Advertisment

झारखंड में टीएसपी व एसपीएससी द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण व कानून बनाने की मांग

author-image
hastakshep
07 Mar 2021
New Update
झारखंड में टीएसपी व एसपीएससी द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण व कानून बनाने की मांग

Advertisment

Demand for social audit and enactment of schemes run by TSP and SPSC in Jharkhand

Advertisment

रांची से विशद कुमार, 07 मार्च 2021. झारखंड में अनुसूचित जनजाति उपयोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना (Scheduled Tribe Sub Plan and Scheduled Caste Sub Plan in Jharkhand) द्वारा चलायी जा रही सभी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण उसी समुदाय से कराने तथा झारखंड टीएसपी और एससीएसपी के लिए कानून बनाने की मांग आज रांची स्थिति एचआरडीसी में आयोजित आदिवासी, दलित व अल्पसंख्य समुदाय के संगठनों तथा संस्थाओं की बैठक में गयी।

Advertisment

बैठक का आयोजन दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर व भोजन के अधिकार अभियान के द्वारा किया गया था।

Advertisment

बैठक में बोलते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि झारखंड में टीएसपी और एससीएसपी द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलायी जा रही है, मगर इन योजनाओं में लूट मची हुई है, इसके साथ ही साथ टीएसपी और एससीएसपी की राशि का विचलण हो रहा हैं, जिसके कारण आदिवासी, दलित व वंचित समुदाय को सीधे तौर पर लाभ नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड एक आदिवासी राज्य है, यहां आदिवासी उपयोजना के संचालन के लिए कानून नहीं है, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।

Advertisment

उन्होंने कहा कि सरकार को वर्तमान सत्र में टीएसपी के लिए कानून लाने की जरुरत है।

Advertisment

बैठक में रामदेव विश्वबंधू ने कहा कि अगर सरकार सचमुच झारखंड के दलितों व आदिवासी समुदायों का विकास चाहती है, तो झारखंड में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपयोजना द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की निगरानी और एमआईएस विकसित करने की जरूरत है।

Advertisment

गणेश रवि ने कहा कि कानून के साथ सामाजिक अंकेक्षण होना जरूरी है। दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर के राज्य समन्वय मिथिलेश कुमार ने कहा कि झारखंड आदिवासी और दलित उपयोजना के लिए झारखंड में एक सख्त कानून की जरूरत है, तभी आदिवासी व दलित समुदाय को इस उपयोजना का लाभ मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशीप योजना को काफी जटील बनायी गयी है, जिसके कारण अधिकांश दलित व आदिवासी छात्र-छात्राएं आवेदन नहीं कर पाते हैं और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जैसे महत्वपूर्ण योजना से वंचित रह जाते हैं। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाइलट के तौर कुछ जिलों टीएसपी और एससीएसपी द्वारा चलायी जा रही योजना का सामाजिक अंकेक्षण किया जाए ताकि कार्यान्वयन एजेंसी को जवावदेह बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि झारखंड में अगर मात्र पांच साल के बजट आंकड़ों को देखा जाए तो साफ हो जाएगा कि किस तरह टीएसपी की बहुत बड़ी राशि का विचलण किया गया है या फिर गैर योजना मद में खर्च की गयी है, जो टीएसपी गाईड लाइन का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन।

अफजल अनीस ने कहा कि आदिवासी, दलित समुदाय के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आज परेशान हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए मिलने वाली छात्रवृति में बड़े पैमाने पर घोटाला हुई है, जो काफी गभीर मामला है।

बैठक में भोजन के अधिकार अभियान के राज्य संयोजक अशर्फीनंद प्रसाद, दलित युवा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार भुईया, प्रत्युष, उदय सिंह, अमेरिका उरांव, मनिकचंद कोरवा, सुशीला लकड़ा, राजेश लकड़ा, दिनेश मुर्मू, राजन कुमार, मुनेश्वर कोरवा, माधुरी हेम्ब्रम सहित कई लोगों ने अपनी-अपनी बातें रखीं और झारखंड टीएसपी और एसएसपी के लिए कानून बनाने और टीएसपी से संचालित सभी योजनाओं को सामाजिक अंकेक्षण कराने की मांग की।

Advertisment
सदस्यता लें