Advertisment

डीआरडीओ और सेना ने बनायी भारत की पहली स्वदेशी 9-एमएम मशीन पिस्तौल

author-image
hastakshep
15 Jan 2021
New Update
जानिए हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान की उपयोगिता क्या है

Advertisment

DRDO and Army make India's first indigenous 9-mm machine pistol

Advertisment

जानिए भारत की पहली स्वदेशी 9-एमएम मशीन पिस्तौल के बारे में

Advertisment

नई दिल्ली, 15 जनवरी :रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ- DRDO) तथा भारतीय सेना ने मिलकर भारत की पहली स्वदेशी 9-एमएम मशीन पिस्तौल (India's first indigenous 9-mm machine pistol) विकसित की है। इस पिस्तौल का डिजाइन और विकास भारतीय सेना के महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल और डीआरडीओ के अंतर्गत कार्यरत आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (Armament Research & Development Establishment), पुणे द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।

Advertisment

भारत की पहली स्वदेशी 9-एमएम मशीन पिस्तौल की खूबियां

Advertisment

यह मशीन पिस्तौल इन-सर्विस 9-एमएम गोली दाग सकती है। पिस्तौल का ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एलुमिनियम से बनाया गया है। जबकि, इसका निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है। इस मशीन पिस्तौल के ट्रिगर घटक सहित के विभिन्न भागों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का उपयोग किया गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि यह हथियार चार महीने के रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है।

Advertisment
इस पिस्तौल का नाम अस्मीरखा गया है, जिसका अर्थ गर्व, आत्मसम्मान तथा कठिन परिश्रम है।

Advertisment

 सशस्त्र बलों में हैवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों ड्राइवर/डिस्पैच राइडरों, scआतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में व्यक्तिगत हथियार के रूप में इसकी क्षमता काफी अधिक बतायी जा रही है। इस पिस्तौल का उपयोग केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है। प्रत्येक मशीन पिस्तौल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपये के अंदर है और इसके निर्यात की संभावनाएं भी व्यक्त की जा रही हैं।

(इंडिया साइंस वायर)

Advertisment
सदस्यता लें