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कांग्रेस ने आजमगढ़ में लगवाए अखिलेश यादव के लापता होने के पोस्टर
Congress put up posters of Akhilesh Yadav's disappearance in Azamgarh
लखनऊ, 08 फरवरी 2020. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के बिलरियागंज स्थित पार्क में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर योगी सरकार के दमन तथा नौजवानों, नाबालिगों की गिरफ्तारी और उनके उत्पीड़न पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की चुप्पी पर कांग्रस ने सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस ने आजमगढ़ से वर्तमान सांसद अखिलेश यादव, जो कि अब तक घटनास्थल पर नहीं पहुंचे हैं, पर सवाल उठाते हुए उनके लापता होने के पोस्टर पूरे आजमगढ़ शहर में लगाए हैं।
पोस्टर में लिखा गया है कि आजमगढ़ में चुनाव जीतने के बाद से आज तक अखिलेश यादव वापस आजमगढ़ नहीं आए हैं।
इस संबंध में जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम से बात की गई तब उन्होंने इस पूरी घटना और योगी सरकार के ’बदला’ लेने की कार्यवाही पर समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलिश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाया।
श्री आलम ने कहा कि अखिलेश यादव जिस तरह से योगी आदित्यनाथ सरकार की मदद करते हुए मुसलमानों से वोट लेकर भी उनके उत्पीड़न पर चुप हैं वह साबित करता है कि इस उत्पीड़न पर उनकी योगी सरकार से सहमति है। इसीलिए आज तक वह घटना के पीड़ितों से मिलने खुद नहीं गए। कांग्रेस ने इसीलिए उनके खिलाफ ’लापता’ होने का पोस्टर आजमगढ़ में लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि जब हिन्दुत्व की बयार में उनका जातिगत बेस भाजपा के साथ चला गया तब उनकी और उनके पिता की इज्जत आजमगढ़ के मुसलमानों ने बचाई थी। लेकिन हिन्दुत्व की नफरती राजनीति के सच्चे समर्थक- हितचिंतक होते हुए वह योगी सरकार की मदद करते हुए आज मुसलमानों के उत्पीड़न पर जिस तरह से चुप हैं वह साबित करता है कि वह घोर सांप्रदायिक और मुसलमान विरोधी हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सपा मुखिया ने अपने मुस्लिम विधायकों को आगे करके साबित कर दिया है कि वो खुद अपने जातिगत जनाधार के दबाव में वहां नहीं जा रहे हैं।
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शाहनवाज आलम ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग यह कहते हुए घूम रहे हैं कि उनके विधायक आलमबदी और नफीस अहमद घटनास्थल पर जमे हुए हैं और पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सीएए/नागरिकता संशोधन कानून पर लड़ रहे लोगों की मदद केवल मुस्लिम विधायक ही करेंगे? आखिर अखिलेश यादव यहां खुद क्यों नहीं जाना चाह रहे हैं? क्या ऐसा इसलिए है कि उन पर उनके बेस वोट की सांप्रदायिकता का दबाव है?
शाहनवाज आलम ने कहा कि अगर अखिलेश यादव धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति होते तो अपने पिता मुलायम सिंह यादव जी के संसद में दिए उस बयान से उसी वक्त असहमति जताते जब उन्होंने कहा था कि वो नरेन्द्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं? अगर वो चाहें तो अब भी अपने पिता के इस बयान के लिए उनकी सार्वजनिक निंदा कर या उनकी तरफ से मुसलमानों से माफी मांग कर अपने मुस्लिम विरोधी न होने का प्रमाण दे सकते हैं।
शाहनवाज आलम ने कहा कि अखिलेश यादव के परिवार की मुस्लिम विरोधी जेहनियत इससे भी साफ हो जाती है कि हिन्दुत्व की आंधी में जब आजमगढ़ के मुसलमानों ने मुलायम सिंह यादव की इज्जत बचाई थी तब भी उन्होंने गोद लेते वक्त ’तमोली’ जैसा गांव चुना जहां एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता।