Fierce condemnation of arrests of farmer leaders in Haryana
रायपुर, 24 नवंबर 2020. छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने 26-27 नवम्बर को किसानों की प्रस्तावित दिल्ली रैली को विफल करने के लिए हरियाणा में कल रात से जारी किसान-मजदूर नेताओं की गिरफ्तारियों की तीखी निंदा की है और कहा है कि दमन के तिनकों से किसानों के सैलाब को टाला नहीं जा सकता।
उल्लेखनीय है कि कल रात से हरियाणा में मजदूर और किसान नेताओं की गिरफ्तारियां जारी हैं और अभी तक हरियाणा के 10 जिलों में 50 से ज्यादा नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार नेता सीटू, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा किसान मंच, खेती बचाओ संघर्ष कमेटी और किसान-खेत मजदूर सभा आदि संगठनों से जुड़े हैं। ये संगठन केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों और श्रम संहिता के खिलाफ साझा अभियान चला रहे हैं और 26-27 नवम्बर को संसद का घेराव करने के लिए किसानों को लामबंद कर रहे हैं।
आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने आरोप लगाया कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन से घबराकर अब केंद्र और हरियाणा सरकार मिलकर दमन चक्र चला रही है। यह रवैया भाजपा सरकार के मजदूर-किसान विरोधी चरित्र को ही उजागर करता है।
किसान नेताओं ने कहा कि ये कृषि विरोधी कानून केवल खेती-किसानी और किसानों के जीवन को ही संकट में नहीं डालते, बल्कि आम नागरिकों की खाद्यान्न सुरक्षा को छीनकर रोटी का संकट भी पैदा करने जा रहे हैं। आम जनता देख रही है कि स्वामीनाथन आयोग की सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की सिफारिश को पूरा करने के वादे पर केंद्र में आई संघी सरकार आज किसानों पर लाठियां बरसा रही है और उन्हें जेल में डाल रही है। उन्होंने कहा कि दमन जितना तेज होगा, संघर्ष करने का किसानों का इरादा भी उतना ही मजबूत होगा। हम लड़ेंगे और जीतेंगे और आत्महत्याका रास्ता नहीं चुनेंगे।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के नेताओं ने 26 नवंबर को मजदूरों की देशव्यापी हड़ताल को पूरा समर्थन देते हुए एकजुटता कार्यवाही करने का आह्वान किया है।
उन्होंने बताया कि 27 नवम्बर को कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रदर्शन होंगे, पुतले जलाए जाएंगे और किसान श्रृंखला का निर्माण किया जाएगा।