मशहूर गीतकार संतोष आनंद 21/02/2021 को इंडियन आइडल के शो (Famous lyricist Santosh Anand on Indian Idol show on 21/02/2021) पर आए थे। वह अपनी ज़िंदगी से जुड़े कुछ भावुक पल दर्शकों के साथ साझा करते हुए भावुक हो गए। गायिका नेहा कक्कड़ (Singer Neha Kakkar) ने भेंट स्वरूप 5 लाख रुपए देने को कहा तो संतोष जी ने कहा, “धन्यवाद बेटी! पर मैं बहुत स्वाभिमानी हूँ किसी से पैसा नहीं लेता भले ही पैसे की तंगी हो, फिर नेहा ने कहा अपनी पोती समझ के रख लीजिए, तो संतोष जी ने भावुक होते हुए हामी भर दी। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर संतोष आनंद जी को लेकर घटिया बातें कही जाने लगीं। वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार भाटी की पूरे घटनाक्रम पर टिप्पणी आगे पढ़ें और शेयर भी करें
सोशल मीडिया एक अनियंत्रित मीडिया है। बिना संपादक का मीडिया। मुहावरे की भाषा में कहें तो बिना नाथ का सांड। कोई भी हल्के से हल्का आदमी बड़े से बड़े गंभीर विषय पर घटिया से घटिया टिप्पणी करके निकल लेता है। कोई उसे रोकने टोकने वाला नहीं होता। और कई बार इन टिप्पणियों में बहुत ही स्तरहीन, असभ्य और घटिया भाषा का प्रयोग किया जाता है।
Social media is uncontrolled media.
हाल का संदर्भ महान गीतकार श्री संतोष आनंद जी के विषय में सोशल मीडिया पर चल रहे घटियापन का है। जो लोग न तो उनकी प्रतिभा के विषय में जानते हैं, न उनके व्यक्तित्व और चरित्र के बारे में, यहां तक कि जिन्हें कविता, गीत, साहित्य तक की समझ नहीं है वे उनके बारे में अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं।
कौन हैं संतोष आनंद
संतोष आनंद इस देश के और हिंदी भाषा के एक महान गीतकार तो हैं ही साथ ही वे एक बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। उनका व्यक्तित्व बड़ा सरल, मिलनसार, भावुक और प्रेमपगा व्यक्तित्व है। मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत अंदर तक उनके अंतर्मन तक जानता हूं और उनके महान व्यक्तित्व के आगे नतमस्तक हूं।
1987-88 में जब मैंने गाजियाबाद में पत्रकारिता प्रारंभ की थी तब संतोष आनंद जी गणतंत्र दिवस के अवसर पर गाजियाबाद में होने वाले कवि सम्मेलन में प्रत्येक वर्ष आते थे। गाजियाबाद का कवि सम्मेलन बहुत शानदार होता था और इसमें देश के सभी चोटी के कवि और शायर शरीक होते थे। उस कवि सम्मेलन में संतोष आनंद जी का जलवा अलग ही होता था। जब वे मंच से ‘दिल दीवानों का डोला कश्मीर के लिए’, ‘इक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है’ और ‘जिंदगी की न टूटे लड़ी’ जैसे गीत सुनाते थे तो खचाखच भरा पंडाल मस्ती में झूम उठता था।
10 वर्ष तक तो मैंने उस कवि सम्मेलन में संतोष जी को सुना। इसके अलावा रेडियो, दूरदर्शन अथवा दिल्ली एनसीआर के अनेक कार्यक्रमों में उन्हें सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
संतोष जी हमारे पड़ोसी कस्बे सिकंदराबाद के मूल निवासी हैं। उनके एक चचेरे भाई मुकेश शर्मा एडवोकेट मेरे पड़ोस में ग्रेटर नोएडा में रहते हैं। मुकेश जी के घर पर 2010 या 11 में जब संतोष जी से मेरी पहली व्यक्तिगत मुलाकात हुई तो मैंने उस व्यक्ति की सरलता, भावुकता और महानता के दर्शन किए। वह हर व्यक्ति से ऐसे अपनेपन से मिलते हैं जैसे बरसों से उसे जानते हों।
2012 में जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और यश भारती पुरस्कार देने का सिलसिला शुरू हुआ तो मैंने आदरणीय गुरुजी श्री उदय प्रताप सिंह जी से संतोष आनंद जी को यश भारती दिलवाने की सिफारिश की। गुरुजी उनके नाम पर तुरंत सहमत हो गए और बोले कि इस बार उन्हें यश भारती दिलवा देते हैं।
समाजवादी पार्टी, नेताजी के परिवार और सरकार में आदरणीय गुरुजी का जो रुतबा और सम्मान है उससे तो बहुत लोग परिचित होंगे ही। इसलिए मैं आश्वस्त हो गया कि संतोष जी को इस बार यश भारती मिलेगा और मैंने उन्हें यह बात एक दिन बता भी थी। किंतु इस बार किसी वजह से उनका नाम सूची में सम्मिलित नहीं हो पाया।
इसके बाद जब भी मैं उनसे मिलता वे यही शिकायत करते कि यदि मुझे नहीं मिलना था तो चर्चा तो ना करते। अब बहुत लोगों को यह पता चल गया और वे मेरा मजाक उड़ाते हैं। मैंने कहा सर इस बार अवश्य मिलेगा। अगली बार आदरणीय गुरुजी के साथ मैं स्वयं मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से मिला। उन्हें संतोष आनंद जी के बारे में बताया और उनके कई गीत सुनाये। अखिलेश जी अति प्रसन्न हुए और उन्होंने उसी समय फाइनल सूची में श्री संतोष आनंद जी का नाम लिखवा दिया और उस वर्ष लोक भवन में आयोजित शानदार कार्यक्रम में संतोष आनंद जी को यश भारती से सम्मानित किया गया।
संतोष आनंद का व्यक्तित्व
संतोष आनंद जी के भावुक व्यक्तित्व के बारे में बहुत किस्से हैं। किंतु एक संस्मरण मेरे मन मस्तिष्क पर इस कदर छाया हुआ है कि मैं अक्सर उसकी चर्चा करता रहता हूं।
दिल्ली के हिंदी भवन में आईपीएस अधिकारियों की एक सोसाइटी ने संतोष आनंद जी के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया था। मैं और श्री मुकेश शर्मा संतोष आनंद जी के घर से ही उन्हें लेकर इस कार्यक्रम में गए थे। वहां एक कॉलेज की छात्रा ने संतोष जी का गीत ‘इक प्यार का नगमा है‘ स्टेज से गाया। पूरे गीत में संतोष आनंद जी फूट-फूटकर रोते रहे और रुमाल से आंसू पोंछते रहे। उनके बराबर में बैठा मैं अपलक उन्हें निहारता रहा और यही सोचता रहा कि इस व्यक्ति का मन कितना सरल और भावुक है। यह गीत हजारों बार उन्होंने अपने स्वर में विभिन्न मंचों से सुनाया होगा, लाखों बार रेडियो व अन्य माध्यमों पर सुना होगा, किंतु आज भी अपने ही गीत को सुनकर इतने भावुक हो रहे हैं कि फूट-फूट कर रो रहे हैं। ऐसा सरल व्यक्तित्व संतोष आनंद जी का है।
संतोष आनंद जी बहुत ही स्वाभिमानी और सशक्त व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सोशल मीडिया के महान विद्वानों कृपया उनके बारे में कोई अशोभनीय टिप्पणियां मत करिए। इससे संतोष आनंद जी का अपमान नहीं होता आपके ही दिवालियापन का प्रमाण मिलता है।
राजकुमार भाटी
Rajkumar Bhati, लेखक वरिष्ठ पत्रकार व समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता हैं।
