Shailendra Dubey, Chairman - All India Power Engineers Federation
Even in disaster, the Modi government has not failed to help the capitalists, the power workers are angry over the privatization bill of power distribution
Advertisment
केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा विद्युत् वितरण के निजीकरण हेतु इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 का मसौदा(Draft of Electricity (Ammendment) Bill 2020) जारी करने के समय पर बिजली इंजीनियरों ने उठाया सवाल
लखनऊ, 18 अप्रैल 2020. ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन(All India Power Engineers Federation) ने केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा विद्युत् वितरण के निजीकरण हेतु इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 का मसौदा जारी करने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब सारा राष्ट्र प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकजुट होकर कोविड - 19 महामारी से लड़ रहा है तब निजीकरण का बिल लाने से बिजली कर्मियों में भारी निराशा और गुस्सा व्याप्त हो रहा है।
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे (Shailendra Dubey, Chairman - All India Power Engineers Federation) ने कहा कि देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने विगत 05 अप्रैल को लाईट बन्दी के दौरान जिस कुशलता से बिजली ग्रिड का संचालन किया और 31000 मेगावाट से अधिक के लोड का जर्क लगने के बावजूद ग्रिड का संतुलन बनाये रखा वह बिजली ग्रिड के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है जो सर्वविदित है। ऐसे समय केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय द्वारा निजीकरण का मसौदा जारी करना सचमुच निराशाजनक है।
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से इसमें प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है जिससे इस बिल को स्थिति सामान्य होने तक मुल्तवी रखा जाये।
फेडरेशन ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी अपील की है कि वे केंद्रीय विद्युत् मंत्री से वर्तमान विपत्ति के समय को देखते हुए बिल स्थगित करने की मांग करें।
Advertisment
केंद्रीय विद्युत् मंत्री श्री आर के सिंह को पत्र भेजकर ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा है कि इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने हेतु 17 अप्रैल को जारी इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 के मसौदे पर राज्यों और स्टेक होल्डरों को 21 दिन में कमेन्ट देने का समय दिया गया है जिसे वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कम से कम 30 सितम्बर या स्थिति सामान्य होने तक बढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिजली का नया एक्ट बनाने हेतु जारी ड्राफ्ट पर वर्तमान स्थिति में बिजली इंजीनियर व कर्मी न अपनी बैठक कर सकते हैं और न ही लीगल विशेषज्ञों से कोई राय ले सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि बिजली का उपभोक्ता भी इस माहौल में ड्राफ्ट पर अपनी राय नहीं दे सकता। अतः ग्लोबल आपदा की इस कठिन घड़ी में जब सब एकजुट होकर इसका मुकाबला कर रहे हैं तब इस बिल को ठन्डे बस्ते में डालना ही राष्ट्रहित में है। स्थिति सामान्य होने पर ही बिल पर सार्थक बहस का वातावरण बन सकेगा अतः बिल को तत्काल रोक दिया जाए।
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2020 में बिजली वितरण का निजीकरण करने हेतु डिस्ट्रीब्यूशन सब लाइसेंसी और फ्रेन्चाइजी को वितरण सौंपने की बात है जो जनहित में नहीं है। फ्रेन्चाइजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है और वांछित परिणाम न दे पाने के कारण लगभग सभी फ्रेंचाइजी करार रद्द कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में भी आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की लूट चल रही है और कंपनी करार की कई शर्तों का उल्लंघन कर रही है। सी ए जी ने भी टोरेंट कंपनी पर घपले के आरोप लगाए हैं। इसके अतिरिक्त बिल में सब्सीडी और क्रास सब्सीडी समाप्त करने की बात है जिससे आम उपभोक्ता का टैरिफ बढ़ेगा। यह बिल किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है अतः इसे ठन्डे बस्ते में डालना ही उचित है।