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Congress said that this is not only due to natural disaster, two days of waiting for the rites
नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2021. कांग्रेस ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच सरकार की नाकामी पर कहा है कि पिछले कुछ दिनों में जितनी हैल्पलेसनेस, बेबसी और लाचारी महसूस हो रही है, शायद उतनी जिंदगी में कभी भी नहीं हुई।
आज एक लाइव प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि अभी पिछले कुछ दिनों में जितनी हैल्पलेसनेस, बेबसी और लाचारी महसूस हो रही है, शायद उतनी जिंदगी में कभी भी नहीं हुई। कोई ऐसा घंटा नहीं जाता, जब एक घंटे के अंदर हमारे किसी जानने वाले का, किसी मीडिया के साथी का, किसी रिश्तेदार का, किसी पॉलिटिकल दोस्त/साथी का फोन ना आ जाए कि अस्पताल चाहिए, ब्लड प्लाज्मा चाहिए, ऑक्सीजन चाहिए और हद तो तब हो जाती है जब लोग सिफारिश करते हैं, जो आज तक कभी भी जिंदगी में सिफारिश नहीं आती कि संस्कार करना है और संस्कार के लिए दो दिन की वेटिंग है, हमें संस्कार जल्दी करवा दीजिए, हमारा नंबर जल्दी श्मशान घाट में जो केयर टेकर हैं, उसे कहकर जल्दी करा दीजिए। ऐसी सिफारिशें, ऐसे हालात हमारे देश के अंदर पैदा हुए हैं कि बहुत दुख होता है कि आज हम लोग राजनीति में रहकर भी हम किसी की भी कुछ भी मदद चाह कर भी नहीं कर सकते। हमारे देश के अंदर, एक-एक दिन के अंदर साढ़े तीन लाख केस हो रहे हैं। लगभग 1 करोड़ 65 लाख से ज्यादा कुल केस हो चुके हैं। ढाई हजार केस हमारे देश के अंदर, एक – एक दिन के अंदर लोगों की मृत्यु हो रही है। कुल 1 लाख 88 हजार के करीब लोग मृत्यु को पा चुके हैं, कोविड की वजह से और ये सब चीजें जो हो रही हैं, ये केवल प्राकृतिक आपदा की वजह से नहीं है।
Highlights of Press Briefing
Ajay Maken, General Secretary and Pawan Khera, Spokesperson, addressed the media via video conferencing, today.
अजय माकन ने कहा कि
दुख की बात ये है कि अब जो ये बातें हो रही हैं, ये जो चीजें हो रही हैं, इसके अंदर प्राकृतिक आपदा के साथ शायद सरकार की नाकामयाबी, सरकार की सोच और सरकार का अहंकार ये सब की सब चीजें शायद इसके पीछे कारण है, जो कि अब हो रहा है।
मैं आज इस प्रेस वार्ता के अंदर और हमारा, एआईसीसी का जो वेब चैनल लॉन्च हो रहा है, इस अवसर पर मैं आज सबसे पहले हमारे 190 पेज की, 123वीं रिपोर्ट, जो डिपार्टमेंट रिलेटेड पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन हैल्थ और फैमिली वेलफेयर का है, इसको आप सब लोगों के सामने इसके मुख्य अंश केवल दो-तीन जगहों के मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूं और ये हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ये सब बातें अगर मीडिया के माध्यम से समय रहते आ जाती, 21 नवंबर, 2020 को ये रिपोर्ट पार्लियामेंट के अंदर चेयरमैन राज्यसभा को दी गई और फरवरी के अंदर ये पार्लियामेंट के टेबल पर रखी गई, लेकिन अगर समय पर, अगर ये फरवरी में ही मीडिया इसको उठा लेता, इस रिपोर्ट को अगर मीडिया सरकार के ऊपर रखकर उनको प्रेशर करता, तो शायद सरकार अगर फरवरी में चेत जाती, तो आज अप्रैल-मई आते-आते, आज शायद इसमें सरकार बेहतर स्थिति में होती।
दुख की बात ये है कि मीडिया ने शायद इसको सही समय के ऊपर समय रहते हुए ऐसी चीजों को, इसको अहमियत नहीं दी। बहुत सारी मीडिया जिसका काम होना चाहिए कि सरकार से प्रश्न पूछे, सरकार के ऊपर दबाव डाले, वो वापस सरकार की तारीफों में लगी रही, लिहाजा सारी की सारी चीजें खत्म हो गई। इसके ऊपर आगे कोई भी काम नहीं कर पाया।
ये 190 पेज की रिपोर्ट है। इसमें ऑक्सीजन शब्द 40 बार लिखा हुआ है। आज हमारे यहाँ पर सबसे बडी दिक्कत ऑक्सीजन की है। जयपुर गोल्डन अस्पताल से हमारे एक साथी का अभी फोन आया, वो कह रहे हैं कि 20 लोगों की मृत्यु ऑक्सीजन न मिलने की वजह से वहाँ पर हुई। कल गंगाराम अस्पताल के अंदर भी ऐसी खबरें आ रही थी कि गंगाराम अस्पताल के अंदर 25 लोगों की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई। तो आज हमारी देश की राजधानी में ऑक्सीजन की कमी की वजह से इतने लोगों की मृत्यु हो जाए और समय रहते उनको चेताया गया। यही बात मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि ये 190 पेज की रिपोर्ट में, जहाँ पर ऑक्सीजन शब्द 40 बार मेंशन किया गया है, इसके अंदर समय रहते हुए हमारी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने सरकार को चेताया था बार-बार कि आप इसको ठीक करिए, ठीक करिए, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी और जो मीडिया को इस रिपोर्ट को लेकर सरकार से प्रश्न पूछने चाहिए थे, वो नहीं पूछ पाए, जिसकी वजह से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके बारे में कोई भी कुछ भी कहता रहे।
तो मैं आपको बताना चाहता हूं इसके अंदर पेज नंबर 27 पर पैरा 2.38 के अंदर ये कहा गया है कि The Committee, therefore, strongly advocates National Pharmaceutical Pricing Authority to take appropriate measures, for capping the price of the Oxygen Cylinders so that availability as well as affordability of the Oxygen Cylinders is ensured in all hospitals and for medical consumption. The Committee also recommends the Government for encouraging adequate production of Oxygen for ensuring its supply as per demand in the hospitals. मैं फिर से कहना चाहता हूं, ये पेज नंबर 27 के 2.38 पैरा के अंदर कमेटी की रिकमेंडेशन है, The Committee also recommends the Government for encouraging adequate production of Oxygen for ensuring its supply as per demand in the hospitals. तो ये उस वक्त कहा गया, ये केवल एक ही जगह पर मेंशन नहीं हैं। एक और जगह के ऊपर पेज 35 के ऊपर जो पैरा 2.72 है, उसमें कहा गया है, The Committee also recommends the Ministry to ensure the adequate supply of Oxygen Cylinders with appropriate price caps. यानि बार-बार जैसे मैंने कहा कि इस तरीके से तो और कई जगह के ऊपर 40 जगह के ऊपर, पूरे के पूरे रिपोर्ट के अंदर मेंशन किया गया है कि ऑक्सीजन-ऑक्सीजन-ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी, ऑक्सीजन की कमी और इसको आगे कैसे बढ़ाया जाए। ये सरकार को बार-बार चेताया गया है।
यही नहीं हमारे जो एम्पॉवर्ड ग्रुप, जो भारत सरकार ने बनाया है, इसमें एम्पॉवर्ड ग्रुप नंबर 6 के अंदर उसने 1 अप्रैल को ही इसके ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था। एम्पॉवर्ड ग्रुप 6 ने 1 अप्रैल की मीटिंग के अंदर ऑक्सीजन की जरूरत की अहमियत पर जोर दे दिया था और उस दिन केवल 2,000 केस थे। आप अंदाजा करिए कि जिस समय केवल 2,000 केस थे, उस दिन सिर्फ, उसी दिन एम्पॉवर्ड ग्रुप 6 ने कहा और उन्होंने आगे कहा, मैं कोट करते हुए कह रहा हूं, मिनट्स के अंदर इसका उल्लेख है, ‘In the coming days India could face a shortage of oxygen supplies.’ ये 1 अप्रैल, 2020 को उस वक्त जब एम्पॉवर्ड ग्रुप की मीटिंग हुई, तो अपनी दूसरी मीटिंग के अंदर ही उन्होंने कहा। उसके बाद ये डीपीआईआईटी, सीआईआई और हेल्थ मिनिस्ट्री इनके झगड़े के अंदर ऐसा फंसा कि किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
आज जब स्थिति ऐसी है दिल्ली के अंदर, हमारे यहाँ पर ऑक्सीजन की कमी की वजह से पेशेंट की किस तरीके से उनकी मृत्यु हो रही है। पूरे हिंदुस्तान के अंदर हमारी प्रोडक्शन कैपेसिटी 7,200 मीट्रिक टन के लगभग है। इसके अंदर जो जरुरी जो इंडस्ट्री हैं, उनके लिए भी जो गवर्मेंट ने कहा है देने के लिए, उसमें भी अगर 2,600 मीट्रिक टन चले जाएं, तो बाकी मात्र 4,600 मीट्रिक टन बचते हैं। अब जितनी भी ऑक्सीजन, जो भी अलग-अलग जगहों के ऊपर है, हमारे पास 50,000 मीट्रिक टन की स्टोरेज की कैपेसिटी अलग से हमारे यहाँ पर पड़ी हुई है। लेकिन उनको किस तरीके से आगे पहुंचाया जाए, उसका इंतजाम अभी तक नहीं हुआ है। अब जाकर टाटा कह रहे हैं कि क्रायोजेनिक टैंकर को हम इंपोर्ट करेंगे।
हैरानी की बात ये है कि अप्रैल में आकर, अभी इसी अप्रैल के अंदर आकर सेंट्रल गवर्मेंट ने जो नाइट्रोजन कैरी करने वाले जो क्रायोजेनिक टैंकर है, उसको अब जाकर रुल में फेर बदल करके इजाजत दी है कि वो ऑक्सीजन ले जा सकते हैं। तो ये काम पहले क्यों नहीं हुआ? हमारी जो दिल्ली की सरकार है, दिल्ली की सरकार और केन्द्र सरकार, दोनों की दोनों आपस में झगड़ रही हैं।
मैं एक बहुत जरुरी बात इसके बारे में बताना चाहता हूं। अभी हाईकोर्ट के अंदर केन्द्र सरकार ने कहा कि उन्होंने दिल्ली के लिए 8, जो पीएसए यूनिट, जो पीएसए यूनिट जो प्रेशराइज्ड स्विंग एड्जॉर्पशन (Pressure Swing Adsorption) सिस्टम से जनरेट होता है, अस्पताल के अंदर ही वो ऑक्सीजन जनरेटर लग जाता है। दिल्ली के अंदर उन्होंने 8 सेंक्शन किए थे। उस 8 में से पिछले एक साल में केवल एक लगा है और दिल्ली सरकार ने खुद अपनी तरफ से एक भी नहीं लगाया है। अब दिल्ली सरकार ने पिछले एक साल में या केन्द्र सरकार ने एक भी स्टोरेज कपैसिटी, कहीं भी स्टोरेज कपैसिटी, ऑक्सीजन की उन्होंने नहीं बढ़ाई।
अब मैं ये कहना चाहता हूं, माननीय, केजरीवाल जी को, जो कि छोटे नरेन्द्र मोदी जी हैं और माननीय, मोदी साहब को जो बड़े मोदी जी हैं कि दोनों के दोनों आपस में झगड़ना बंद करें, जो 8 पीएसए यूनिट, जो आपने सेंक्शन किये हैं, वही लगाएं और इसके साथ मैं जोड़कर ये भी कहना चाहता हूं कि हमारे राजस्थान में और मुझे गर्व है ये कहते हुए क्योंकि मैं राजस्थान का प्रभारी हूं। हमारे राजस्थान में डिस्ट्रिक्ट और सब डिस्ट्रिक्ट लेवल के ऊपर पिछले 1 साल के अंदर 37 पीएसए यूनिट सेंक्शन किए गए और 37 में से 24 जगहों के ऊपर लग चुके हैं, शुरु हो गए हैं और 13 बाकी एडवांस स्टेज पर हैं। तो जब हमारी सरकार राजस्थान में 37 लगा सकती है, तो दिल्ली के अंदर केवल एक लगाए, जबकि दिल्ली के अंदर जरुरत ज्यादा है। राजस्थान के अंदर 7 स्टोरेज, बड़े-बड़े स्टोरेज प्लांट राजस्थान में हमारी सरकार ने पूरे के पूरे राजस्थान में 7 स्टोरेज टैंक प्लांट, बड़े प्लांट लगाए हैं। दिल्ली में एक भी नहीं लगा, तो दिल्ली जो आपस के अंदर झगड़ते हैं कि इसमें हमारा शासन होना चाहिए - हमारा शासन होना चाहिए, कम से कम वहाँ पर लोगों के डेवलपमेंट के लिए तो आगे बढ़कर काम करें। बाद में तय कर लीजिएगा कि एलजी शासन चलाए, मोदी जी शासन चलाएं, अमित शाह शासन चलाएं या केजरीवाल शासन चलाएं।
आज दिल्ली ऑक्सीजन के लिए तड़प रही है। कम से कम दोनों मिलकर दिल्ली के अंदर तो ऑक्सीजन सप्लाई करें। हमारी जब राज्य सरकारें 37 पीएसए ऑक्सीजन जनरेशन यूनिट अलग-अलग अस्पताल के अंदर डिसेंट्रलाइज करके राजस्थान जैसी जगहों पर, दूर दराज इलाकों के अंदर लगा सकती है, 7 स्टोरेज टैंक प्लांट हम लोग लगा सकते हैं, तो दिल्ली के अंदर हम एक भी स्टोरेज टैंक क्यों नहीं लगा सकते। 8 सेंक्शन किए गए पीएसए यूनिट में से केवल एक दिल्ली के अंदर लगा है, बाकी और कोई भी नहीं लगा। तो क्या केजरीवाल जी और मोदी जी दोनों के दोनों जवाब देंगे इसके बारे में या आपस में लड़-लड़ कर, झगड़-झगड़ करके मीडिया के अंदर इस बात को कहते रहेंगे कि दोनों के दोनों में आपस में झगड़ रहे हैं, एक दूसरे के ऊपर, दूसरा पहले के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप करता रहेगा।
तो आज मैं आप लोगों को केवल इतना कहना चाहूंगा, सच्चाई दिखाएं, वास्तविकता दिखाएं, दोनों सरकारों को बचाने में ना लगें। आज केजरीवाल साहब दिल्ली के अंदर जो विज्ञापन देते हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि दिल्ली के अंदर पिछले वर्ष में 355 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च हुआ। इस वर्ष 467 करोड़ रुपए विज्ञापन में खर्च होने का बजट रखा गया है, जो कि हर मिनट के बाद में यहाँ पर चैनल में आता है। 882 करोड़ रुपए केवल 2 वर्षों में इसके अंदर बजट सिर्फ पब्लिसिटी के लिए जो आप विज्ञापन देखते हैं, उसके लिए रखा गया है। और मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस 882 करोड़ को सिर्फ ऑक्सीजन प्लांट में लगाते, तो 800 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट दिल्ली में लग सकते थे, अस्पताल के साथ लग कर और ये दिल्ली में अलाउड है। कोई ये कहता है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल (Green Tribunal) मना कर रहा है, ये सब चीजें बेकार की बातें हैं। दिल्ली के अंदर जब 8 सेंक्शन किए केन्द्र सरकार ने, जिसमें से 1 लग गया है। तो जब 1 लग सकता है, तो 800 भी लग सकते हैं। तो ये जो है कुछ लोग अब बहकाने के चक्कर हैं, तो अस्पताल के साथ अटैच छोटे पीएसए प्लांट जिसको प्रेशर स्विंग एडजोर्पशन प्लांट कहते हैं ऑक्सीजन के, वो लग सकते हैं दिल्ली के अंदर और इससे अकेले सिर्फ जो प्रचार के अंदर खर्च किया है, वो सिर्फ ऑक्सीजन बनाने में पैसा लगा देते है, तो 750 मीट्रिक टन की कपैसिटी दिल्ली में होती, जिससे दिल्ली ना केवल अपने लिए काफी होती, बल्कि दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और दूसरे और राज्यों को आगे बांट सकती थी, अगर दिल्ली के अंदर वो सिर्फ विज्ञापन के जो पैसे, विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं, उसकी जगह ऑक्सीजन के पीएसए प्लांट लगाकर दिल्ली के अंदर सेटअप कर देते।
तो आज हम ये कहना चाहते हैं कि आप सब लोग मीडिया के लोगों को विज्ञापन भी जरुरी है, हम मानते हैं लेकिन विज्ञापन की जरुरत को देखते हुए कम से कम जो लोगों की जरुरत है, ऑक्सीजन की जरुरत है, उस चीज को बंद मत करें औऱ लोगों तक सच्चाई आपको पहुंचानी चाहिए औऱ सरकारों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए। जब आप सरकारों को कटघरे में खड़ा करेंगे, तो सरकारों के ऊपर दबाव बनेगा और जब दबाव बनेगा सरकारों के ऊपर, तो अधिकारियों के ऊपर दबाव बनेगा और जब इस सब पर दबाव बनेगा तो काम होगा और लोगों की मृत्यु इस प्रकार से दिल्ली में तड़पते हुए ऑक्सीजन की कमी को वजह से नहीं होगी। इतना हम सिर्फ कहना चाहते हैं।
एक प्रश्न पर कि क्या आप अपने आईएनसी वेब टीवी पर अपने विपक्ष के नेताओं को भी जगह देंगे, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बड़ा अच्छा लगा कि आपको सारी उम्मीदें विपक्ष से हैं। मैं बड़ा खुश होता अगर ये सवाल आप सत्ता पक्ष के जो मुखपत्र बने हुए हैं, उनसे पूछते। आपका स्वागत है, हमें तो बड़ी अच्छी बात लगी कि आपको हमसे उम्मींदें हैं और उम्मीदें होनीं भी चाहिए, हम ही से होनी चाहिए, पूरा देश अब यही सोच रहा है कि क्या गलती हो गई, तो ठीक है आपकी बात। अभी तो शुरु हुआ है, आगे-आगे देखिए। तथ्य और सत्य को सामने लाने की जिम्मेदारी हमारे मीडिया के बंधुओं की हमेशा रही है और कई जगह हमें देखने को मिल रहा है कि जो रिश्ता सरकार और मीडिया का होना चाहिए या जो रिश्ता मीडिया और विपक्ष का होना चाहिए, वो रिश्ता बिल्कुल चरमरा गया है, बिल्कुल बदल गया है। हमेशा अजय जी और हम, दिल्ली सरकार में अजय जी मंत्री थे, तब उनसे पूछिए आप कि कैसे रोज मीडिया हमारे खिलाफ कुछ न कुछ ढूंढ़ता रहता था और विपक्ष से उनका कैसा रिश्ता होता था, उस वक्त के मीडिया का और उसमें कोई गलत बात नहीं है यही तरीका होता है, लेकिन आज जो तरीका सब बदल दिया गया है, उसको बदलना बहुत जरुरी है, उसको दुरुस्त करना बहुत जरुरी है। आपको उम्मीद है कि हम अपने ही खिलाफ कुछ बोलेंगे, बहुत खूब। मुझे बड़ी खुशी होती अगर ये सवाल आप बाकी मीडिया से पूछते, बाकी चैनल से पूछते। अगर ये सवाल उस वक्त उठाया जाता, तो शायद ये आवश्यकता नहीं होती कि हमें अपना चैनल लॉन्च करना पड़ता।
दो चीजों में ये सरकार बहुत कुशल है और सक्रिय है, चुनाव प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन। मुझे लगता है इन दोनों प्रबंधनों से उठकर अब देश को नेतृत्व की आवश्यकता है, प्रबंधक बहुत हो गए। हमें प्रबंधकों की आवश्यकता नहीं है, हमें नेतृत्व की आवश्यकता है।
एक अन्य प्रश्न पर कि अस्पतालों में लगातार ऑक्सीजन की कमी हो रही है, ऐसे में आप सरकार से क्या मांग करते हैं, अजय माकन ने कहा कि अभी जैसे मैंने कहा भी है कि ये बड़े दुःख की बात है कि बार-बार समय रहते हुए जो एंपावर ग्रुप नंबर सिक्स ने अप्रैल 2020 में, जो हमारी पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी है, इसने बार-बार इस बात को उठाया है कि हमारे यहाँ पर ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, उसकी तैयारी करिए। अभी भी ऑक्सीजन की, ट्रांसमिशन के भरपूर इंतजाम नहीं हुए हैं। साथ-साथ में एकदम से जो है ट्रांसमिशन के इंतजाम, सिलेंडर के ज्यादा इंतजाम होना, हमारे पीएसए यूनिट्स जहाँ-जहाँ पर स्थापित कर सकते हैं, लोग प्रेशराइज्ड स्विंग एड्जॉर्पशन सिस्टम हैं, जहां से लोकलाइज हो सकता है, हॉस्पीटल के साथ जोड़ना और स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाना इसको एकदम से वॉरफुटिंग के तौर पर शुरु करना चाहिए। हमारे हैल्थ मिनिस्टर्स की स्टेटवाइज बात हुई, उनका एक ये भी आरोप है कि इसके अंदर एक राजनीति हो रही है जो कि कोटा भी फिक्स किया गया है, अलग-अलग राज्यों के लिए। राजस्थान जैसे हमारा राज्य है, जितना गुजरात के अंदर संक्रमण है, उतना ही राजस्थान में हैं, लेकिन राजस्थान का कोटा गुजरात से बहुत कम है, सातवां, आठवां स्थान है, गुजरात के मुकाबले राजस्थान का हमारा कोटा। तो ये एक तो इक्यूटेबल डिस्ट्रीब्युशन होना चाहिए, बराबर का डिस्ट्रीब्यूशन होना चाहिए, केन्द्र सरकार इस वक्त राजनीति के आधार पर कांग्रेस शासित या गैर भाजपा शासित प्रदेश और भाजपा शासित प्रदेशों के बीच में भेदभाव नहीं कर सकती है, और सब जगह पर सिस्टम स्थापित होना चाहिए।
कल प्रधानमंत्री के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री की बातचीत के सीधे प्रसासण को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि मैं सिर्फ ये कहना चाहूँगा कि अभी जैसे मैंने मेंशन किया कि हाई कोर्ट के अंदर जब हियरिंग हो रही थी तो केन्द्र सरकार ने ये बताय़ा कि 8 पीएसए दिल्ली के लिए सेंक्शन किए गए, जिसमें से केवल एक दिल्ली में स्थापित हो पाया है पिछले एक साल में और ये पिछले साल अप्रैल-मई में फैसला हुआ, 8 महीने लगे इनको टैंडर करने में और ये कोई बहुत लंबा-चौड़ा खर्चे वाला नहीं है, 8 पीएसए यूनिट्स लगने के लिए मुश्किल से 8 से 10 करोड़ रुपया खर्च होता होगा।
तो जब केन्द्र सरकार सेंक्शन किए हुए दिल्ली के अंदर नहीं लगवा पाई, दिल्ली सरकार ने तो सेंक्शन एक भी नहीं किया। दिल्ली सरकार ने 822 करोड़ रुपए अपने खुद के एडवर्टिजमेंट के ऊपर खर्च कर रही है, लेकिन दिल्ली सरकार हमारे दिल्ली में ऑक्सीजन प्रोवाइड करने के लिए एक भी स्टोरेज टैंक, एक भी पीएसए यूनिट दिल्ली में स्थापित नहीं कर पाई।
मैंने अभी हमारे राजस्थान का उदाहरण दिया, जहाँ कांग्रेस की सरकार है, वहाँ पर हम लोगों ने 37 पीएसए यूनिट्स सेंक्शन किए, जिसमें से 24 लग भी गए हैं, 13 एडवांस स्टेज पर हैं। हमारे वहाँ 7 बड़े स्टोरेज टैंक्स प्लांट्स हम लोगों ने वहाँ पर स्थापित कर दिया है। तो जब हमारी सरकारें कर सकती हैं, हमारे साथ भी भेदभाव वहाँ पर हो रहा है। हमारे खुद के हैल्थ मिनिस्टर वहाँ पर कहते हैं कि राजस्थान को जितनी ऑक्सीजन मिल रही है, उससे कहीं ज्यादा, 7-8 गुना ज्यादा गुजरात को दिया जा रहा है, लेकिन उसको लेकर प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग के अंदर तमाशा हमारे मुख्यमंत्री ने नहीं किया। ये तमाशा दोनों जानबूझकर कर रहे हैं, इसलिए तमाशा कर रहे हैं, ताकि असली वास्तविकता कहीं पर लोगों के बीच में न जाए, चर्चा यही हो कि दोनों आपस में झगड़ रहे हैं। तो झगड़ने को छोड़कर दोनों इतना ही बता दें कि उन्होंने दिल्ली के लिए क्या किया, बाद मे उपराज्यपाल के हाथ में सारी पावर्स होनी चाहिए या मुख्यमंत्री के पास में होनी चाहिए या गृहमंत्री के पास में होनी चाहिए ये तय कर लें, पर कम से कम अपनी दिल्ली का तो भला कर लें।
On another question about intervention of Supreme Court in the matter of scarcity of oxygen in Delhi, Shri Maken said – Well, as far as the legal question is concerned I think, it was exhaustibly replied by Abhishek Singhvi Ji yesterday, so I wouldn’t like to add anything to what Abhishek Singhvi Ji has said yesterday on legal matters, but, I would just like to add and repeat what I have said in Hindi that it is so very unfortunate that when the High Court was hearing the oxygen shortage issue of Delhi, the Central Government informed the High Court that 8 PSA units, the Pressure Swing Adsorption(PSA) Units which is the localised oxygen generating unit, which is attached to a hospital, 8 such units were sanctioned for Delhi, unfortunately out of these 8 sanctioned units, only one unit could fructify. Only one unit could be set up in Delhi, whereas, if you look at Rajasthan, in Rajasthan we have sanctioned 37 such units, out of these 37 units, 24 have been functional, they are working fine and 13 are at an advanced stage of functioning, whereas, we had also set up around 7 tankers, big oxygen tankers in Rajasthan.
As far as Delhi is concerned, the Central Government had sanctioned 8 PSA units, out of which, only 1 is functional and Delhi Government didn’t even section a single PSA unit. They are yet to set up even a single storage tank facility in Delhi, so it is so very unfortunate that instead of doing their bit, both the Central and State Government, they are putting blame on each other and this is just being done to divert the attention.
So, this is the main thing, which you all should carry and which you all should ask the Delhi Government and the Central Government as to what they have done as far as the improvement of oxygen supply is concerned. I have given you the example of Congress ruled Rajasthan, where we have sanctioned 37, out of which, 24 is already functional, the PSA units which are providing oxygen to our district and sub district level hospitals. We have set up already 7 storage plants, so why couldn’t the Delhi do it? Why couldn’t the Delhi Government set up or sanction money for these storage plants or PSA units? So, this is something, which is criminal.
Supreme Court is asking or pushing it for the next week, I don’t know, I am not well equipped legally to call it criminal or not, but, what the Delhi Government has done, what the Central Government has done, that is criminal. They have not spent even a single penny as far as the PSA unit in Delhi is concerned. Delhi Government has not spent even a single penny.
As far as storage facility is concerned, Delhi Government has not spent even a single penny in increasing the storage capacity of oxygen in Delhi in last one year. So, this is something which is criminal.
एक अन्य प्रश्न पर कि ये जो आईएनसी टीवी वेब चैनल शुरु किया गया है, इसका मेन फोकस क्या होगा, श्री माकन ने कहा कि ये प्राथमिक रुप से ये इंफोर्मेशन वेब चैनल है। ये सामान्य जीएसएम चैनल नहीं है, फ्री टू एयर नहीं है, इंटरनेट बेस्ड वेब चैनल है। खासकर, वैसी खबरें जो इन दिनों या कहें पिछले 7 साल से गायब हैं, जो जनता तक पहुंचनी चाहिए, जनता से जुड़े मुद्दे हैं, जिन्हें किसी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव की वजह से सरकार नहीं चलने देती, सामने नहीं आने देती, उन खबरों को हम जगह देंगे, जिससे कि आम लोग अपने अधिकारों के बारे में जानें, अपनी सरकारों की अकाउंटेबिलिटी तय करें। तो run off the mill चैनल नहीं है, इसे एक खास उद्देश्य से परिकल्पित किया गया है। बहुत दिन से इसकी आवश्यकता महसूस हो रही थी, कई लोगों ने हमसे कहा था। ये संयोग है कि संयोजित होते-होते अब ये हो पाया है और हमें उम्मीद है कि आप सबका समर्थन रहेगा, हमें इसमें।