/hastakshep-prod/media/post_banners/VG5iYeDWq02WQ1K3kuwb.jpg)
Death dealer's end begins: Corona virus is a knock of the same, America is badly trapped
#मौतकेसौदागरकाअंतशुरू
मुस्लिमों को आतंकी कहने की परम्परा (The tradition of calling Muslims as terrorists) भी कहीं और से नहीं बल्कि यूरोप, अमेरीका इजराइल से ही शुरू हुई है। क्योंकि जब मुस्लिम अपने हक़ तेल के लूटने का विरोध करने लगे तो इन्होंने आंतंकी का ठप्पा लगा दिया।
जो मुस्लिम यूरोप अमेरीका के पहलू में बैठ गये वे आज भी सुखी और संपन्न हैं, जिन्होंने विरोध किया आज भी आंतंकी का ठप्पा लिये घूम रहे हैं। इसके बेहतरीन उदाहरण इराक, कुरेद, अफ़ग़ान, यमन, सिरिया, लिबिया आदि आपको देखने को मिल जाएंगे।
सच कहा जाए तो ये अमेरिकी सदी 1941 में शुरू हुई और 2007 में बराक ओबामा के कार्यकाल में दौरान समाप्त हुई।
अमेरिका अब विश्व का सरदार नहीं रह गया है। | America is no longer the head of the world.
द्वितीय विश्व युद्ध और विशेष रूप से जर्मनी के बाद पश्चिमी यूरोप को पुनर्जीवित करने के बाद ब्रिटेन ने अमेरिका को ये सत्ता सौंपी थी।
पश्चिमी यूरोप के तेजी से विकास ने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ उदार पूंजीवाद को जन्म दिया और 1980 के दशक में व्यापार और वैश्वीकरण के माध्यम से लाभ देना शुरू कर दिया।
20वी शताब्दी में, अमेरिका ने दुनिया के हर कोने में 280 सैन्य हस्तक्षेप, सैकड़ों हत्याएं / तख्तापलट किए।
लेकिन वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, ग्वाटेमाला, हैती, निकारागुआ, एल साल्वाडोर, अफगानिस्तान, इराक, ईरान, लीबिया, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, सीरिया, तुर्की आदि में बार-बार रक्तपात और आपदाओं के बावजूद अमेरिका कभी भी विजयी प्राप्त नहीं कर सका।
1973 अरब-इज़राइल युद्ध ’(Yom Kippur War) के बाद तेल की कीमत 375 गुना बढ़ गई और पश्चिमी अर्थव्यवस्था 1950 से सिकुड़ने लगी।
फिर साम्राज्य शुरू हुआ 20 वीं सदी में अरब / मुस्लिमों को 1918 में ओटोमन साम्राज्य के पतन के बाद एक हथियार और पूंजी के रूप में तेल का एहसास हुआ।
ओटोमन साम्राज्य विश्व इतिहास का सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसमें यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देश शामिल थे।
ओटोमन्स ने अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों जैसे अल्जीरिया, मिस्र,
लीबिया (1551-1911)
बुल्गारिया (1396-1876),
सर्बिया और मोंटेनेग्रो (1371-1878),
क्रोएशिया (1500-1878),
बोस्निया हर्जेगोविना (1500- 1908) पर शासन किया। ,
1504 से तीन सौ वर्ष के लिए रोमानिया।
वर्ष 1878 दुनिया में मुस्लिमों के पतन और यूरोपीय लोगों द्वारा शोषण की शुरुआत के लिए कट-ऑफ ईयर है जो लगभग 1973 तक चला।
1973 की लड़ाई में तेल के झटके के बाद, अमेरिका ने पसंद की लड़ाई शुरू की और सितंबर 2019 तक मध्य पूर्व में लगभग पांच (5) दशक बिताए।
अमेरिका ने खुद को एक असाधारण राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने पेश किया, या कहें कि भगवान ने उसे दुनिया को भुनाने के लिए चुना।
इस समयांतराल (1989-2016) के दौरान, चीन ने अपना विकास करना शुरू कर दिया, जबकि अमेरिका लेबनान, अफगानिस्तान, इराक, ईरान, सीरिया, लिबास आदि में खुद को व्यस्त रखा।
इस दौरान पोलैंड के उप प्रधान मंत्री वाल्डेमरपावलक ने इस चीनी विकास को "चीनवाद " का नाम दिया, जो कि पूंजीवाद या समाजवाद से बिल्कुल अलग है।
पावलक ने कहा कि चीनवाद सामाजिक शांति, बुनियादी ढांचे में निवेश, गरीबी हटाने और आर्थिक स्थिरीकरण को संदर्भित करता है।
मलेशिया के महाथिर मोहम्मद की सलाह पर चीन ने पाकिस्तान, रूस, मध्य एशिया और पोलैंड से यूरोप तक सिल्करोड (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) का आविष्कार किया। (जैसे अतीत मे यूरोपियन से सिल्करूट जिन्हें समुद्री शक्तियों के रूप जाना जाता था)
यह दुनिया के इतिहास में $ 1 ट्रिलियन से अधिक के निवेश के साथ भूमि पर अपने आप में सबसे बड़ी आर्थिक संरचना सिद्ध होगी।
सिल्करोड आज बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया को स्थिरीकरण की आवश्यकता है। यह समुद्री शक्तियों की भूमिका को भी सीमित करेगा और चीन और शेष विश्व के बीच सहजीवी संबंध को प्रोत्साहित करेगा।
चीनी स्थिति ने पिछले तीस वर्षों में विकास, सामाजिक विकास और अर्थव्यवस्था के बीच बेहतर संतुलन बनाया है जिसने चीन को आर्थिक और सैन्य शक्ति घर बना दिया है।
यहॉ हम सब को बताते चले कि मुस्लिमों की तक़दीर तो 1973 के अरब-इस्राईल युद्ध से जो पाँच दिन चली उस के बाद ही बदली।
शुरू में अरब इजरायल वॉर में अरब चार दिन जीते और फिर हारने लगे, जब अमेरिका ने मदद कर दिया।
मगर भुट्टो रेयाद जाकर फ़ैसल से तोल बन्द करवा दिया, तब सीज़ फ़ायर हुआ। फिर कुछ दिन बाद Aramco का headquarter, जो न्यूयार्क में 1939 से था, वह बन्द कर दिया और दममाम आ गया।
पहले तो बस याद करा देता हूँ लोगों को कि 1971 में बंगलादेश बना मगर कोई कुछ नहीं बोला, लेकिन अच्छा किया। क्योंकि मामला भारत का था फिर कभी इस पर लिखेंगे।
एक बात और जो शायद लोगों को मेरी बात पर यक़ीन न हो। मगर जुलफिकार अली भुट्टो को फाँसी अमेरिका ने ही दिलाई कि वही शख्स था जिसके कहने पर 1973 की लड़ाई में शाह फ़ैसल को तेल बन्द कराने की सलाह दी। भुट्टो को उसी की सज़ा मिली और उसके बाद 1976 में शाह फैसल का कत्ल।
ख़ैर छोड़िए दुनिया हमेशा ऐसे ही रंग बदलती है।
मध्य पूर्व में यूएई और सऊदी अरब, इराक की तरह 1970 के दशक के बाद से बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश, गरीबी हटाने, सामाजिक शांति और आर्थिक स्थिरीकरण के माध्यम से चीनवाद का पालन किया जा रहा है।
तुर्की ने पहले ही 2002-2017 से बुनियादी ढांचे में $ 200 बिलियन का निवेश किया है।
मिस्र काहिरा के बाहर एक नई राजधानी में $ 50 बिलियन का निवेश कर रहा है।
सऊदी $ 500 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बिजली और पानी की आपूर्ति में $ 450 बिलियन के साथ नया शहर NEOM भी बना रहा है।
इन सभी निवेशों को अब न तो पूंजीवाद कहा जाता है, न ही समाजवाद, बल्कि चीनवाद कहा गया।
पिछले दशक में, बराक ओबामा की अरब स्प्रिंग ने पिछली सदी की अमेरिकी विदेश नीति के ताबूत में अंतिम कील लगाई।
ओबामा की 2011 की सीरिया नीति 1980 में जिमी कार्टर की ईरान की नीति से भी बदतर थी।
ओबामा ने अन्य आतंकवादी / कट्टरपंथी संगठनों का मुकाबला करने के लिए सीरिया में एक नया आतंकवादी संगठन ISIS बनाया।
ISIS अफगानिस्तान की अल कायदा और तालिबान की पुनरावृत्ति थी।
सीरिया में ओबामा की सभी विफलताओं के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने कुर्दों की मदद के लिए अमेरिकी वायु शक्ति और सैन्य सलाहकारों को भेजा।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन का धन्यवाद जिन्होंने 2015 में सीरिया में हस्तक्षेप किया और अमेरिका के खिलाफ पूरी भूमिका ही बदल दी।
डोनाल्ड ट्रम्प की घिनौनी नीति सलाहकारों ने विदेश नीति की गड़बड़ी की। ट्रम्प ने दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में दुश्मन बना दिए जैसे कि अमेरिका एकमात्र सुपर पावर है जो दुनिया के बाकी हिस्सों पर अपनी इच्छा शक्ति लागू करता है।
सीरिया के युद्ध और शक्ति संतुलन के एशिया में स्थानांतरित होने के बाद से दुनिया तेजी से बदल गई है।
/hastakshep-prod/media/post_attachments/5aUwLVjdiqkpyIGgS04S.jpg)
22 सितंबर को ह्यूस्टन में हाउडी ने कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने की अमेरिकी बाजीगरी नीति को नाटकीय रूप से बदल दिया। इसके चलते 25 अक्टूबर 2019 को डोनाल्ड ट्रम्प की महाभियोग जाँच हुई।
अब यह स्पष्ट है कि वर्तमान शताब्दी एशिया, विशेष रूप से चीन और मध्य पूर्व की है।
यह जो यूगर यूगर का हल्ला जो अमेरिका हौआ बना रहा है वह यही है कि पूरे सेन्ट्रल एशिया को खास कर कजाकिस्तान को बरबाद किया जाये। यह लोग बहुत तरक्की कर गये हैं और चीन के सिल्कबेल्ट ऑफ रोड का हिस्सा हैं।
कोई मुस्लिम नेता नहीं बोल रहा है मगर यह लोग बहुत बोल रहे हैं। यह वही चाल है जिस में झूठ ज्यादा सच कम था इराक़ और सिरिया के बारे में। और दोनों को बरबाद कर दिया। इसमें अब हम भारतीय भी फँसते जा रहे हैं। आज हम भी दूर तक सोच नहीं पा रहे हैं कि कौन अपना और कौन पराया।
कोरोनावायरस उसी की एक दस्तक है अमेरिका बुरी तरह फंस चुका है।
अब विश्व में इस्लामोफोबिया आधा से ज्यादा ख़त्म हो गया। लेकिन सचाई कुछ इतर ही है और वो नए बाजार की तलाश की जा रही है।
अमित सिंह शिवभक्त नंदी
क्या यह ख़बर/ लेख आपको पसंद आया ? कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट भी करें और शेयर भी करें ताकि ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे