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Delhi Police raids at the residence of Dr. Zafarul Islam Khan, Chairman of Delhi Minorities Commission.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन डॉ. जफरुल इस्लाम खान के आवास पर गृह मंत्रालय/ मोदी सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस का छापा बेहद निंदनीय व शर्मनाक कृत्य है।
फासिस्टों की सरकार द्वारा डॉ. खान को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है, क्यों कि उन्होंने दिल्ली हिंसा में पुलिस की साम्प्रदायिक भूमिका (Communal role of police in Delhi violence) को बेनकाब किया था। और कोरोना संकट के समय फासिस्टों और उनकी गोदी मीडिया द्वारा इस्लामोफोबिया (Islamophobia) पैदा करने, कोरोना के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराने और उनके प्रति नफरत घृणा व वैमनस्य का विभाजनकारी माहौल बनाने की आलोचना की।
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जो डॉ. खान ने कहा वह किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सामान्य बात है और भारत के संविधान में नागरिकों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के अंतर्गत आता है। लेकिन फासिस्टों की सरकार ने भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं की धज्जियां उड़ा दी है और संवैधानिक अधिकारों पर संगठित हमला बोल कर मुल्क में तानाशाही का खतरा पैदा कर दिया है। इसलिए जो भी फासिस्ट सरकार का विरोध कर रहे हैं उनका दमन किया जा रहा है। आंदोलनकारियों पर आतंकवाद निरोधक कानून जैसे काले कानून के तहत मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं। और डॉ जफरुल इस्लाम खान पर देशद्रोह के तहत मुकदमा लगा दिया गया है ।
क्या सरकार के जनविरोधी कृत्यों और फासिस्टों की नफरत की राजनीति का विरोध देशद्रोह है ?
एक दम नहीं ।
मैं समझता हूं कि सरकार के जनविरोधी कृत्यों का विरोध और फासिस्टों की देश को तोड़ने वाली नफरत की राजनीति (Politics of hate) का विरोध ही आज सबसे बड़ी देश भक्ति है। इसलिए मैं डॉ. जफरुल इस्लाम खान को भारत का देश भक्त वीर सपूत मानता हूं जिसने सच को बोलने का साहस किया है और फासिस्ट सत्ता के सामने चुनौती पेश की है। हमें आप पर गर्व है डॉ जफरुल इस्लाम खान। हम आपके साथ हैं।
अजीत सिंह यादव