दिल्ली दंगों की जांच के नाम पर छात्रों, बुद्धिजीवियों व वामपंथी नेताओं को दिल्ली पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाने की निंदा

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hastakshep
14 Sep 2020
दिल्ली दंगों की जांच के नाम पर छात्रों, बुद्धिजीवियों व वामपंथी नेताओं को दिल्ली पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाने की निंदा

CPI (ML)condemned Delhi Police for accused students, intellectuals and leftist leaders in the name of investigating Delhi riots

लखनऊ, 14 सितंबर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने दिल्ली दंगों की जांच के नाम पर छात्रों, कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व वामपंथी नेताओं को दिल्ली पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाने की कड़ी निंदा की है।

पार्टी ने कहा है कि फरवरी में हुई पूर्वोत्तर दिल्ली की हिंसा में दिल्ली पुलिस की "जांच" हर गुजरते दिन के साथ और अधिक प्रतिशोधात्मक और हास्यास्पद बनती जा रही है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि अब तक के सभी आरोपपत्रों में दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट रूप से उन सबूतों पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है, जो सबूत चीख-चीख कर कहते हैं कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और अन्य भाजपा नेताओं ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काई।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में, दिल्ली पुलिस ने जामिया मिलिया इस्लामिया और जेएनयू के कई छात्रों और पूर्व छात्रों को गिरफ्तार किया है। इसके आरोप पत्रों में बार-बार सिविल सोसाइटी के सदस्यों को, जिनमें फिल्म निर्माता राहुल रॉय और प्रोफेसर अपूर्वानंद, उमर खालिद, आइसा नेता कंवलप्रीत कौर जैसी छात्र कार्यकर्ता को शामिल किया गया है। साथ ही, आइसा, जेसीसी व पिंजरा तोड़ जैसे छात्र संगठनों व मंचों को हिंसा के साजिशकर्ता के रूप में जिम्मेदार ठहराया गया है।

उन्होंने कहा, माना जाता है कि गिरफ्तार व्यक्तियों के "खुलासा" बयानों में सीपीआई-एमएल पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता एनी राजा और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव जैसे कई अन्य कार्यकर्ताओं के नाम हैं।

माले राज्य सचिव ने कहा, कल बताया गया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दायर एक पूरक आरोप पत्र में काफी हद तक 'खुलासा' बयान शामिल हैं, जो पिंजरा तोड़ की नारीवादी छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल और देवांगना कालिता की हैं। ये तथाकथित 'खुलासे' हिरासती स्वीकारोक्तियां हैं और अदालत में सबूत के लिहाज से महत्वहीन हैं। इसके अलावा, नताशा और देवांगना दोनों ने स्पष्ट रूप से उक्त कथनों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। इन 'कथनों' (जिनकी शब्द रचना से पता चलता है कि ये पुलिस द्वारा लिखी गई हैं) को सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर जयति घोष के नाम लपेटने के लिए माध्यम बनाया गया है।

राज्य सचिव ने कहा, मोदी सरकार दिल्ली पुलिस की 'दंगों की जांच' का उपयोग सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को चुप कराने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। 'वे वाम और लोकतांत्रिक आंदोलन को चुप करने और आतंकित करने की उम्मीद करते हैं, लेकिन उनके कार्यों का विपरीत प्रभाव पड़ेगा'।

माले नेता ने कहा कि हम दृढ़ता से और एकजुट होकर हरेक उस व्यक्ति की सीएए-विरोधी आवाज के साथ खड़े हैं, जिसे पुलिस दंडित करना चाहती है। हम और भारत के लोग, दिल्ली पुलिस के कार्यों को स्पष्ट रूप से उन लोगों की धरपकड़ की बेशर्म कार्रवाई मानते हैं, जो लोकतंत्र और शांति की रक्षा करने वाले लोगों के रूप में जाने जाते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार कटघरे में है। देश के लोगों ने इस सरकार पर भारत को दुनिया में सबसे खराब कोरोना प्रभावित देश बनाने, अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका को नष्ट करने, श्रमिकों और किसानों के अधिकारों पर हमले करने और भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को नष्ट करने का आरोप लगाया है। सरकार अब अपने स्वयं के अपराधों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, अपने आलोचकों के खिलाफ बनावटी आरोप लगा कर और पुलिस व जांच एजेंसियों का उपयोग करके कुख्यात कानूनों के तहत बेगुनाहों को गिरफ्तार करने और प्रताड़ित करने का काम कर रही है।

राज्य सचिव कहा, भाकपा (माले) लोकतंत्र के सभी साथी सेनानियों के साथ है, हर गढ़े हुए मामले, हर झूठे आरोप के खिलाफ खड़ी है। उन्होंने कहा, हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे।

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