Shailendra Dubey, Chairman - All India Power Engineers Federation
Due to Lock Down steep fall in Power Demand to hit Power Sector
Advertisment
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर निजी घरानों को एलसी से किये जा रहे भुगतान को आस्थगित (डेफर) करने और सब्सिडी देने की मांग की
अकेले उप्र में प्रतिदिन 30 करोड़ रु. से अधिक की क्षति
लखनऊ, 27 मार्च 2020. कोरोना वायरस के विश्वव्यापी प्रकोप के कारण लॉक डाउन के चलते देश में और प्रदेश में बिजली की मांग में भारी कमी से पावर सेक्टर को जबरदस्त झटका लगा है।
Advertisment
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर मांग की है कि विद्युत् वितरण कंपनियों द्वारा निजी घरानों को एलसी से किये जा रहे भुगतान को महामारी का संकट और लॉक डाउन रहते आस्थगित (डेफर ) कर दिया जाए। साथ ही फेडरेशन ने पावर सेक्टर को बचाने के किये कर्ज व ब्याज के पुनर्भुगतान को डेफर करने और उस पर सब्सिडी देने की मांग की है।
फेडरेशन के अनुसार बिजली की मांग में आई कमी के कारण अकेले उप्र में ही प्रतिदिन 30 करोड़ रु से अधिक की क्षति हो रही है।
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा है कि लॉक डाउन के चलते उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने हेतु पावर सेक्टर की बड़ी भूमिका है और बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण को सुचारु बनाये रखने हेतु बिजली कर्मचारी व अभियंता 24 ×7 कार्यरत हैं।
Advertisment
फेडरेशन ने कहा है कि बिजली वितरण कंपनियों को बिजली खरीदने हेतु निजी बिजली उत्पादकों के लिए बैंक में लेटर ऑफ़ क्रेडिट- Letter of credit in bank (एल सी ) खोलनी पड़ती है जो एक प्रकार से एडवांस भुगतान है। अतः कम से कम अगले तीन माह तक वितरण कंपनियों को एल सी खोलने से छूट दे देनी चाहिए।
फेडरेशन ने कहा कि बिजली कर्मचारी व अभियंता निर्बाध बिजली आपूर्ति में दिन रात लगे हैं, किन्तु रेलवे, उद्योग और व्यावसायिक संस्थान व बाजार बंद होने से बिजली राजस्व को जबरदस्त झटका लगा है। आम उपभोक्ता भी बिजली बिल अदा करने की स्थिति में नहीं है। दूसरी ओर उत्पादन और वितरण कंपनियों को अपनी दिन प्रतिदिन की देनदारियों का भुगतान करना पड रहा है।
आंकड़े देते हुए शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि लॉक डाउन के पहले देश में बिजली की मांग 154045 मेगावाट थी जो अब घटकर 121937 मेगावाट रह गई है। उत्तरी ग्रिड में बिजली की मांग 41253 मेगावाट से घटकर 30563 मेगावाट रह गई है और उत्तर प्रदेश में औसत मांग 14000 मेगावाट से घटकर 100000 मेगावाट हो गई है। प्रतिदिन बिजली खपत में भी बंदी के चलते भारी गिरावट आई है। उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन खपत 2880 लाख यूनिट से घटकर 2400 लाख यूनिट रह गई है। देशभर में प्रतिदिन बिजली खपत 35650 लाख यूनिट से घटकर 29750 लाख यूनिट और उत्तरी ग्रिड में 8660 लाख यूनिट से घटकर 6950 यूनिट आ गई है। बिजली खपत घटने से अकेले उप्र में ही 30 करोड़ रु प्रतिदिन से अधिक का नुक्सान हो रहा है जो 21 दिन में 650 करोड़ रु से अधिक का हो जाएगा।
पत्र में फेडरेशन ने मांग की है कि बिजली उत्पादन को सतत बनाये रखने हेतु कोयले की निर्बाध आपूर्ति हेतु कोल इण्डिया लि. और भारतीय रेल को निर्देशित किया जाए जिससे कोयले के अभाव में बिजलीघर बंद न होने पाएं। विद्युत् वितरण कंपनियों पर आये वित्तीय संकट को देखते हुए फेडरेशन ने कहा है कि रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को निर्देशित करे कि संकट के रहते कर्ज व ब्याज के भुगतान से बिजली कंपनियों को छूट दी जाए। साथ ही केंद्र सरकार पावर फाइनेंस कंपनी और आर ई सी को निर्देशित करे कि वे बिजली कंपनियों को जरूरत के अनुसार वित्तीय मदद मुहैय्या कराएं।