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Congress's enemies are those who campaign to make Priyanka a Rajya Sabha member
नई दिल्ली, 19 फरवरी 2020. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi) इस वक्त यूपी में तीस साल से बेहाल कांग्रेस में जान फूंकने के लिए दिन रात जुटी हुई हैं। दमन के ऐसे दौर में जब प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया सड़क पर उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, ऐसे में प्रियंका उन्नाव से लेकर सोनभद्र तक, मुजफ्फरनगर से लखनऊ तक और बिजनौर से बिलरियागंज तक भाजपा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रही हैं। उनकी इस सक्रियता से सपा-बसपा में बेचैनी है। मायावती तो सीधे-सीधे प्रियंका पर जुबानी वार कर चुकी हैं और अखिलेश यादव अपने छुटभैये नेताओं से हमला करा रहे हैं। लेकिन जब कांग्रेस में घर में ही दुश्मन मौजूद हों तो उसे किसी बाहरी दुश्मन की क्या जरूरत है ? अब कुछ दरबारी पत्रकारों और चाटुकार कांग्रेसियों ने प्रियंका को मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने की मुहिम चलाई है।
प्रियंका गांधी को मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने से कांग्रेस को कई नुकसान होंगे। सबसे पहला तो यही कि एक महत्वपूर्ण कार्यकर्ता राज्यसभा जाने से चूक जाएगा और भाजपा को गांधी-वाड्रा फेमिली की कांग्रेस चिल्लाने का अवसर मिल जाएगा।
प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की मुहिम चलाने वाले चाटुकार इस तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि इंदिरा गांधी की नातिनी की सामाजिक और राजनैतिक हैसियत किसी भी राज्यसभा सदस्य से बहुत ज्यादा है और कम से कम अभी तक तो वह मीडिया कवरेज के लिए किसी सदन की सदस्य होने की मोहताज नहीं हैं।
अगर प्रियंका को राज्यसभा भेजा जाता है तो इसका सर्वाधिक बुरा प्रभाव यूपी पर पड़ेगा और यह “27 साल यूपी बेहाल” के बाद कांग्रेस को अखिलेश यादव के दरवाजे पर बांधने से भी बड़ी राजनीतिक गलती होगी। ऐसी स्थिति में भाजपा के साथ-साथ सपा और बसपा भी यह फैलाएंगे कि प्रियंका का नेतृत्व उत्तर प्रदेश में फेल हो गया है। इसके साथ ही साथ उत्तर प्रदेश में संकट से जूझ रही कांग्रेस के कार्यकर्ता में भी निराशा आएगी। क्योंकि प्रियंका के राज्यसभा में जाने पर जब उत्तर प्रदेश का चुनाव आएगा तब भाजपा, सपा और बसपा तीनों प्रियंका को बाहरी साबित करने पर जुट जाएंगे। तर्क दिए जाएंगे कि वह राज्यसभा सदस्य छत्तीसगढ़ से हैं, वोटर दिल्ली की हैं। ऐसे में यूपी में कांग्रेस चुनाव लड़ने से पहले ही हार जाएगी।
याद होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर को उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा गया था।
इसका राजबब्बर की राजनीतिक सक्रियता और कांग्रेस कार्यकर्ता के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ा। इसका एक संदेश साफ गया कि कांग्रेस यूपी में लड़ाई लड़ने की इच्छुक नहीं है। प्रियंका को राज्यसभा भेजने से यह संदेश और साफ जाएगा।
वैसे भी इस समय भाजपा की रणनीति है कि जहां-जहां भी कांग्रेस मौजूद है, वहां-वहां क्षेत्रीय दलों को मजबूत करो। ऐसा करने के पीछे भाजपा की रणनीति साफ है। अगर क्षेत्रीय दल मजबूत होंगे तो वो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे और राष्ट्रीय क्षितिज पर ये क्षेत्रीय दल भाजपा के लिए कभी भी कोई चुनौती नहीं बन पाएंगे। यही कारण है कि भाजपा कभी भी नहीं चाहेगी कि यूपी में सपा-बसपा कमजोर हों, क्योंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, अगर वहां कांग्रेस खड़ी हो गई तो भाजपा को केंद्र से अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ जाएगा।
इसलिए कांग्रेस नेतृत्व को चाटुकारों और दरबारियों की सलाह पर कतई ध्यान नहीं देना चाहिए और प्रियंका जिस तरह से यूपी में पैर जमाकर खड़ी हैं उसी तरह उन्हें खड़े रहना चाहिए।
अमलेन्दु उपाध्याय