हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव में इस रविवार डॉ. शान्ति सुमन का काव्य-पाठ

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hastakshep
27 Aug 2020
हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव में इस रविवार डॉ. शान्ति सुमन का काव्य-पाठ

नई दिल्ली, 27 अगस्त हस्तक्षेप डॉट कॉम के यूट्यूब चैनल के साहित्यिक कलरव अनुभाग (Sahityik Kalrav section of hastakshep.com ‘s YouTube channel) में इस रविवार 30 अगस्त 2020 को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शान्ति सुमन (Dr. Shanti Suman) का काव्य पाठ होगा।

यह जानकारी देते हुए हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव के संयोजक डॉ. अशोक विष्णु शुक्ला व डॉ. कविता अरोरा ने बताया कि कोशी अंचल के एक गाँव कासीमपुर, जिला सहरसा में जन्मी डॉ. शान्ति सुमन नवगीत की एक सुप्रसिद्ध हस्ताक्षर हैं। ये नवगीत की पहली कवयित्री भी मानी जाती हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज से हिन्दी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर वहीं के एमडीडीएम कॉलेज (बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय की एक अंगीभूत इकाई) में नियुक्त हुईं और 33 वर्षों तक प्राध्यापन के बाद वहीं से प्रोफेसर एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद से वर्ष 2004 में सेवामुक्त हुईं। 1971 में “मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य” विषय पर पीएचडी की उपाधि पाई।

डॉ. शान्ति सुमन की प्रकाशित कृतियां

डॉ. शान्ति सुमन के गीत संग्रह

ओ प्रतीक्षित (1970)

परछाईं टूटती (1978)

सुलगते पसीने (1979)

पसीने के रिश्ते (1980)

मौसम हुआ कबीर (1985)

तप रहे कँचनार (1997)

भीतर भीतर आग (2002)

पंख पंख आसमान (2004, चुने हुए 101 गीतों का संग्रह)

एक सूर्य रोटी पर (2006)

धूप रंगे दिन (2007)

नागकेसर हवा (2011)

मेघ इंद्रनील (1991 मैथिली नवगीत संग्रह)

लय हरापन की (2014)

लाल टहनी पर अड़हुल (2016)

सान्निध्या (2020)

डॉ. शान्ति सुमन के कविता संग्रह

समय चेतावनी नहीं देता (1994)

सूखती नहीं वह नदी (2009)

डॉ. शान्ति सुमन के उपन्यास

जल झुका हिरन (1976)

डॉ. शान्ति सुमन की आलोचना कृति

मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य (1993)

डॉ. शान्ति सुमन का संपादन कार्य

सर्जना (1963-64 तीन अंक प्रकाशित मुजफ्फरपुर)

अन्यथा (1971 नवगीत अंक मुजफ्फरपुर)

बीज (पटना)

'भारतीय साहित्य', 'कंटेंपररी इंडियन लिटरेचर' (दिल्ली) का सह संपादन

देश विदेश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही। देश के विभिन्न आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केंद्रों से गीतों की रिकॉर्डिंग एवं प्रसारण। कश्मीर से कन्याकुमारी तक के काव्य मंचों पर गीतों की सस्वर प्रस्तुति।

1965 से 2010 के दौरान कवि सम्मेलनों एवं अन्य मंचों पर अपनी स्वर प्रस्तुति से अपार नाम यश अर्जित किया।

डॉ. शान्ति सुमन को मिले सम्मान और पुरस्कार

'भिक्षुक' (मुजफ्फरपुर का पत्र) द्वारा सम्मान

बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से 'साहित्य सेवा सम्मान' से सम्मानित एवं पुरस्कृत

हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से 'कवि रत्न सम्मान'

बिहार सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा 'महादेवी वर्मा सम्मान' से सम्मानित और पुरस्कृत

'अवंतिका' (दिल्ली) द्वारा 'विशिष्ट साहित्य सम्मान'

मैथिली साहित्य परिषद से 'विद्यावाचस्पति सम्मान'

हिंदी प्रगति समिति द्वारा 'भारतेंदु सम्मान'

नारी सशक्तिकरण के उपलक्ष में 'सुरंगमा सम्मान'

विंध्य प्रदेश से 'साहित्य मणि सम्मान'

हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से 'साहित्य भारती सम्मान' (2005)

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 'सौहार्द सम्मान' से सम्मानित एवं पुरस्कृत (2006)

'मिथिला विभूति सम्मान' (2015)

'निर्मल मिलिन्द सम्मान' एवं पुरस्कार (2016)

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सर्व भाषा कवि सम्मेलन, दिल्ली में तमिल कविता का हिंदी में काव्यात्मक अनुवाद-पाठ।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सर्व भाषा कवि सम्मेलन, कोलकाता में संस्कृत कविता का हिंदी में गीतात्मक अनुवाद

महाकवि जयशंकर प्रसाद कृत 'कामायनी' महाकाव्य का मैथिली में अनुवाद- साहित्य अकादमी दिल्ली से प्रकाशित (2013)

डॉ. शान्ति सुमन का आलोचनात्मक मूल्यांकन | Critical evaluation of Dr. Shanti Suman

शांति सुमन के गीत एवं उनकी गीत धर्मिता का अध्ययन - विश्लेषण करते हुए समर्थ समीक्षकों एवं विद्वान आलोचकों के आलेखों की दो पुस्तकें प्रकाशित हुईं –

(1) शांति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि (संपादक) दिनेश्वर प्रसाद सिंह  'दिनेश'!

(2) शांति सुमन की गीत- रचना : सौंदर्य और शिल्प  (संपादक)- डॉ चेतना वर्मा

(3) शांति सुमन के गीतों पर केंद्रित एक मासिक साहित्य पत्रिका 'एक नई सुबह' और एक अनियतकालीन पत्रिका 'कविता' का अंक भी प्रकाशित हुआ।

संप्रति स्वतंत्र रचना कर्म से जुड़ी हैं

'अनुभूति' में शांति सुमन के ये गीत प्रकाशित हैं-

एक प्यार सब कुछ…

किसी ने देखा नहीं है…

खुशी सुनहरे कल की…

थोड़ी सी हंसी…

धूप तितलियों वाले दिन…

पानी बसंत पतझड़…

सच कहा तुमने…

कुछ और गीतों की उन दिनों बहुत चर्चा हुई

ओस भरी दूब पर..

अनहद सुख..

नदी की देह..

आग बहुत है..

एक साथ..

महादेवी के बाद शांति सुमन महादेवी की अंतर्मुखता से भिन्न सामाजिक सरोकार की पहली गीत कवयित्री हैं। सुप्रसिद्ध जनवादी आलोचक डॉ. शिवकुमार मिश्र ने इनके गीतों को मानवीय चिंता के एकात्म  से उपजे गीत माना है। डॉ. विजेंद्र नारायण सिंह ने शांति सुमन को हिंदी के जनवादी गीतों के बड़े हस्ताक्षरों में एक माना ।  कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह ने इनके गीतों को जनवाद की ठोस जमीन पर पाया। डॉक्टर मैनेजर पांडेय के अनुसार शांति सुमन गीत की सीमा और शक्ति जानती हैं। ये गीत आईने की तरह हैं। इन गीतों का महत्व इन के विशिष्ट रचाव में है।

मदन कश्यप के शब्दों में शांति सुमन हमारे समय के उन कुछ दुर्लभ गीतकारों में हैं जो शिल्पगत अथवा शैलीगत अलगाव के बावजूद, सोच और संवेदना के स्तर पर समकालीन कविता से गहरे जुड़े हुए हैं। इनके गीतों से होकर 'मौसमी फूलों की सुगंध से भरी हवाएं'  भी गुजरती हैं और 'छिड़ी हुई दुनिया में भूख की लड़ाई' की अनुगूंज भी मिलती है।

तो इस रविवार 30 अगस्त 2020 को शाम 4 बजे सुनना न भूलें डॉ. शान्ति सुमन का काव्य-पाठ। निम्न लिंक पर जाकर रिमाइंडर सेट करें -

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