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CPI (M) asked : Will they fight against Corona only on the basis of physical distancing?
रायपुर 16 अप्रैल 2020 : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कल जारी मुख्यमंत्री के संदेश को प्रदेश की जनता में विश्वास न जगाने वाला बताया है तथा कहा है कि वे सिर्फ फिजिकल डिस्टेंसिंग के भरोसे ही कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतना चाहते हैं, जो संभव नहीं है।
मुफ्त खाद्यान्न वितरण के आंकड़ों और दावों पर भी माकपा ने कहा है कि इसमें राशन माफिया सक्रिय है और आदिवासी अंचलों में सड़ा चावल बांटा जा रहा है, लेकिन इस अहम मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री चुप्पी साधे बैठे हैं।
पार्टी ने कहा है कि कोरोना जांच किटों के अभाव के कारण इस महामारी का आगामी दिनों में और फैलाव का खतरा मौजूद है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि अब यह स्पष्ट है कि पूरे देश में कोरोना की भयावहता के बीच छत्तीसगढ़ का लाल निशान से अलग रहना संभव नहीं है। प्रदेश में कोरोना-संदिग्धों की जांच के लिए पर्याप्त किट तक उपलब्ध नहीं है और औसतन 6500 की जनसंख्या पर ही एक टेस्ट हो पा रहा है। जांच किटों की उपलब्धता के लिए एक टेंडर निरस्त हो चुका है। स्वास्थ्य सुविधाओं के ऐसे भारी अभाव के साथ कोरोना से लड़ने का मुख्यमंत्री का आत्मविश्वास प्रदेश की आम जनता को आश्वस्त नहीं करता। इस महामारी की आड़ में संघी गिरोह द्वारा जो सांप्रदायिक प्रचार किया जा रहा है, उसमें सरकार ने धर्म के आधार पर संक्रमितों की संख्या जारी करके इस आग को और हवा दी है और इस गलत रवैए के लिए भी मुख्यमंत्री के पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि केंद्र सरकार के अनियोजित लॉक डाउन और इसके पुनः विस्तार का छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था व आम जनता की रोजी-रोटी व उसके सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। खेती किसानी तहस-नहस होने से किसान बर्बाद हो गए हैं। उद्योग-धंधे चौपट होने से लाखों मजदूर सड़कों पर आ गए हैं। असंगठित क्षेत्र के मजदूर मार्च और अप्रैल के वेतन व मजदूरी से वंचित हो गए हैं। छोटे-मोटे स्वरोजगार में लगे लाखों लोगों की आजीविका छिन गई है। अत्यावश्यक चीजों की आपूर्ति बंद होने का फायदा कालाबाजारिये उठा रहे हैं और उपभोक्ता सामग्रियों के भाव डेढ़-दो गुना बढ़ चुके हैं। इस स्थिति से केवल मुफ्त चावल वितरण के जरिए ही नहीं निपटा जा सकता।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ किए जा रहे भेदभाव के बारे में भी बोलने और राज्य की आम जनता को विश्वास में लेने के लिए भी तैयार नहीं है।
माकपा नेता ने कहा कि एक ओर तो यह सरकार बस-ट्रक मालिकों को तो सैकड़ों करोड़ रुपयों की राहत दे सकती है, लेकिन अपने सीमित संसाधनों को बटोरकर कमजोर वर्गों को राहत देने के लिए किसी आर्थिक पैकेज की घोषणा करने के लिए तैयार नहीं है। इससे इस महामारी से निपटने के लिए उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव का ही प्रदर्शन होता है।
माकपा नेता ने कहा कि फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ ही आम जनता के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए उसकी रोजी-रोटी व आजीविका को हो रहे नुकसान की भरपाई करना बहुत जरूरी है। इसके लिए एक सर्व समावेशी आर्थिक पैकेज दिए जाने की जरूरत है। यह पैकेज ही प्रदेश की गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने का भी काम करेगा।