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मोदी है तो मुमकिन है, पंजाब में भी चर्चा में आई भाजपा
देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today)
पंजाब विधानसभा चुनाव (punjab assembly elections 2022) में भाजपा के लिए आसार पहले ही ठीक नहीं थे। कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक के बावजूद भाजपा को ऐसा कोई मौका नहीं मिल रहा था, जिससे वह सुर्खियों में आ सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने यहां अपने नाम के साथ चलाए जाने वाले जुमले, मोदी है तो मुमकिन है, को सच साबित कर दिया। यानी जिस भाजपा को अब तक पंजाब में खास तवज्जो नहीं मिल रही थी, उसे मोदीजी की सुरक्षा व्यवस्था के बहाने चर्चा में आने का मौका मिल गया।
बुधवार 5 जनवरी को जिस तरह फिरोजपुर में उनकी रैली रद्द हुई, उसका ठीकरा अब कांग्रेस के सिर मढ़ते हुए भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में लग गई है। इसका प्रमाण है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की टिप्पणी (Union Minister Smriti Irani's remarks), जिसमें वे कांग्रेस के खूनी इरादे नाकाम रहे, जैसी बात कह रही हैं।
लंबे समय से संवेदनशील राज्य रहा है पंजाब
पंजाब एक अरसे से संवेदनशील राज्य रहा है और बड़ी मुश्किल से यहां अमन बहाली हुई है। लेकिन मात्र चुनावों में जीत के लिए जिस तरह की सनसनी कायम करने की कोशिश भाजपा कर रही है, वह निंदनीय है। फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री के काफिले के 15 मिनट तक रुकने का मामला सर्वोच्च न्यायालय तो पहुंच ही चुका है, इस पर राष्ट्रपति से भी प्रधानमंत्री ने मिलकर चर्चा कर ली है।
राष्ट्रपति कार्यालय का ट्वीट : पंजाब में पीएम की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की
राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से ट्वीट कर बताया गया है कि पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की है। पंजाब सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इसके बाद कम से कम भाजपा को शांत रहकर रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए। लेकिन भाजपा के लिए यह छींका फूटने के समान है, इसलिए वो इस मौके को पूरी तरह भुना रही है।
पीएम का सुरक्षा प्रोटोकॉल क्या है (Indian Prime Minister security protocol)? | कौन करता है प्रधानमंत्री की सुरक्षा, यात्रा के लिए क्या हैं नियम
प्रधानमंत्री अगर किसी राज्य में जाते हैं तो उनका मिनट दर मिनट का कार्यक्रम और आने-जाने की व्यवस्था, सब तय होते हैं। इस बारे में राज्य पुलिस सुरक्षा के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं होती, उसके साथ विशेष सुरक्षा दल यानी एसपीजी {Special Protection Group (SPG)} तालमेल बना कर चलती है। बुधवार को मौसम खराब होने के कारण प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर से दौरा (Prime Minister's helicopter tour) रद्द हुआ और सड़क मार्ग से जाना तय हुआ। यह फैसला उच्च स्तर से हुआ होगा, इसलिए केवल कांग्रेस को इस तरह दोषी ठहरा कर संदेह का माहौल बनाना, एक निर्वाचित सरकार के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करना कतई सही नहीं है। वैसे भी प्रधानमंत्री का सुरक्षा चक्र (Prime Minister's Security Circle) काफी मजबूत होता है। प्रधानमंत्री के काफिले में सबसे पहले पुलिस की गाड़ी सायरन बजाती हुई चलती है।
इसके बाद एसपीजी की गाड़ी और फिर दो गाड़ियां चलती हैं। इसके बाद दाईं और बाईं तरफ से दो गाड़ियां रहती हैं जो बीच में चलने वाली प्रधानमंत्री की गाड़ी को सुरक्षा प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) के जवान तैनात रहते हैं। सार्वजनिक कार्यक्रम में एसपीजी कमांडो प्रधानमंत्री के चारों तरफ रहते हैं और उनके साथ-साथ चलते हैं। निजी सुरक्षा गार्ड सुरक्षा घेरे की दूसरी पंक्ति में तैनात रहते हैं। तीसरे सुरक्षा चक्र में नेशनल सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) होते हैं।
चौथे चक्र में अर्द्धसुरक्षा बल के जवान और विभिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारी होते हैं। और सुरक्षा के पांचवे चक्र में कमांडो और पुलिस कवर के साथ कुछ अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस वाहन और एयरक्राफ्ट रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अति सुरक्षा वाली बुलेटप्रुफ बीएमडब्ल्यू 7 कार से सफर करते हैं। उनके काफिले में दो डमी कार के अलावा एक जैमर से लैस गाड़ी भी तैनात रहती है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की इतनी कड़ी व्यवस्था क्यों होती है?
सुरक्षा की इतनी कड़ी व्यवस्था (Such a tight system of security of the Prime Minister) इसलिए है, क्योंकि देश ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या के दुखदायी प्रकरण देखे हैं। चाहे किसान हों या कांग्रेस, भाजपा से उनके राजनैतिक, वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, पर इसके लिए हत्या की साजिश जैसे आरोप काफी गंभीर हैं। भाजपा को इस किस्म की राजनीति से बचना चाहिए। वैसे भी पंजाब में हाशिए पर जा चुकी भाजपा के लिए भविष्य में कोई बेहतर उम्मीद नहीं दिख रही।
कल प्रधानमंत्री की जो रैली रद्द हुई, वो एक तरह से भाजपा के फायदे में ही रही, क्योंकि भाजपा का दावा था कि कम से कम 5 लाख लोग इस रैली में पहुंचेंगे, मगर सभास्थल पर खाली पड़ी कुर्सियां गवाह थीं कि लोगों ने पहले ही मोदीजी को न सुनने का मन बना लिया था।
भाजपा ने शुरुआती तैयारियों में 32 सौ बसों की व्यवस्था की थी, ताकि लोगों को रैली में पहुंचाया जा सके, लेकिन किसानों के विरोध को देखते हुए जब यह अहसास भाजपा की राज्य इकाई को हुआ कि यह रैली फ्लॉप शो साबित हो सकती है, तो बाद में बसों की संख्या घटाकर 5 सौ कर दी गई थी। इसलिए कांग्रेस का यह तंज माकूल लग रहा है कि रैली में लोगों के न पहुंचने के कारण ही भाजपा ने यह कार्यक्रम रद्द कर दिया। फिलहाल भाजपा खिसियाई हालत में खंभा नोचने में लगी है। हालांकि इससे तकलीफ भाजपा को ही हो सकती है।
आज का देशबन्धु का संपादकीय (Today’s Deshbandhu editorial) का संपादित रूप साभार.
Web title : Editorial on breach in PM Modi's security