Advertisment

आश्चर्य किंतु सत्य : अजन्मे बच्चे ने किया अपनी सरकार के खिलाफ मुकदमा

author-image
hastakshep
25 Jun 2022
तम्बाकू उन्मूलन के बिना कैसे होगा तम्बाकू-जनित महामारियों का अंत?

Advertisment

जलवायु निष्क्रियता के लिए भ्रूण ने अपनी सरकार पर मुकदमा दायर किया (Embryo sues his government for climate inaction)

Advertisment

नई दिल्ली, 25 जून 2022. जहां भारत में बड़े अपने तजुर्बों से नसीहत देते हैं कि कोर्ट-कचहरी और मुकदमेबाज़ी से बचना चाहिए, वहीं कोरिया से, इस नसीहत के ठीक उलट, एक हैरान करने वाली ख़बर आ रही है।

Advertisment

बीस हफ्ते के भ्रूण ने किया अपनी सरकार के खिलाफ मुकदमा

Advertisment

दरअसल कोरिया में एक बीस हफ्ते के भ्रूण (20 week old fetus) ने अपनी सरकार की नीतियों के खिलाफ़ मुकदमा किया है। वादी का कहना है कि कोरिया सरकार की ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने की नीतियां (policies to control greenhouse gas emissions) नाकाफ़ी हैं और एक लिहाज़ से उससे उसका जीने का संवैधानिक अधिकार छीनती हैं।

Advertisment

वूडपेकर नाम के इस अजन्मे बच्चे के साथ 62 और बच्चे भी इस मुकदमें में शामिल हैं, जिन्होंने कोरिया की एक अदालत में मामला दर्ज किया है।

Advertisment

'बेबी क्लाइमेट लिटिगेशन (baby climate litigation)' नाम से चर्चित हो रहे इस मुकदमे में इन बच्चों के वकील ने इस आधार पर एक संवैधानिक दावा दायर किया है कि देश के 2030 तक के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution), या NDC, या जलवायु लक्ष्य, वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए नकाफ़ी हैं और बच्चों के जीने के संवैधानिक हक़ का हनन करते हैं।

Advertisment

इन 62 बच्चों में 39 पांच से कम उम्र के हैं, 22 की उम्र 6 से 10 साल के बीच है, और वुडपेकर अभी अपनी मां की कोख में पल रहा है।

ध्यान रहे कि कोरियाई संवैधानिक न्यायालय ने पहले भी एक संवैधानिक याचिका दायर करने के लिए भ्रूण की क्षमता को, यह देखते हुए, स्वीकार किया है कि "सभी मनुष्य जीवन के संवैधानिक अधिकार का विषय हैं, और जीवन के अधिकार को बढ़ते हुए भ्रूण के के लिए भी मान्यता दी जानी चाहिए।"

ली डोंग-ह्यून, जो वुडपेकर नाम के इस भ्रूण से गर्भवती हैं और एक छह साल के, मुक़दमे के  दूसरे दावेदार की मां भी है, कहती हैं,  "जब जब यह भ्रूण मेरी कोख में हिलता डुलता है, मुझे गर्व की अनुभूति होती है। मगर जब मुझे एहसास होता है कि इस अजन्मे बच्चे ने तो एक ग्राम भी कार्बन उत्सर्जित नहीं की लेकिन फिर भी इसे इस जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के दंश को झेलना पड़ता है और पड़ेगा, तो मैं दुखी हो जाती हूँ।

नीदरलैंड के 2019 के एक ऐतिहासिक मुकदमे से प्रेरित है कोरिया का 'बेबी क्लाइमेट लिटिगेशन 

यह मामला दरअसल नीदरलैंड में 2019 के एक ऐतिहासिक मुकदमे से प्रेरित है जहां मुकदमा करने वाले पक्ष की दलील के आगे कोर्ट ने सरकार को उत्सर्जन कम करने का आदेश दिया और फिर यह मामला एक नज़ीर बना जिसके चलते आयरलैंड से लेकर भारत तक, दुनिया भर में जलवायु संबंधी मुकदमेबाजी की लहर फैला दी।

वैसे कोरियाई नागरिक सरकार के खिलाफ जलवायु मुकदमे लाने में सक्रिय रहे हैं। वहाँ फिलहाल तीन मामलों में देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। 

इस ताजा मामले में, दावेदारों का कहना है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 40% तक कम करने का देश का 2030 का लक्ष्य असंवैधानिक है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए बुनियादी अधिकारों की गारंटी नहीं दे सकता है। इनमें जीवन, समानता, संपत्ति और स्वस्थ और सुखद वातावरण में रहने के अधिकार शामिल हैं।

कोरिया में जलवायु प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1985 के बाद से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप 2007 और 2016 के बीच 162 लोग हताहत हुए और 7.3 बिलियन पाउंड (£ 4.6 बिलियन) का नुकसान हुआ। रिपोर्टों के अनुसार, देश भविष्य में अधिक बार और भारी बाढ़ और वन आपदाओं का सामना करेगा। , आवासों और लुप्तप्राय प्रजातियों का नुकसान होगा, और चावल जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कम पैदावार और गुणवत्ता घटने की संभावना है।

इन 62 बच्चों में से एक, 10 वर्षीय हान जे-आह का कहना है, “बड़े कहते तो हैं कि वे हमारे लिए पृथ्वी की रक्षा करेंगे, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि उन्हें हमारे भविष्य कि इस दिशा में कोई चिंता है। बच्चों से अपेक्षाएँ करने से अच्छा है कि बड़े फौरन अपना कार्बन उत्सर्जन कम करना शुरू करें।"

Advertisment
सदस्यता लें