यथार्थ
देकर के आश्वासन, एक उच्चकोटि अभिशासन का।
शंखनाद था किया गया, अच्छे दिन के आमंत्रण का।।
दिवास्वप्न दृष्टा बनकर, इस भोली भाली जनता ने।
स्वप्न संजोया रामराज्य का, तुमको चुनकर सत्ता में।।
सात वर्ष से घूम रहा है, अभिनव अभिनय का चक्का।
जाति, धर्म और पंथ के राक्षस देते सत्ता को धक्का।।
पद के मद में चूर हुए, क्या दर्द किसी का समझोगे।
जब राम कृष्ण ना छोड़े, पतित पावनी कैसे छोड़ोगे।।
कोरोना लहर दूसरी जब, दहलीज पे देती थी दस्तक।
विश्व शक्तियां पड़ी हुईं थी, उसके आगे नतमस्तक।।
पतित पावनी पर करके, तुमने कुंभ का आयोजन।
मनुज श्रृंखला दिलवाकर, किया कोरोना विस्तारण।।
सत्ता मद में धृतराष्ट्र तुमने, मृत्यु तांडव करा दिया।
देकर वरीयता चुनावों को, मानव मूल्य लजा दिया।।
भोली जनता ये बज्रपात सी, पीड़ा भी सह जाएगी।
सिर का उजड़ा साया, मां की सूनी गोद रह जाएगी।।
भारत का भयावह यथार्थ, अब सदियां भी न भूलेंगी।
आधारिक संरचना की दृणता, हेतु किसी को ढूंढेंगी।।
क्रांति का गुंजन होगा, अब राम कृष्ण की भूमि पर।
फिर होंगे अवतरित दधीचि, इस पावन मनुभूमि पर।।
मनु सभ्यता हौसला धरेगी, इस देह को बज्र बनाएगी।
लक्ष्मण रेखा घोसला बनेगी, व्याधा मुक्त हो जाएगी।।
तुम कुंभ और चुनावों का, यह मृत्यु-तांडव चलने देना।
सौगंध तुम्हें सत्ता मद की, लॉकडाउन नहीं लगने देना।।
डॉ अनुज कुमार
डॉ. अनुज कुमार मोटिवेशनल स्पीकर हैं।
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dr anuj kumar मोटिवेशनल स्पीकर हैं।