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इस सरल एवं किफायती चिकित्सा पद्धति से  पुराने एवं असाध्य दर्द के मरीज भी अब पा सकते हैं दर्द से राहत!

इस सरल एवं किफायती चिकित्सा पद्धति से  पुराने एवं असाध्य दर्द के मरीज भी अब पा सकते हैं दर्द से राहत!

pain management camp

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यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी (गाजियाबाद) में निःशुल्क दर्द प्रबंधन शिविर एवं जागरूकता व्याख्यान आयोजित किया गया

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जानिए नई तकनीक से दर्द प्रबंधन कैसे किया जाए?

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गाजियाबाद, 9 अक्तूबर 2022. आज यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी में आयोजित एक निःशुल्क पेन मैनेजमेंट शिविर में वरिष्ठ दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. नीरज जैन और डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. शेखर गर्ग की टीम ने पुराने एवं असाध्य दर्द के मरीजों को हॉस्पिटल कैंपस में निःशुल्क परामर्श दिया। 

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75 मरीजों ने लिया कैंप का लाभ

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डॉ नीरज जैन ने बताया कि वक्त के साथ पुराने एवं असाध्य दर्द के ट्रीटमेंट में अब काफी उन्नति हो गयी हैं। कई बीमारियों के चलते एवं कैंसर की वजह से रोगियों को होने वाले जानलेवा दर्द और उसकी पीड़ा से डॉक्टर भी कांप जाते हैं, हालात यहां तक होते हैं कि परिजन ऐसी स्थिति में अपने ही मरीज की मौत चाहने लगते हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ नीरज जैन (Senior Pain Management Specialist Dr. Neeraj Jain) ने बताया कि बताया कि कई बीमारियों जैसे कि स्लिप डिस्क, सायटिका, सर्वाइकल, कैंसर आदि की वजह से मरीज को हो रहे दर्द से निजात दिलाने के लिए यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी दर्द के प्रबंधन हेतु पेन मैनेजमेंट विभाग बनाया गया है। आज कई मरीजों को इसका फायदा मिल रहा है।

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डॉ नीरज जैन ने कहा कि मरीज को लाइफ की क्वॉलिटी देने और दर्द से निवारण देने के मकसद से यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने यह पहल की है।

उन्होंने बताया कि पैन मैनेजमेंट का यह उपचार सीजीएचएस एवं प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों की पालिसी में भी कवर्ड है।

न्यूरोलाइसिस क्या है? What is neurolysis procedure?

वरिष्ठ पेन मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ सुनील शर्मा एवं डॉ शेखर गर्ग ने एक जारूकता व्याख्यान में बताया कि यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के दर्द निवारण विभाग द्वारा लेजर, ओजोन, रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन, नसों के इंजेक्शन, एडवांस्ड नर्व ब्लॉक तकनीकी से इलाज किया जाता है, जिसमें जो नसें दर्द का सिग्नल दिमाग तक पहुँचाती हैं, उन नसों के सिग्नल को बंद कर दिया जाता है, इस पद्धति को न्यूरोलाइसिस कहते हैं I

डॉ सुनील शर्मा ने बताया कि सुइयों (नीडल) एवं एक्यूपंचर के जरिये भी नसों से दर्द का संचालन ख़त्म किया जा सकता है।

न्यूरोलाइसिस किनके लिए लाभदायक है?

डॉ शेखर गर्ग ने कहा कि ऐसे मरीज जिनमें अधिक उम्र की वजह से सर्जरी नहीं की जा सकती और उन्हें बीमारी के दर्द को सहने के लिए मजबूर होना पड़ता है, ऐसे मरीजों को दर्द निवारण की तकनीकी एवं उपचार से बहुत लाभ मिल सकता है।

डॉ नीरज जैन ने बताया कि इस पद्धति का उपयोग विशेषतर कैंसर के दर्द में किया जाता है, क्योकि वह दर्द इतना असहनीय होता है कि इसमें सामान्य पेन किलर का असर न के बराबर होता है तथा ज्यादा भारी मात्रा में पेन किलर देने से मरीज के प्रमुख अंगों, किडनी, लिवर आदि को नुक्सान का डर बना रहता है, अतः मरीजों को इन नई तकनीकों से दर्द निवारण करना बहुत जरूरी होता है।

बताया जाता है कि हाल ही में डॉ नीरज जैन ,डॉ सुनील शर्मा, डॉ शेखर गर्ग ने अत्याधुनिक तरीके से स्पाइनल कॉर्ड इम्प्लांट के जरिये दवाई का पम्प रीढ़ की हड्डी में लगा दिया, जिससे इस छोटी सी मशीन से लगातार दवा निकलती रहती है तथा रीढ़ की हड्डी के माध्यम से बहुत ही कम मात्रा में दवा दे कर दर्द को नियंत्रित कर दिया जाता है, इस विधि से दर्द नाशक दवाइयों के दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकता है। चूंकि कैंसर के मरीजों में पहले से ही कीमोथेरेपी के माध्यम से बहुत ज्यादा मात्रा में दवाइयां शरीर में पहुंच रही होती हैं, ऐसे में यह दवाई का पम्प बहुत ही कारगर सिद्ध होता है।

यह जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई है।

Even patients with chronic and incurable pain can now get relief from pain with very simple and economical methods!

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