दारापुरी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज उठाई खाद की पर्याप्त व्यवस्था की मांग
Darapuri sent a letter to the Chief Minister demanding adequate arrangement of fertilizer
उत्तर प्रदेश में यूरिया खाद का संकट | Urea crisis in Uttar Pradesh
लखनऊ, 26 अगस्त 2020: कोरोना महामारी में खेती किसानी पहले से ही बर्बाद हालत में है और ग्रामीण स्तर पर किसानों की आत्महत्या की लगातार खबरें आ रही हैं. ऐसी विकट स्थिति में उत्तर प्रदेश में भाजपा राज में किसानों को खाद भी मुहैया नहीं हो रही है. हालत यह है कि सहकारी समितियों से किसान वापस लौट जा रहे हैं और बाजार में कालाबाजारियों से बेहद महंगी दर पर धान की फसल के लिए खाद खरीदने को मजबूर हो रहे हैं. इन परिस्थितियों में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने आज मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर किसानों के लिए प्रदेश में खाद की पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग की है. पत्र की एक प्रतिलिपि कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी गई है.
पत्र में दारापुरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में सरकार घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर उनका कहीं क्रियान्वयन नहीं दिखाई देता है. खाद की कालाबाजारी पर रासुका लगाने की बातें हो रही है लेकिन पूरे प्रदेश में कालाबाजारी खुलेआम जारी है. आज तक एक भी कालाबाजारी के मामले में रासुका नहीं लगाया गया है जबकि इस के विपरीत खाद के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बर्बर लाठी चार्ज किया गया और उन पर मुकदमें लादे गए हैं.
राजधानी लखनऊ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा है कि अखबारों में आज छपी खबर के अनुसार बख्शी का तालाब समेत तमाम ब्लॉकों में किसान सहकारी समितियों से रोज वापस जा रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि जो खाद ₹270 में किसानों को प्राप्त होनी चाहिए वही उन्हें ₹800 प्रति बोरी तक खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. मोहनलालगंज, निगोहा, मलिहाबाद, सरोजनीनगर इन सारे ब्लॉकों का विस्तृत विवरण उक्त रिपोर्ट में दिया गया है.
उन्होंने कहा कि यही स्थिति कमोवेश पूरे प्रदेश में है. सोनभद्र जनपद में तो हमारे साथ जुड़े मजदूर किसान मंच की पहल और किसानों के आंदोलन के बाद ही किसानों को खाद मिलना संभव हो पाया है.
उन्होंने कहा कि किसान बदहाली की हालत में हैं, यदि यह स्थिति तत्काल न सुधरी तो किसानों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ेगा और उनकी धान की पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी.
ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री से मांग की गयी है कि प्रदेश में तत्काल प्रभाव से खाद की आपूर्ति के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो खाद की आपूर्ति को सुनिश्चित करे और जिला अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह बनाया जाए. साथ ही खाद आपूर्ति के लिए आवश्यक धन का आवंटन भी किया जाए.
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