कोरोना, आरएसएस और मोदी सरकार ये तीन राष्ट्रीय शत्रु हैं
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Corona, RSS and Modi government are these three national enemies
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मास्क और शारीरिक दूरी एक नया संस्कार है, इसे भारत में आम आदमी ने मानने से इंकार किया। इसमें संस्कारों ,शरीर की हेकड़ी और सत्ता की हेकड़ी ने प्रमुख भूमिका निभायी है। जिसके कारण हम कोरोना वायरस को ठेंगे पर रखते हैं। केन्द्र सरकार, राजनीतिक दल और धार्मिक संगठनों ने सबने मिलकर मास्क विरोधी, शारीरिक दूरी विरोधी मानसिकता और परिवेश को बनाने में मदद की।
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प्रधानमंत्री -मुख्यमंत्री ,सांसदों-विधायकों आदि ने इस नए संस्कार और आदत का आचरण में जमकर विरोध किया।
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ईश्वर, अंधविश्वास और धार्मिक आस्थाओं को कोरोना के महान प्रतिरोधक के रूप में जमकर प्रचारित प्रसारित किया. उस सबका ही यह परिणाम है कि अब कोरोना घर घर पहुँच गया है।
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इतनी भयानक तबाही के बावजूद हमारा समाज कोरोना को लेकर आज भी गंभीर नहीं है।
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इतनी भयावह अवस्था के बावजूद मोदी सरकार कोरोना को लेकर तदर्थ, इवेंट और प्रौपेगैंडा नजरिए से देख रही है। उसमें जनता की रक्षा करने, सेवा करने और उसकी जान बचाने की बजाय मुनाफा कमाने का भाव प्रबल है। जनता की अज्ञानता और नए संस्कार न अपनाने की मानसिकता और मोदी के मुनाफेखोरी के भावबोध ने मिलकर देश में कोरोना मानवजनित महामारी बना दिया है।
अब कोरोना और आरएसएस-मोदी एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं।
देश को बचाना है तो कोरोना, आरएसएस और मोदी सरकार इन तीनों से लड़ना होगा। क्योंकि मोदी-आरएसएस इन दिनों कोरोना के सबसे बड़े रक्षा कवच बने हुए हैं। कोरोना अब महामारी ही नहीं है बल्कि राजनीतिक महामारी भी है जिसके सर्जक हैं आरएसएस और मोदी सरकार।
प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी की एफबी टिप्पणी का संपादित रूप साभार