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Do you know why it is very difficult to defeat Modi?
वर्ण व्यवस्था की पुनर्व्याख्या भी Identity politics based पिछड़ी राजनीति को नरेंद्र मोदी के मुकाबले कहीं खड़ी नहीं कर सकती. इसलिए इसके उन्मूलन पर विचार होना चाहिए.
मैं पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं कि कुछ इंटेलेक्चुअल वर्ण व्यवस्था की पुनर्व्याख्या (Reinterpretation of varna system) कर रहे हैं. इसमें तीसरे वर्ण ( उत्पादक वर्ग को या पूंजी पैदा करने वाले समुदाय) को सबसे ऊपर स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.
यह एक मुश्किल काम है और प्रकारांतर से वर्ण व्यवस्था को जिंदा रखने की कोशिश है.
हालांकि ऐसा स्थापित करने की कोशिश वाले लोग खुद कृष्ण नहीं बन सकते और उनकी लोकप्रियता या स्वीकार्यता भी कृष्ण जैसी नहीं हो सकती.
वर्ण व्यवस्था का इतिहास | History of varna system
वर्ण व्यवस्था का पूरा विचार कृष्ण ने प्रतिपादित किया था. पौराणिक बातों को संशोधित करके अपने राजनीतिक हित के लिए इसलिए इसे लागू करना एक मुश्किल काम है. और यह भी संघ की ही राजनीति है.
ऐसा उन्होंने महाभारत में कहा है. फिर उसके समानांतर कोई और विचार कैसे स्थापित हो सकता है क्योंकि कृष्ण को यहां ईश्वर का दर्जा हासिल है?
इसलिए इस दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश सिर्फ और सिर्फ धोखेबाजी है. बेहतर हो कि वर्ण व्यवस्था के उन्मूलन पर कुछ ठोस काम किया जाए.
बिना वर्ण व्यवस्था को नकारे आप नरेंद्र मोदी संग या फिर हिंदू धर्म के मित्रों के सहारे राजनीति पर कब्जा करने वाले लोगों से नहीं लड़ सकते.
भारतीय राजनीति में विकास का राजनीतिक एजेंडा | Political agenda of development in Indian politics
संघी पिछले 90 सालों से भारतीय जनता के बीच जो नफरत बांट रहे हैं उसका इलाज आप कैसे करेंगे?
विकास की बात करना उसका इलाज नहीं हो सकता. भारतीय राजनीति में विकास कभी राजनीति का एजेंडा नहीं रहा है. अब इस देश में केवल दो राजनीति है हिंदुत्व और गैर हिंदुत्व की राजनीति.
आपको अपना पक्ष तय करना पड़ेगा क्योंकि भाजपा का सत्ता में पहुंचना अचानक नहीं हुआ है. इसके पीछे उनकी 90 साल की नफरत बांटने की मेहनत जिम्मेदार है.
जाहिर सी बात है आपको भी उनके खिलाफ एक लंबी मेहनत करनी पड़ेगी. जिस समाज के बीच में वे नफरत बांट रहे हैं वहां आपको उस नफरत के खिलाफ ठोस आईडिया लेकर जाना पड़ेगा.
ऐसा आईडिया जो भारत के बहुसंस्कृतिवाद, सांस्कृतिक वाद को बचाने का हो, देश को लोकतांत्रिक बनाने का हो और जातियों के उत्पीड़न को नकारने का विचार हो.
इससे इधर आप कुछ नहीं कर सकते. बंदर की तरह उछल कूद कर लीजिए कोई फायदा नहीं है.
नरेंद्र मोदी को पराजित करना बहुत मुश्किल काम क्यों है ?
जब तक हिंदुत्व के खिलाफ एक लोकतांत्रिक बहुसंस्कृतिवाद और धर्मनिरपेक्ष विचार जनता के बीच मजबूती से स्थापित नहीं किया जाता, भारत में नरेंद्र मोदी को पराजित करना बहुत मुश्किल काम है.
भाजपा सत्ता में आने के बाद भी भारतीय जनता के हिंदुत्वीकरण की प्रक्रिया को लगातार आगे बढ़ा रही है. बाकी दल सत्ता में आने के बाद लोगों को लोकतांत्रिक बनाने या फिर अपने एजेंडे के मुताबिक ढालने की प्रक्रिया को बंद कर देते हैं. यही भाजपा और बाकी दलों के बीच एक बड़ा अंतर है.
भाजपा के पास एक विशाल तंत्र है जो अपने एजेंडे को पूरा करने में दिन-रात लगा रहता है. बाकी के पास ऐसा नहीं है इसीलिए भाजपा आज उन्मुक्त सांड की तरह घूम रही है.
हरे राम मिश्र
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
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