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Expectations of energy sector in budget 2020
बजट 2020 - अपेक्षायें और माँग
ऊर्जा क्षेत्र
वर्ष 2018 व 2019 में बिजली के क्षेत्र में सबसे महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री हर घर सहज बिजली अर्थात सौभाग्य योजना पूरे जोर शोर से चलाई गई है। इस योजना के तहत लगभग 05 करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 90 प्रतिशत घर केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में थे। अकेले उत्तर प्रदेश में इस योजना के अंतर्गत 01.57 करोड़ घरों तक 31 मार्च 2019 तक बिजली पहुंचानी थी किन्तु सरकारी आंकड़ों के अनुसार उप्र में लगभग 93 लाख घरों तक ही बिजली पहुंचाई जा सकी है।
अब इस योजना को यह कहा जा रहा है कि सभी इच्छुक घरों तक बिजली पहुंचा दी गई है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर बिजली नेटवर्क को देखते हुए 2020 के बजट में समुचित वृद्धि किये जाने की जरूरत है जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके।
बिजली सेक्टर में दूसरी बड़ी चुनौती लाइन हानियों को 15 % से नीचे लाने की है। देश के अधिकांश प्रान्तों में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मीटर के बिजली कनेक्शन चल रहे हैं जिससे बिजली की खपत पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है क्योंकि ऐसे उपभोक्ताओं को फिक्स टैरिफ देना होता है और उसका बिजली के वास्तविक उपभोग से कोई सम्बन्ध नहीं होता। ऐसे में यह जरूरी होगा कि सबको 24 घंटे बिजली देने के पहले शत प्रतिशत मीटरिंग सुनिश्चित की जाये। अकेले उप्र में लगभग 84 लाख उपभोक्ता बिना मीटर के बिजली ले रहे हैं।
मीटरिंग ऐसा महत्वपूर्ण पहलू है जिसके लिए बजट में राज्यों को समुचित मदद का प्राविधान किया जाना चाहिए।
Proper provision in the budget is also necessary for feeder separation
उत्तर प्रदेश सहित कई ऐसे प्रांत हैं जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूब वेल और घरेलू बिजली आपूर्ति के फीडर अलग नहीं किये गए हैं, जिससे लाइन हानि बढ़ती है, क्योंकि ट्यूब वेल को 24 घंटे बिजली की जरूरत नहीं होती, किन्तु अलग फीडर न होने के कारण ट्यूब वेल को भी पूरे समय बिजली देनी पड़ती है। फीडर सेपरेशन के लिए भी बजट में समुचित प्रावधान जरूरी है।
Clean energy cess imposed on thermal power stations by the central government should be reduced from Rs 400 per ton to Rs 100 per ton
केंद्र सरकार द्वारा ताप बिजली घरों पर लगाया गया क्लीन एनर्जी सेस रु 400 प्रति टन घटाकर रु 100 प्रति टन किया जाये जिससे बिजली की दरों में कमी आएगी और उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ काम होगा। इसके अतिरिक्त बजट में यह प्राविधान किया जाये कि निजी घरानों की स्ट्रेस्ड असेट और बिजली क्रय करार पुनरीक्षित किये जाने से बिजली टैरिफ बढ़ने का बोझ आम जनता को न उठाना पड़े।
पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन( एफ जी डी एस ) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा। देश में लगभग दो लाख मेगावाट क्षमता के पुराने बिजली घरों को पर्यावरण के इन माप डंडों का पालन करना होगा जिस पर प्रति मेगावाट एक करोड़ रु से अधिक का खर्च आएगा। इन बिजली घरों को बंद होने से बचाने के लिए बजट में इस बाबत स्पष्ट प्राविधान किया जाना चाहिए।
ध्यान रहे पुराने बिजली घरों की फिक्स कॉस्ट नगण्य होने से इनकी उत्पादन लागत बहुत कम आती है अन्यथा की स्थिति में बढ़े टैरिफ का बोझ आम जनता पर ही पड़ेगा। उप्र के सबसे सस्ती बिजली देने वाले आनपारा ए और बी बिजली घर भी इन मापदडों को पूरा न कर पाए तो इन्हे बंद करना पड़ेगा।
अगले दो वर्षों में एक लाख 75 हजार मेगावाट की नई उत्पादन क्षमता सोलर , विन्ड और अन्य गैर परंपरागत क्षेत्रों में जोड़ी जानी है। गैर परंपरागत क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता का पूरा सदुपयोग हो सके इस हेतु चार्जिंग इन्फ्रा स्ट्रक्चर और स्टोरेज इन्फ्रा स्ट्रक्चर की जरूरत होगी जिस पर प्रति यूनिट 05 से 07 रु तक का खर्च आएगा जिसका बजट में समुचित प्रावधान होना चाहिए। इसी के साथ गैर परंपरागत ऊर्जा की इतनी बड़ी उत्पादन क्षमता वृद्धि को देखते हुए तदनुरूप पारेषण और वितरण नेटवर्क की क्षमता वृद्धि के लिए बजट में समुचित प्रावधान जरूरी है।
कर्मचारियों के लिए
- 2004 के बाद नौकरी में आये सरकारी कर्मचारियों को पेंशन (Pension to government employees) नहीं मिलेगी। यह अत्यधिक अन्यायपूर्ण है खासकर तब जब एक दिन भी एमपी व एमएलए रहने वाले को जिंदगी भर पेंशन मिलती है तो जिंदगी भर नौकरी करने वाले कर्मचारी को पेंशन से वंचित करना सरासर अन्यायपूर्ण है। बजट 2020 में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा और इस हेतु बजटीय प्राविधान सबसे जरूरी है।
-- आयकर में छूट की सीमा (Income tax exemption limit) कम से कम 08 लाख रु. की जानी चाहिए। ध्यान रहे केंद्र सरकार ने 08 लाख तक की आय वालों को गरीब मान कर आरक्षण देने का प्रावधान किया है तो आठ लाख रु तक की आय वालों को आय कर से मुक्त किया जाना चाहिए।
-- 80 सीसी के अन्तर्गत बचत की सीमा (Savings limit under 80CC) 01.50 लाख से बढ़ाकर कम से कम 03 लाख की जाने चाहिए।
--- वर्तमान में आयकर का पहला स्लैब 05 % का 05 लाख तक है और दूसरा स्लैब 20 % का 10 लाख तक है। 05 % से सीधे 20 % स्लैब अव्यावहारिक है अतः इसे बदल कर 10 लाख तक 05 %, 10 लाख से 15 लाख तक 10 %, 15 लाख से 20 लाख तक 20 % और 20 लाख के ऊपर 30 % किया जाना चाहिए।
-- मकान निर्माण और वाहन क्रय हेतु 05 % ब्याज पर ऋण दिया जाये।
-- सेवा निवृत्त कार्मिकों की पेन्शन पूरी तरह कर मुक्त की जाये।
शैलेन्द्र दुबे
चेयरमैन
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन