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कानपुर में सीएए-विरोधी महिलाओं के धरने पर लाठीचार्ज की निंदा की
Condemned lathi charge on anti-CAA women protest in Kanpur
लखनऊ, 10 फरवरी। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने सरकारी नौकरियों व प्रोन्नतियों में दलित-आदिवासियों को आरक्षण देने को अनिवार्य करने के बजाए उसे राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ने वाले ताजा आदेश को निराशाजनक बताते हुए इसके लिए भाजपा और उसकी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी एक बयान में इस आदेश को सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया। कहा कि इस आदेश के व्यवहारिक क्रियान्वयन में नौकरियों में वंचित समूहों को आरक्षण मिलना ही बंद हो जाएगा। भाजपा और उसका पितृ संगठन आरएसएस यही चाहते भी हैं। कई मौकों पर आरएसएस प्रमुख इसका इजहार भी कर चुके हैं। न्यायालय के ताजा आदेश की पृष्ठभूमि में उत्तराखंड का एक मामला था, जहां भाजपा की सरकार है। मनुस्मृति में विश्वास करने वाले संघ, भाजपा यदि दलितों-आदिवासियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित न होते, तो उसके अधिवक्ता शीर्ष न्यायालय में आरक्षण के खिलाफ पैरवी न किये होते।
माले नेता ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी गणराज्य बनाने व सामाजिक न्याय मुहैया कराने की बात कही गई है। आरक्षण हाशिये के सामाजिक समूहों को साथ लेकर संविधान की उद्देशिका को मूर्त रूप देने का एक प्रमुख साधन है। इसे सरकारों के विवेक पर छोड़ना लोकतंत्र में आगे जाने के बजाए पीछे लौटने जैसा कदम है।
कहा कि ताजा आदेश में यह भी कहा गया है कि आरक्षण देने के लिए संबंधित राज्य सरकार को सर्वे करके पहले इस बात के आंकड़े भी जुटाने होंगे कि लाभ पाने वाले सामाजिक समूह यानि दलित, आदिवासी आदि जातियों का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व कम है, जबकि आरक्षण न देने के लिए ऐसी किसी कवायद की जरूरत नहीं है। यह आदेश वंचित समूहों पर भारी बैठेगा और सामाजिक न्याय देने से पल्ला झाड़ने वाले राज्य सरकारों की राह को आसान बनाएगा।
माले राज्य सचिव ने केंद्र सरकार से इस आदेश को पलटवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने से लेकर सभी जरूरी कदम उठाने की मांग की, ताकि नियुक्तियों से लेकर प्रोन्नतियों तक में कोई भी सरकार दलितों-आदिवासियों को वंचित न कर सके।
इसी बीच, एक अन्य बयान में माले राज्य सचिव ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ कानपुर में चमनगंज के मोहम्मद अली पार्क में कई सप्ताह से चल रहे महिलाओं के धरने को बीती आधी रात महिला पुलिस से लाठी चार्ज करवा कर बलपूर्वक खत्म कराने की प्रशासनिक कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। बयान में माले नेता ने कहा कि योगी सरकार इस तरह से दमन के बल पर लोकतांत्रिक अधिकारों को नहीं कुचल सकती। इसका जवाब आंदोलन को तेज कर देना होगा।