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Comrade Govind Pansare memorial meetings in Indore
कॉमरेड गोविंद पानसरे की स्मृति में परिचर्चा” Discussion in memory of Comrade Govind Pansare "
There is a similarity in the killing from Gandhi to Gauri Lankesh
इंदौर, 21 फरवरी 2020. गांधी से लेकर गौरी लंकेश तक की हत्या में एक समानता है, इन चारों के हत्यारे संकीर्ण विचारधारा के वाहक थे। महात्मा गांधी, नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी (Mahatma Gandhi, Narendra Dabholkar, Govind Pansare, MM Kalburgi) चारों वरिष्ठ नागरिक से जिन्हें अपनी सोच के कारण मार डाला गया। कॉमरेड गोविंद पानसरे कि 5 वर्ष पूर्व आज ही के दिन हत्या हुई थी।
ये विचार वरिष्ठ कवि सुरेश उपाध्याय ने व्यक्त किए वे प्रगतिशील लेखक संघ, भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) इकाई एवं भारतीय महिला फेडरेशन इंदौर द्वारा कॉमरेड गोविंद पानसरे की शहादत पर आयोजित कार्यक्रम “विवेक पर हमला” में कल बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कॉमरेड पानसरे जिस स्कूल में पढ़े उसी में नौकरी की तथा उसी स्कूल में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी बने। उनकी हत्या उनके निडर और तार्किक विचारों और कार्यों की वजह से की गई थी जो उनसे वैचारिक रूप से सहमत नहीं थे। उसी कुंठा में गांधी की हत्या के 71 वर्ष बाद भी उनके पोस्टर पर गोली मारी जा रही है। अब देशवासी उठ खड़े हुए हैं देश का संविधान बचाने के लिए। कॉमरेड पानसरे की 21 पुस्तकें प्रकाशित हुई थी, वे सदैव अपने साथियों को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष के लिए प्रेरित करते थे। कॉमरेड उपाध्याय ने अपने वक्तव्य का समापन अपनी ही एक कविता से किया
“तर्क, विवेक, विचार”
“आधुनिक व वैज्ञानिक दृष्टि”
“भेदे न जा सकेंगे”
“भय आतंक व हत्याओं से”
“हजारों - हजार दाभोलकर”
“पानसरे व कलबुर्गी उठेंगे”
“आगे बढ़ेंगे व प्रतिगामी”
“विचारों को ध्वस्त करेंगे”
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सारिका श्रीवास्तव ने कहा कि कॉमरेड पानसरे की हत्या उनके विचारों के अलावा पुस्तक "शिवाजी कौन" के कारण हुई, जिसमें कॉमरेड पानसरे ने प्रमाणित किया था कि शिवाजी मुस्लिम विरोधी नहीं उदार शासक थे। वे एक मुस्लिम सूफी संत के अनुयाई थे। सारिका ने पानसरे की हत्या के बाद उनके परिजनों से मिलने व उनकी कर्मभूमि की यात्रा का उल्लेख करते हुए उनके विचारों को विस्तारित करने का आह्वान किया।
हरनाम सिंह ने अपने वक्तव्य में प्रगतिशील लेखक संघ के 11 सदस्य दल द्वारा वर्ष 2016 में की गई उस यात्रा का उल्लेख किया, जिसमें शहीद लेखकों विचारकों डॉ दाभोलकर, कॉमरेड पानसरे एवं प्रोफेसर कलबुर्गी के गृह नगर में एकजुटता व्यक्त करने के लिए पहुंची थी। कोल्हापुर में कॉमरेड पानसरे की पत्नी उमा पानसरे और बहू मेघा पानसरे से हुई आत्मीय मुलाकात तथा 20 फरवरी 2016 को पानसरे के सहकर्मियों, मॉर्निंग वॉक के साथियों द्वारा निकली "निर्भय मॉर्निंग वॉक" में शामिल होने की जानकारी दी।
एसयूसीआई के प्रमोद नामदेव ने कहा कि संघ द्वारा इतिहास से छेड़छाड़ कर शिवाजी के चरित्र को बदलने का प्रयास किया गया है। कॉमरेड पानसरे की पुस्तक शिवाजी कौन पढ़ने के बाद ही ज्ञात हुआ कि शिवाजी धर्मांध नहीं थे। कॉमरेड पानसरे ने अंधविश्वास और कुरीतियों के विरुद्ध जंग सी छेड़ दी थी, उन्हें धमकियां दी जा रही थी। कॉमरेड पानसरे के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समाज में फैलाने तथा सही इतिहास को पुनर्स्थापित करने की जरूरत है।
आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश इकाई के सचिव केसरी सिंह चिडार ने नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्थापित अंधविश्वास निर्मूलन समिति की पुणे कार्यशाला में शामिल होने की जानकारी देते हुए कहा कि पाखंड का विरोध करना जरूरी है। विचारों को किसी गोली से मारा नहीं जा सकता विचारों का यह आंदोलन निरंतर जारी रहे ऐसे प्रयास होते रहना चाहिए।
इस अवसर पर आनंद पटवर्धन द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म “विवेक” के दो हिस्सों का प्रदर्शन भी किया गया जिसमें दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश को कायराना तरह से जान से मारने के पीछे की वजहों को उजागर किया गया था।
इसी फिल्म का प्रदर्शन रात 10 बजे इंदौर की बड़वाली चौकी पर भी किया गया जहाँ शाहीन बाग़ की तर्ज़ पर हजारों लोग एनआरसी, एनपीआर और सीएए के विरोध में शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं। यहाँ हुई सभा को वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. जया मेहता ने संबोधित करते हुए कहा कि आज जिस संघर्ष में आप लोग शामिल हुए हो, उसकी अलख पानसरे जैसे लोगों ने अपनी शहादत देकर जलाए रखी है, इसलिए हमें अपने संघर्ष की विरासत और तासीर जाननी ही चाहिए। आप कन्हैया की तरह जैसे भुखमरी और ग़रीबी और जातीय,बधार्मिक और लैंगिक भेदभाव से आज़ादी के नारे लगाते हैं, वो आज़ादी समाजवाद से ही आएगी।
सभा को प्रलेस के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी और महिला फेडरेशन की राज्य सचिव सारिका श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। इस मौके पर इप्टा के विजय दलाल और अशोक दुबे व अन्य सभी ने मिलकर “अमन के हम रखवाले, सब एक हैं एक हैं” तथा “नफरतों के जहान में हमको प्यार की बस्तियाँ बसानी हैं” गीत गाये।
- हरनाम सिंह