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में दी।

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उन्होंने कहा कि सरकार ने खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम 2020 द्वारा कोयला खनन क्षेत्र में कोल इंडिया लिमिटेड का एकाधिकार खत्म कर सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत देकर कारपोरेट कम्पनियों को खुले बाजार में कोयले की खरीद फरोख्त की छूट दे दी है। इन देशी-विदेशी कम्पनियों को कोयले के निर्यात की भी छूट दे दी है। देश में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत कोयले की इस लूट ने आज आपूर्ति के संकट को जन्म दिया है। इस कोयले की कमी से प्रदेश में बिजली का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हरदुआगंज, पारीछा, ललितपुर, मेजा व रोजा की कई उत्पादन ईकाइयां बंद पड़ी है और अनपरा व ओबरा में भी उत्पादन प्रभावित हुआ है। प्रदेश के ताप बिजलीघरों का उत्पादन 3000 मेगावाट रह गया है जबकि मांग 17000 मेगावाट है। परिणामतः बिजली की कटौती करनी पड़ रही है।

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दरअसल सरकार देशी विदेशी कारपारेट घरानों के हितों के लिए देश के सार्वजनिक क्षेत्र को तबाह करने पर आमादा है जिसके खिलाफ जन जागरण अभियान चलाया जायेगा।

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