सपनों की तलाश में 'पीली मछली'

सपनों की तलाश में 'पीली मछली' सपनों की तलाश में 'पीली मछली'

फ़िल्म रिव्यू - 'पीली मछली'

Film Review -PEELI MACHLI

कलाकार, अपनी कहानी का हीरो, धुआँ और राख ये तीन सेगमेंट है पिछले हफ़्ते जी5 एप्प पर रिलीज़ हुई फ़िल्म पीली मछली के। फ़िल्म की कहानी में एक अकेला पिता है उसका छोटा सा बेटा है। बेटा स्कूल में पढ़ रहा है और पिता लिखता है, साथ ही अपनी फिल्म को प्रोड्यूस भी करता है। उसका एक ही सपना है कि किसी तरह उसकी फ़िल्म बड़े पर्दे पर आ जाए। जिसकी उसने कहानी लिखी है।

अब होता क्या है उसके साथ ये जानने के लिए तो आपको 30 मिनट की यह फ़िल्म देखनी पड़ेगी। जिसे आप फ्री में इस एप्प पर देख सकते हैं।

फ़िल्म बहुत ही कम समय में फ़िल्म उद्योग के उन स्याह पक्षों को बेनकाब करती है जिसके शिकार बड़े से बड़े लेखक भी हुए हैं।

भारतीय फिल्म उद्योग में ऐसे कई बार वाक़ये सुनने को मिलते हैं खबरों में जिन्हें देख, सुन और पढ़कर एक घृणा और नफरत का भाव भी इस उद्योग से मन मस्तिष्क में उपजने लगता है।

इस तरह की कहानियाँ पहले भी छोटी-बड़ी फिल्मों के माध्यम से कही जा चुकी हैं, तो कहानी के उद्देश्य से यह कोई फ़िल्म महान नहीं कही जा सकती। लेकिन बावजूद इसके फ़िल्म में कलाकारों का अभिनय जरूर आपको इन तीस मिनट में अपनी गिरफ्त में रख पाने में कामयाब हो जाता है।

फ़िल्म ज़ी5 के ग्लोबल कंटेंट में भी सलेक्ट हो चुकी है। फ़िल्म में कलाकारों का मेकअप कैसा है इस बात पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती कभी लेकिन शिवानी ने मेकअप फ़िल्म के अनुरूप रखा है। कई बार फिल्मों में मेकअप इतना भद्दा हो जाता है कि फ़िल्म देखने का मजा किरकिरा होने लगता है।

लवप्रीत सिंह का साउंड डिजाइन पर हाथ सधा हुआ नजर आया। फ़िल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर अपेक्षाकृत औसत है।

कलाकारों के अभिनय की बात करूं तो राज शर्मा जो इससे पहले तांडव, बधाई हो जैसी फिल्मों में छोटी-छोटी सी भूमिका निभाकर ही दर्शकों के जेहन में स्थान बना चुके थे। इस फ़िल्म में उन्हें अब तक के सिनेमाई करियर में मेरे ख्याल से बड़ा ब्रेक या कहें ज्यादा स्क्रीन मिली है। इस बात का उन्होंने फायदा भी उठाया है और अपने सहज अभिनय से वे दिखाते हैं कि उन्हें ज्यादा स्पेस फ़िल्म में दिया जा सकता है। इससे पहले वे अस्मिता थियेटर ग्रुप के साथ जुड़े रहे हैं और कई नाटक भी कर चुके हैं। कभी कभी विज्ञापनों में भी नजर आते रहते हैं।

उनके अलावा निखिल नागपाल, राजीव मिश्रा, तक्ष मेहंदीरत्ता, सिद्धार्थ शा सभी का अभिनय अच्छा रहा। फ़िल्म टैगोर इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल,मुंबई इंटरनेशनल कल्ट फ़िल्म फेस्टिवल,गोल्डन ज्यूरी फ़िल्म फेस्टिवल,ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल आदि फ़िल्म फेस्टिवल्स में स्थान बना चुकी है। इस तरह की फिल्में बनती रहनी चाहिए ताकि दर्शकों के साथ-साथ फ़िल्म उद्योग को भी सनद रहे कि वे लेखकों के साथ इस तरह खिलवाड़ न करें। इस फ़िल्म को कहीं किसी पुरुस्कार से पुरुस्कृत किया जाए या नहीं लेकिन इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाया जरूर जाना चाहिए।

तेजस पूनियां

फ़िल्म - पीली मछली

निर्देशक - शिवम होरा

कलाकार - राज शर्मा, निखिल नागपाल, राजीव मिश्रा, तक्ष मेहंदीरत्ता, सिद्धार्थ शा

ओटीटी प्लेटफॉर्म - ज़ी5

अपनी रेटिंग -3 स्टार

घर से बाहर होने के बाद Salman Khan को लेकर Abdu Rozik ने बोली ये बात | hastakshep

अगला आर्टिकल