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Electricity Amendment Act -2020 under the Modi government's Country Sell campaign is against national interest - Dinkar
1 जून के देशव्यापी काला दिवस को प्रतिबंधित करना गैरकानूनी
It is illegal to ban the nationwide black day of June 1
लखनऊ, 30 मई 2020, पावर सेक्टर के निजीकरण (Privatization of power sector) के लिए लाये गये विद्युत संशोधन बिल-2020 (Electricity Amendment Bill -2020) के खिलाफ 1 जून 2020 के प्रस्तावित देशव्यापी काला दिवस को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंधित करना गैरकानूनी व संविधान विरुद्ध है साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के बाध्यकारी नियमों के भी खिलाफ है.
वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने इसकी निंदा करते हुए प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि बिजली कामगारों का आंदोलन किसान, आम नागरिक के हित में है और पावर सेक्टर को कारपोरेट्स को सौंपने की मोदी सरकार की कार्यवाही राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि इस बिल में प्रस्तावित देश के बाहर बिजली बेचने का प्रावधान मोदी जी के एक कार्पोरेट मित्र के लिए लाया गया है जो कच्छ गुजरात में बन रही अपनी बिजली को पाकिस्तान को बेचने के लिए बेताब है. इसीलिए प्रधानमंत्री आये दिन इस बिल को लाने के लिए प्रयास कर रहे है. इसके विरोध से बौखलाई आरएसएस-भाजपा की सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया है.
उन्होंने बिजली कामगारों से अपील की कि लेकिन इससे निराश होने या घबराने की जगह जनता को सचेत करने और सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़े जन जागरण की जरुरत है जिसे पूरा करना होगा. देश के लोकतान्त्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाले दलों, संगठन व व्यक्तियों और किसान आन्दोलन, व्यापार मंडलों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस विरोध को राजनातिक प्रतिवाद में बदलना होगा. यह बेहद डरी हुई सरकार है इससे राजनीतिक तरीके से ही मुकाबला किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इस बिल मुख्य प्रावधान सब्सिडी व क्रास सब्सिडी खत्म करना, डिस्कॉम(वितरण) को कारपोरेट कंपनियों के हवाले करना और टैरिफ की नयी व्यवस्था से न सिर्फ कोरोना महामारी में जमीनी स्तर पर जूझ रहे बिजली कामगारों के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है बल्कि इससे आम उपभोक्ताओं खासकर किसानों पर भारी बोझ डाला जायेगा, जिसकी शुरुआत बिजली दरों में बढ़ोतरी कर पहले ही हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि इस बिल के बाद किसानों और आम उपभोक्ता को करीब दस रुपया बिजली प्रति यूनिट खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
Modi government is engaged in selling and ruining the public property of the country under the pretext of economic crisis created by Corona epidemic.
दरअसल लोकल पर फोकस करने वाली मोदी सरकार कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के बहाने देश की सार्वजनिक संपत्ति को बेचने और बर्बाद करने में लगी है. कोयले के निजीकरण के लिए अध्यादेश लाया जा चुका है, रक्षा जैसे राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण सेक्टर में विदेशी पूंजी निवेश की अनुमति दे दी गयी. बैंक और बीमा को बर्बाद कर दिया गया. वास्तव में बिजली सेक्टर पर ये हमला भी इसी देश बेचो योजना का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि बिजली के घाटे का तर्क भी बेईमानी है क्योकि घाटा कारपोरेटपरस्त नीतियों की देन है. उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण देख लें, यूपीपीसीएल द्वारा न सिर्फ केंद्रीय पूल से राष्ट्रीय औसत से काफी सस्ते दर से बिजली खरीदी जाती है बल्कि अनपरा, ओबरा और जल विद्युत गृहों से काफी निम्न दर से बिजली का उत्पादन किया जाता है। लेकिन इन सस्ते बिजली पैदा करने वाले उत्पादन केन्द्रों में थर्मल बैकिंग करा कर उत्पादन रोका जाता है वही कार्पोरेट घरानों से अत्यधिक मंहगी दरों से बिजली खरीदी जाती है। यह भी सर्वविदित है कि देश में निजी घरानों को सस्ते दामों पर जमीन से लेकर लोन तक मुहैया कराया गया और हर तरह से पब्लिक सेक्टर की तुलना में तरजीह दी गई तब इनके यहां उत्पादित बिजली की लागत ज्यादा आना लूट के सिवाय और कुछ नहीं है। यही नहीं इन कार्पोरेट घरानों ने बैंक से लिए कर्जो का भुगतान तक नहीं किया जो आज बैंकों के एनपीए में एक बड़ा हिस्सा है.