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Experts brainstorm on future technology for India
नई दिल्ली, 05 जून : हम 2047 में स्वतंत्र भारत की 100वीं वर्षगांठ मनाएंगे। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए समर्पण के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है। आगामी 25 वर्षों के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को दुनिया के शीर्ष देशों की कतार में शामिल करने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबद्ध संस्थान सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (Technology Information Forecasting and Assessment Council, Tifac - टाइफैक) ने एक दृष्टिपत्र तैयार करने की पहल की है।
भारत के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकी आवश्यकता एवं विकास से संबंधित दृष्टिपत्र तैयार करने से जुड़ी टाइफैक की इस पहल के अंतर्गत 28-29 अप्रैल को दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी एंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ (Technology and Sustainability for Transforming India) मंथन सत्र का आयोजन किया गया।
टाइफैक द्वारा आयोजित मंथन सत्र में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने वर्तमान में विदेशों में कार्यरत भारत की मेधा को वापस आकर्षित करने के लिए अभिनव एवं प्रभावी योजनाओं तथा कार्यक्रम निर्माण पर जोर दिया है।
उन्होंने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों से अलग-अलग काम करने के एकाकी दृष्टिकोण के बजाय सहयोगात्मक प्रयासों को आवश्यक बताया है।
देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए डॉ राजीव कुमार ने टाइफैक से प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज () में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल किये जाने का आह्वान भी किया है। उन्होंने आग्रह किया कि भविष्य की अर्थव्यवस्था की अवधारणा में विकास और स्थिरता की जरूरतों और लक्ष्यों का समावेश होना चाहिए, जहाँ प्रौद्योगिकी विकास का हर पहलू संसाधनों के इष्टतम उपयोग से प्राप्त होता है।
डॉ कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आगामी 25 वर्षों के दौरान देश के विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर अपना एक समग्र दृष्टिकोण है।
स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डॉ कुमार ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों (challenges related to climate change) से लड़ने में अनुकूलन एवं रोकथाम जैसे प्रयासों को नाकाफी बताते हुए कार्बन कैप्चर, और कार्बन को मिट्टी में स्थापित करने जैसे टिकाऊ विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया है।
एग्रो-इकोलॉजी में रसायन मुक्त खेती की भूमिका
एग्रो-इकोलॉजी के बारे में बताते हुए उन्होंने इसमें रसायन मुक्त खेती (chemical free farming) की भूमिका भी उल्लेख किया।
टाइफैक के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा है कि 'बदलते भारत के लिए प्रौद्योगिकी और स्थिरता' पर केंद्रित मंथन सत्र भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 के लिए प्रौद्योगिकी दृष्टिपत्र तैयार करने की कवायद का हिस्सा है।
प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि टाइफैक द्वारा पहले विज़न-2020 और विज़न-2035 जैसे दृष्टिपत्र तैयार किए गए हैं। स्वाधीनता के 100वें वर्ष में भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर शीर्ष पंक्ति में खड़ा करने के लिए इसी प्रकार का दृष्टिपत्र टाइफैक द्वारा तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह मंथन सत्र दृष्टिपत्र तैयार करने के लिए आवश्यक विमर्श की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ मंथन सत्र बदलते भारत में स्थायी विकास के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों पर गहन चर्चा की गई। मंथन सत्र में स्थायी स्वास्थ्य, स्थायी पोषण, संसाधनों का टिकाऊ उपयोग और सस्ती एवं सुलभ शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर विशेषज्ञों द्वारा गहन चर्चा की गई।
मंथन सत्र के पहले दिन डॉ राजीव कुमार के अलावा टाइफैक के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव, टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर पंजाब सिंह, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के पूर्व निदेशक अमूल्य कुमार पांडा और एकोर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार जैसे प्रबुद्ध विशेषज्ञ चर्चा में शामिल थे।
प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी सूचना, प्रौद्योगिकी विजनिंग, प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, प्रौद्योगिकी पायलटिंग और प्रदर्शन आदि में टाइफैक की भूमिका के बारे में प्रतिनिधियों को अवगत कराया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्ष 2047 के लिए प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करना हमारा दृष्टिकोण होना चाहिए।
प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि प्रौद्योगिकी और स्थिरता पर केंद्रित विमर्श प्रौद्योगिकी विज़न-2047 की रूपरेखा तैयार करने की हमारी अगली पहल की प्रस्तावना में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह मंथन स्थायी स्वास्थ्य, स्थायी पोषण, संसाधनों का स्थायी उपयोग, किफायती एवं सुलक्ष शिक्षा नीतियों को परिभाषित करने के लिए एक बहुत ही बोल्ड लाइन देगा, जिसमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रभावी कार्यबिंदु शामिल हैं।
टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त क्षमता रखता है, और हमें अपनी इस क्षमता को स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लगाना है।
मंथन सत्र में अपने विचार रखने वाले वक्ताओं में विभिन्न सरकारी संस्थानों और निजी संगठनों दोनों के विषय विशेषज्ञ शामिल थे।
(इंडिया साइंस वायर)