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लगभग 80 प्रतिशत रोगियों में यह पाया गया है कि यह बीमारी डीवीटी कोई लक्षण प्रस्तुत नहीं करती
जानें डीप वेन थ्रोंबोसिस को | Deep vein thrombosis (DVT) - Symptoms and causes
डीप वेन थ्रोम्बोसिस यानी डी वी टी अक्सर एक अनदेखी रोग विषयक स्थिति है जहां मुख्य शिरा में खून जमा हो जाता है तथा जिसके कारण रक्त का प्रवाह पूरी तरह से या अंशत: रूक जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पैरों पर पड़ता है। पैरों में सूजन (Swelling of feet) विशेषत: पिंडलियों व एड़ियों में देखी जाती हैं। जो व्यक्ति डीवीटी से ग्रस्त होते हैं। उन व्यक्तियों के लिए यह एक आम लक्षण होता है। कुछ मरीजों को तो इसका अनुभव होगा कि जब भी वह खड़े होते या चलते है तो उनकी पिंडलियों या जांघों में बहुत दर्द होता है।
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मुंबई स्थित पी डी हिंदुजा नेशनल हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर और ऑर्थोपेडिक्स एवं ट्रॉमेटोलॉजी के अध्यक्ष डा. संजय अग्रवाला के अनुसार वास्तव में डीवीटी का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि जब थक्का के टुकड़े अन्त:शल्य हो जाते हैं तो यह खून के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। यह प्रक्रिया ''पलमोनरी एम्बोलिज्म'' (पीई)कहलाती है। यह एक ऐसी स्थिति जो एक साधारणतया जिंदगी के लिए बहुत डरावनी होती है। थक्कों के फेफड़ों में जाने के समय से लेकर 30 मिनटों के अंदर एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। लगभग 80 प्रतिशत डीवीटी के रोगियों में यह पाया गया है कि यह बीमारी कोई लक्षण प्रस्तुत नहीं करती।
जो भी हो, यह कहा जाता है कि रोग-विशेषज्ञों के लिए भी यह एक गुप्त रोग की तरह होती है। इसके साथ इसे एक संभावित चुनौती मानकर जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश की जानी चाहिए तथा इसके बारे में भलीभांति जानना भी चाहिए। डीवीटी एक जिंदगी भर डराने वाली स्थिति की तरह होती है।
Economy class syndrome and thrombin | Deep vein thrombosis Economy Class Syndrome
यही कारण है कि इसको ''इक्नॉमी क्लॉस सिंड्रोम'' भी कहा जाता है, क्योंकि इसके विकास के साथ ही इसकी बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं, जब शरीर की विभिन्न गतिविधियां रूक जाती हैं, जैसे लंबी व जटिल हवाई यात्रा के दौरान पैरों का सुन्न पड़ जाना। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर के किसी भाग में खून जम जाता है। ज्यादातर पैरों की लंबी शिराओं में, हाथों, कंधों पर ऐसा होता है।
पीई के कारण अमेरिका में हर साल 200,000 मृत्यु होती हैं | Every year 200,000 deaths occur in the United States due to PE
एड्स व स्तन कैंसर से ज्यादा डीवीटी हर साल लगभग 20 लाख अमेरिकावासियों को प्रभावित करता हैं और अमरीका में ही पीई के कारण हर साल 200,000 मृत्यु होती हैं। अस्पतालों में भी मरीजों की अधिकतर मृत्यु डीवीटी व पीई के कारण होती है। डीवीटी के तीन मरीज में से केवल दो ही मरीज बचाए जा सकते हैं।
भारतीय अध्ययनों के तथ्यों से यह ज्ञात होता है कि भारतीय मरीजों में डीवीटी की घटना होना एक आम बात है, विशेषकर वह मरीज जो अस्पताल में भर्ती होते हैं। अन्य अध्ययनों से भी पता चलता है कि भारतीय मरीजों में पोस्ट-ऑपरेटिव डीवीटी की घटना पश्चिमी संसार में लॉवर लिंब सर्जरी (Lower limb surgery) के रूप में अधिक देखने को मिल रही हैं। इसी कारण,जांच पड़ताल के लिए जानकारियों व सुगमताओं की कमी के कारण बीमारी के प्रचलन का अंदाजा लगाया जा सकता है।
डा. संजय अग्रवाल और उनकी टीम द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 60 प्रतिशत मरीजों, जिनको डीवीटी के कारण रोग-निरोधन प्राप्त नहीं हुआ, उन्हें लॉवर लिंब सर्जरी करानी पड़ी।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) के बारे में पता कैसे लगाएं?
डा. संजय अग्रवाल कहते हैं कि आज के इतनी उन्नति भरी मेडिकल चिकित्सा में यदि सही समय पर इलाज कराया जाए तो डीवीटी से बचा जा सकता है। आज कल डीवीटी का अल्ट्रासाउंड द्वारा भी पता लगाया जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरीके का इस्तेमाल कर वह छोटे-छोटे थक्कों का पता लगा सकते हैं। थ्रोम्बोसिस का खून की जांच करके भी पता लगाया जा सकता है। जो कि एक बहुत अच्छा तरीका माना जाता है। एक ऐसी जांच जो क्लोटिंग सामग्री के बाय-प्रोडक्ट्स के स्तर को मापती है डी-डीमर कहलाती है। और इसका इस्तेमाल आजकल बहुत प्रचलन में हैं।
डा. संजय अग्रवाल कहते हैं कि डीवीटी के असरदायक प्रबंधन के लिए इसका जल्द निदान,शीघ्र रोग निरोधन और संपूर्ण इलाज निर्णायक हैं।
वह लोग, जो पहले से डीवीटी से ग्रस्त हैं, उन्हें इसकी असहनीय समस्याओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां रखनी चाहिएं। थक्का बनने के जोखिम से छुटकारा पाने के लिए खून को विरलन करने वाली दवाइयां जैसे एस्परीन एक बहुत अच्छा तरीका है। लंबी यात्रा करने से पहले एस्परीन थोड़ी मात्रा में लेनी चाहिए। इससे डीवीटी होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं। जब आप बैठे हो तो पैरों के विभिन्न व्यायाम करने जैसे एड़ियों को घुमाना, पैरों की उंगलियों को हिलाना-डुलाना आदि करते रहना चाहिए, क्यों कि इससे पैरों में खून एकत्रित होने से बच जाएगा और इसके बाद शरीर में खून का प्रवाह लगातार बना रहेगा। ऑपरेशन के बाद लोग अचानक जल्द से जल्द बिस्तर छोड़ने के लिए जागरूक रहते है। इस कारण से भी व्यक्तियों में डीवीटी होने की आशंकाएं बनी रहती हैं।
डीवीटी का निदान | Diagnosis of DVT
डीवीटी के निदान के लिए इसमें आमतौर पर प्रारंभ में इंजेक्शन के जरिए हैपरीन की ऊंची मात्रा दी जाती है। मरीज को वारफैरीन की भी दवाई कुछ महीनों तक खाने के लिए निर्देशित की जाती है। जब तक यह रक्त विरलन दवाइयां (Blood sparing drugs) ली जाती हैं, मरीज को रोजाना अपने खून की जांच करानी पड़ती है कि मरीज सही तरीके से दवाइयां तो ले रहा है ना ? तथा वह हैमोरेज के खतरे में तो नहीं है।
डीवीटी के लक्षणों से बचने के लिए दर्द विनाशक व उस स्थान पर गर्मी पहुंचाने वाली दवाइयां लेने की डॉक्टर द्वारा राय दी जाती है। इसके बाद मरीज कहीं भी आ जा सकता है। जवान लोगों में डीवीटी की संभावना बहुत कम होती है, जिनकी उम्र 40 तक होती उनमें यह बीमारी आमतौर पर होती है। यदि आप ऐसा सोचते हैं कि आप भी डीवीटी के खतरे में हैं, तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें, स्वयं डॉक्टर न बनें।
डा. संजय अग्रवाल कहते हैं कि अध्ययर्नकत्ता डॉक्टरों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह ऊंचे प्रोटोकॉलों का मार्गदर्शन जैसे डीवीटी के प्रबंधन के लिए सत्रहवां अमेरिका कॉलेज ऑफ चैस्ट फिजिशिन्स द्वारा परामर्श दिए जाते हैं, करें।
राजेंद्र कुमार राय
(देशबन्धु )