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कॉमरेड क्या ऐसे ही 'भाजपा हराओ और वामपंथ को मजबूत करो' नारा साकार होगा?

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Guest writer
07 Jan 2022
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कॉमरेड क्या ऐसे ही 'भाजपा हराओ और वामपंथ को मजबूत करो' नारा साकार होगा?

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उत्तर प्रदेश में भाजपा हराने के लिए धारदार विपक्ष की एकता बने या सपा के तरफ से आए यह बयान कि भाकपा (माले) राष्ट्रीय महासचिव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में लोकतंत्र सशक्त हो सकता है और इनकी समावेशी राजनीति और राजनैतिक सोच मौजूदा समय के लिए बेहद जरूरी है। इस  दो तरह के बयान एक दूसरे के अन्तर विरोधी हैं....

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लेकिन पहले हम अपनी बात यहाँ से शुरू करना चाहते हैं...

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एक नारा देखा हमने कि भाजपा हराओ वामपंथ मजबूत करो ( सीपीआई के तरफ से आया है) माकपा भाकपा की बात अभी छोड़ दे. अभी वहीं कुछ लोगों से जो हमें जानकारी मिली कि भाकपा (माले) राष्ट्रीय महासचिव, राज्य सचिव, पोलिट ब्यूरो सदस्य, केन्द्रीय कमेटी सदस्य घंटों सपा के दफ्तर में सपा नेतृत्व से चुनाव के सम्बन्ध में बात करने के लिए बैठे रहे। खैर यह इनका निजी मामला है, वह कहीं जाए, किसी से भी वार्ता करें. लेकिन लम्बे समय हम इस पार्टी में रहे हैं और जब यह नारा दिया जहाँ एक वामपंथी द्वारा नारे दिए जाते है कि भाजपा हराओ और वामपंथ को मजबूत करो (यह नारा वामपंथी दलों की बैठक के बाद जो फेसबुक आया था) का क्या मतलब है? उत्तर प्रदेश में जो कुछ आधार और वामपंथी प्रतिष्ठा है वह माकपा की है! लेकिन भाजपा हराओ और वामपंथ को मजबूत करो, का क्या मतलब है?

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दो दिन पहले आप तय करते हैं कि वामपंथी ताकत को एकजुट करना है, एकजुट होकर चुनाव लड़ना है, वामपंथ को मजबूत करना हैं और ठीक दो दिन के बाद आपका राष्ट्रीय नेतृत्व सपा नेतृत्व से मिलने के लिए उनके दफ्तर में घंटों बैठा रहता है, यह समझ से परे है.

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इसको हम यही समझें कि बिहार में जिस तरह से राजद से आपने दोस्ती की उसी तरह आप उत्तर प्रदेश में भी कर रहे हैं. अभी तक पार्टी से पार्टी की वार्ता होती थी! आप वामपंथ मजबूत करो की बातें करते हैं लेकिन आप कितने सीटों पर लड़ेंगे, यह भी सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं जबकि भाकपा ने दर्जनों सीट लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी है।

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वामपंथ की आपस में भी समझदारी नहीं बनी है। सपा से आपका गठबंधन होता है, तो अन्य वामपंथी दलों के साथ चुनाव में आपका चुनावी सम्बन्ध क्या होगा? यह भी साफ होना चाहिए।

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वहीं हमारे सामने दो तरह के बयान सामने आ रहे हैं। एक सपा उत्तर प्रदेश के प्रमुख प्रवक्ता ने कहा कि सीपीआई (एम एल) के नेताओं ने कहा है कि श्री अखिलेश यादव की समावेशी राजनीति और राजनैतिक सोच मौजूदा समय में जरूरी है और उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही लोकतंत्र सशक्त रह सकता है! वहीं भाकपा माले के तरफ से यह बयान आ रहा हैं कि भाजपा हराने के लिए विपक्षी एकता बनाने के लिए यह वार्ता हुयी है। अब कौन सही बयान है और कौन गलत, हम क्या कह सकते हैं? लेकिन यह जरूर है भाकपा की तरफ से यह जो नारे हैं वह भाजपा हराओ और वामपंथ मजबूत करो, तो क्या वामपंथी दलों का आपस में सीटों पर एकताबद्ध होकर चुनाव लड़ने की समझदारी बन गयी है, जो सपा से भाजपा हराने के लिए विपक्ष की एकता पर बात करने के लिए माले का राष्ट्रीय नेतृत्व सपा नेतृत्व से मिलने सपा मुख्यालय पहुँच गया, यह भी साफ होना चाहिए।

अजय राय

लेखक लम्बे समय तक भाकपा माले के होलटाइमर थे और अब आईपीएफ उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी के सदस्य हैं। यह उनका अपना विचार है।

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