डॉ. कफील खान की रासुका अवधि तीन माह बढ़ाने की माले ने निंदा की

hastakshep
14 May 2020
डॉ. कफील खान की रासुका अवधि तीन माह बढ़ाने की माले ने निंदा की

लखनऊ, 13 मई। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने डॉ. कफील खान की रासुका अवधि तीन माह बढ़ाने की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने उनकी रिहाई की मांग की है।

बुधवार को जारी बयान में पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि अलीगढ़ जिला प्रशासन द्वारा रासुका की अवधि बढ़ाने के पीछे बताया गया कारण कि उनकी रिहाई से कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है, हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की तमाम बन्दिशों के बीच भला डॉ. कफील की रिहाई से कैसे यह खतरा हो सकता है।

माले नेता ने कहा कि अव्वल तो कोरोना महामारी के दौर में जेलों में वैसे भी संक्रमण के फैलने का खतरा है। इस खतरे के मद्देनजर ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ढेर सारे कैदी यूपी समेत देश भर में रिहा भी हुए हैं। ऐसे में डॉ. कफील खान को रिहा न कर उन पर तीन महीने के लिए रासुका और बढ़ा देना दिखाता है कि यह दुर्भावनावश किया गया है।

राज्य सचिव ने कहा कि ऐसा योगी सरकार के इशारे पर किया गया है। इसमें बदले की कार्रवाई जैसी बू आती है।

उन्होंने कहा कि सीएए-विरोधी आंदोलन में अलीगढ़ भाषण प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद डॉ. कफील को यूपी पुलिस की एसआईटी भेज कर मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार करवाना, उन पर रासुका तमिल करना और अब इसकी अवधि बढ़ाना - यह घटनाक्रम (क्रोनोलॉजी) दिखाता है कि योगी सरकार उन्हें कैद रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। यह लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। डॉ. कफील चिकित्सक हैं, न कि दुर्दांत अपराधी। उनकी रिहाई के पक्ष में हाल में सौ से ऊपर चिकित्सक और बुद्धिजीवी अपील कर चुके हैं।

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