/hastakshep-prod/media/post_banners/fDmtKDhjOYyqNLzKhj5v.jpg)
कोरोना महामारी को पूरे तीन महीने हो चुके हैं। इन तीन महीनों में प्रधानमंत्री देश को तीन बार सम्बोधीत कर चुके हैं और इन तीन महीनों में तीन बार त्यौहार भी मनाया जा चुका। 22 अप्रैल को प्रधानमंत्री के कहने पर लोगों ने ताली-थाली, शंख-घड़ियाल, गाजे-बाजे के साथ कोरोना को हराने के लिए एकजुटता दिखाई। 9 अप्रैल की रात 9 बजे प्रधानमंत्री के कहने पर लोगों ने दिए-मोमबत्ती जलाकर दिपावली मनाई। लॉकडाउन के दूसरे फेज (Second phase of lockdown) के खत्म होने के दिन तीनों सेनाओं ने जल-थल और नभ से कोरोना योद्धाओं के प्रति आभार प्रकट किया।
वायुसेना के विमानों ने सुबह आठ बजे डलझील के ऊपर फ्लाई पास्ट किया, उसके बाद दिल्ली और बेंगलुरू के वॉर मेमोरियल और श्रीनगर से त्रिवेंद्रम व डिब्रूगढ़ से कच्छ तक कोरोना अस्पतालों पर फूल बरसाए गए। इसमें वायु सेना के सी-130 जे, सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से लेकर सुखोई 30, एमकेआई, मिग 29 और जगुआर फाइटर जैसे विमानों को लगाया गया था। सेना के बैंड ने विभिन्न कोरोना अस्पतालों के सामने बैंड बजाया, नौसेना के जंगी जहाजों ने विशाखापट्टनम, पोरबंदर, कारवाड़, चेन्नई, कोच्चि, मुम्बई के गेट ऑफ इंडिया के पास नौसेना के जहाजों ने साइरन बजाये, लाईट जलाये और आतिशबाजी किये।
ये सब देखकर ऐसा लगा कि कोरोना के खिलाफ भारत जंग जीत चुका है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीटर पर एक विडियो शेयर किया जिसमें सेना के जवानों को बैंड बजाते और फूल बरसाते हुए दिखाया गया है। इस विडियो में डॉक्टर और नर्स भी ताली बजाते हुए दिखे।
The Prime Minister also praised the Armed Forces troops.
प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही एक संदेश लिखा है कि कोविड-19 से अगली कतार में बहादुरी से लड़ रहे लोगों को सलाम।
Saluting those who are at the forefront, bravely fighting COVID-19.
Great gesture by our armed forces. pic.twitter.com/C5qtQqKxmA
— Narendra Modi (@narendramodi) May 3, 2020
प्रधानमंत्री ने आर्म्ड फोर्सेज सैनिकों की प्रशंसा भी की। जिस दिन कोरोना से लड़ रहे लोगों के लिए फूल बरसाए जा रहे थे उसी दिन अम्बेडकर अस्पताल, दिल्ली के नर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया (Nursing staff of Ambedkar Hospital, Delhi demonstrated against hospital administration and Delhi government), क्योंकि इस अस्पताल के 65 स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षा किट के अभाव में संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों का यह प्रदर्शन प्रधानमंत्री के वीडियो (Prime Minister's Video) में जगह नहीं पा सका। इसी अस्पताल में दवा बांटने वाला कर्मचारी कोरोना से संक्रमित निकला।
GB Pant's nursing staff protested against hospital administration
इससे पहले 26 अप्रैल को जीबी पंत के नर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया, क्योंकि उन लोगों को सुरक्षा सामग्री उपलब्ध नहीं करवायी जा रही थी। नर्सेज एसोसिशन के अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी का कहना है कि अस्पताल में सुरक्षा गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जा रहा है।
गाइडलाइंस में लिखा है कि अस्पताल में एडमिट होने वाले प्रत्येक मरीज का सबसे पहले कोरोना टेस्ट किया जाए, लेकिन अस्पताल में बिना टेस्ट के मरीजों को यहां-वहां शिफ्ट किया जा रहा है।
इससे पहले बिहार के एनएमसीएच के उन 83 डॉक्टरो ने प्रधानमंत्री कार्यालय, बिहार स्वास्थ्य विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर कहा- ‘‘अस्पताल में पीपीई किट और एन-95 मास्क डॉक्टरों को नहीं मिल रहा है। हिन्दू राव के जूनियर रेजिडेंस डॉक्टर पीयूष पुष्कर सिंह ने 14 मार्च को सुरक्षा संसाधनों पर सवाल उठाया था, जिसके कारण 15 अप्रैल को पीयूष सिंह को अनुशासनहीनता के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया। अब उसी अस्पताल से कई स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित निकले हैं। 1 अप्रैल को चार कॉन्ट्रैक्चुअल डॉक्टरों ने हिन्दू राव से पीपीई किट मुहैया नहीं कराने के कारण इस्तीफा दे दिया था।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. शिवजी देव बर्मन ने कहा है कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों को बेहतरीन गुणवत्ता के सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करायें जायें।
एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया को भी पत्र लिख कर मांग की है कि ‘‘हर वक्त पीपीई की उपलब्धता को तय करें ताकि डॉक्टर और नर्सों को सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के महासचिव डॉ. श्रीनिवासन राजकुमार का कहना है कि सुरक्षा उपकरणों की कमी का मुद्दा किसी से छिपा नहीं है।
More than 300 health workers have been infected in Delhi so far
दिल्ली में अभी तक 300 से ज्यादा स्वाथ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं जिसमें से अम्बेडकर अस्पताल में 81 स्वास्थ्यकर्मी, बाबू जगजीवन राम अस्पताल में 75 स्वास्थ्यकर्मी, द्वारका के आकाश अस्पताल में 19 स्वास्थ्यकर्मी, जग प्रवेश अस्पताल में 5 डॉक्टरों सहित 6 लोग संक्रमित पाये गये हैं। यही हाल हिन्दूराव, एम्स, सफदरजंग, कस्तूरबा गांधी, मैक्स पटपड़गंज, दिल्ली कैंसर संस्थान, बाड़ा हिन्दूराव, महाराजा अग्रसेन जैसे अस्पतालों का है, जहां कोरोना के मरीज नहीं है। 90 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी वे संक्रमित हो रहे हैं जो कोरोना वार्ड में काम नहीं करते हैं।
दिल्ली में सीआरपीएफ के 135 जवान कोरोना संक्रमित मिले हैं, अभी कई जवानों की रिर्पोट नहीं आई है। सीआरपीएफ मुख्यालय के कर्मचारी भी संक्रमित मिले हैं जिसके कारण सीआरपीएफ का मुख्यालय सील कर दिया गया है। बीएसएफ के 54 और आईटीबीपी के 21 जवान दिल्ली में कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। इसके अलावा दिल्ली पुलिस के कई जवान ड्यूटी करते हुए कोरोना संक्रमित हो गए हैं। क्या कोविड-19 के फ्रंट लाइन पर लड़ने वाले जवानों, स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिवारों, रिश्तेदारों व दोस्तों को फूलों की बरसात अच्छी लगी होगी?
नोएडा सेक्टर 24 के ईएसआई अस्पताल के सर्जन डॉ. सहित छह स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हैं, चाइल्ड पीजीआई के रसोईये सहित छह स्वास्थ्यकर्मी 27 अप्रैल को संक्रमित पाये गये। इसके अलावा जिला अस्पताल के वार्ड की आया भी संक्रमित पाई गई।
इसी तरह देश के अन्य राज्यों- पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे जगहों से भी खबरें आ रही हैं।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में 1 मई को अस्पताल की लैब टैक्निशियन शगुन (59) सैंपल लेते समय बेहोश हो गई थी। अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि दो लेयर किट पहनकर लैब टेक्निल को परेशानी हो रही है वे लोग 12 घंटे काम करने के बाद ही खाना खा पा रहे हैं। किट पहनकर 40 डिग्री तापमान में घूमना बहुत ही मुश्किल काम है। एक स्थान पर पंखा, एसी या कूलर के सामने बैठ सैंपल लेने में दिक्कत नहीं होती है लेकिन पीपीई किट पहनकर घूम कर सैंपल लेना बेहद कठिनाई वाला काम है।
यही हाल देश के सबसे बड़े अस्प्ताल एम्स का भी है। पीपीई किट कमी के कारण एम्स में लगातार 12 घंटे पीपीई किट पहनने का आदेश है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने बताया है कि इससे स्वास्थ्यकर्मी नाराज हैं। इमरजेंसी मेडिसिन में रात की ड्यूटी में तैनात डॉक्टर डिहाइड्रेशन के कारण बेहोश हो गये।
एम्स के छात्रावास में एक महीना पहले मांगे गए सेनेटाइजर व दूसरे सामान अभी तक नहीं मिले हैं। आरडीए के अध्यक्ष आदर्श प्रताप सिंह ने कहा है कि पीपीई खराब क्वालिटी का है और कम है। गैर कोरोना क्षेत्र में तैनात स्वास्थ्य कर्मचारियों को पीपीई कीट उपलब्ध नहीं है।
हेडगेवार अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि सीमा पर (यूपी और हरियाणा) रोके जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उनको अस्पताल में रुकने के लिए व्यवस्था की है। अस्पताल के पांचवीं मंजिल पर दो कमरे में डॉक्टरों को रुकने की व्यवस्था है लेकिन कमरे की हालत यह है कि स्वस्थ व्यक्ति भी रुके तो बीमार हो जाए। 12 से 36 घंटे ड्यूटी करने के बाद इसमें स्वास्थ्यकर्मियों को रोका जा रहा है।
सुरक्षा का यह उपाय दिल्ली जैसे शहरों में हैं, जहां पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, स्वास्थ्यमंत्री, स्वास्थ्य के बड़े बड़े निदेशक, पदाधिकारी और वैज्ञानिक रहते हैं तो हम सोच सकते हैं कि बाकी राज्यों का क्या हाल होगा। दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों की तुलना में बजट का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करती है। कोविड-19 से फ्रंट लाईन वॉरियर्स के लिए फूलों की बरसात जरूरी है या सुरक्षा उपकरण देने से वह सम्मानित होंगे? क्या बेमौसम इस बारिश से लोगों को फूल (मूर्ख) बनाया जा रहा है?
22 मार्च और 9 अप्रैल का कार्यक्रम प्रधानमंत्री द्वारा तय किया गया था जिससे इस पर कई सवाल खड़े हुए कि इस तरह के कार्यक्रम करके कोरोना से नहीं लड़ा जा सकता। 1 मई को जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावणे, एयर चीफ मार्शल बीरेन्द्र सिंह धनोआ, एडमिरल करमबीर सिंह के साथ संयुक्त पत्रकार वार्ता करके बताया कि 3 मई को तीनों सेनाओं की तरफ से विशेष गतिविधियां होंगीं। हम सभी ‘कोरोना वॉरियर्स का शुक्रिया अदा करते हैं और सशस्त्र बल इस वक्त भी देश के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। सेना के तीनों कमानों के प्रमुख के प्रेस वार्ता से लगा कि यह राजनीतिक फैसला नहीं है। यदी हम एक दिन पीछे का 30 अप्रैल का समाचार देखें जिसमें रक्षा मंत्री इन सभी सेना प्रमुखों के साथ बैठक कर कोरोना महामारी से निपटने और उनके द्वारा उठाये गये कदमों की जानकारी ली। इससे संदेह जाता है कि इसी बैठक में यह प्रस्ताव सेना प्रमुखों को सरकार द्वारा दी गई होगी।
देश में कोरोना मरीजों की हालत क्या है | What is the condition of corona patients in the country
/hastakshep-prod/media/post_attachments/ZVpOGbuqu3hy6qFtBkHl.jpg)
देश में 22 मार्च को पहला त्यौहार आया था ताली-थाली, शंख-घड़ियाल बजाकर कोरोना से लड़ने का उस दिन तक भारत में 396 कोरोना मरीज थे जिसमें से जिसमें से 7 लोगों की मृत्यु हुई थी। 9 अप्रैल को दिपावली उत्सव के दिन 6725 कोरोना मरीज थे जिसमें से 227 लोगों की मृत्यु हुई, 3 मई को जब जंगी जहाज से फूल बरसाये गये तो भारत में 42,505 कोरोना मरीज थे जिसमें से 1391 की मृत्यु हो चुकी है। 3 मई तक 11,706 लोग ठीक होकर घर भी जा चुके हैं। हम एक तरफ त्यौहारों के सीजन के बिना त्यौहार मनाते गए और दूसरी तरफ मरीजों और मृतकों की संख्या बढ़ती गई।
बारिश के मौसम में जब बरसात होती है तो सभी के चेहरे पर हंसी होती है और चारों तरफ हरा-भरा दिखाई देता है लेकिन वही बारिश जब बिना मौसम हो जाए तो सभी के चेहरे मुरझा जाते हैं। आज हम जो भी खुशियां मना लें लेकिन हमारे चेहरे खुश नहीं है, हम हमेशा डरे सहमे रहे हैं, अपने और अपनों की चिंता रात-दिन खाई जा रही है। हम त्यौहार मनाना छोड़कर कोरोना से लड़ने के लिए अपने स्वास्थ्यकर्मियों को हथियार (सुरक्षा उपकरण) मुहैय्या कराएं और उनकी जान को बचाएं तभी हम सबकी भी जान बच सकती हैं। पहले से ही देश में स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है और जो भी स्वास्थ्यकर्मी हैं अगर वह भी संक्रमित हो जाएंगे तो देश की स्वास्थ्य सेवा और बदहाल हो जायेगी।
सुनील कुमार