Democratic movement will be against totalitarianism - IPF
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लखनऊ, 14 सितम्बर 2020, दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों की चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया अध्यक्ष योगेन्द्र यादव, अपूर्वानंद, राहुल राय और जयति घोष समेत तमाम बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अभियुक्त न होते हुए भी नाम डालना सामान्य राजनीतिक लोकतांत्रिक गतिविधियों का अपराधीकरण करना है.
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में इसकी निंदा की है.
आइपीएफ ने यह भी प्रस्ताव पारित किया है कि केवल सीएए/एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने तथा दिल्ली दंगों के षड्यंत्र में शामिल रहने का कोई भी सुबूत न होने पर भी उमर खालिद की गिरफ्तारी तथा उस पर यूएपीए लगाने की दिल्ली पुलिस की कार्रवाही अन्यायपूर्ण और उत्पीड़नात्मक है. आरएसएस और भाजपा की मोदी सरकार को इस तरह की राजनीतिक वैचारिक बदले की कार्रवाई से बाज आना चाहिए यह लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है.
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आइपीएफ यूएपीए तथा एनएसए जैसे काले कानूनों को ख़त्म करने की अपनी मांग को पुनः दोहराई है.
आइपीएफ यह महसूस करता है कि देश में बढ़ रहे अधिनायकवाद के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक शक्तियों को एक मंच पर एकताबद्ध होकर इसका मुकाबला करना चाहिए. आइपीएफ ने आज रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए युवा मंच समेत सभी छात्र युवा संगठनों के द्वारा चलाएं गये अभियान और किसान विरोधी अधिनियमों के खिलाफ किसानों मजदूरों के आंदोलन को सफल बनाने के लिए बधाई देते हुए इससे बनी एकता को एक राजनीतिक ताकत में बदलने की अपील भी की.
यह राजनीतिक प्रस्ताव आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी किया.