Advertisment

सूर्यास्त के बाद खिलने वाला फूल : ब्रह्मकमल हिमालयी फूलों का सम्राट

जानिए एक विनाशकारी खरपतवार गाजर घास के बारे में

Advertisment

Flower that blooms after sunset: Brahma Kamal, the emperor of Himalayan flowers

Advertisment

कहते हैं कि किसी भी घर में ब्रह्म कमल का खिलना व दर्शन करना दोनों शुभ माने जाते हैं। यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा आकार लिए मादक सुगंध वाला पुष्प है। ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata in Hindi) को हिमालयी फूलों का सम्राट भी कहा गया है।

Advertisment

ब्रह्म कमल कब खिलता है?

Advertisment

यह कमल आधी रात के बाद खिलता है इसलिए इसे खिलते देखना स्वप्न समान ही है। यह साल में एक ही बार जुलाई-सितंबर के बीच खिलता है और एक ही रात रहता है।

Advertisment

ब्रह्म कमल का खिलना (brahma kamal blossom) देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है। मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा चुका होता है।

Advertisment

यह अकेला ऐसा कमल है जो खिलता रात में है और सुबह होते ही मुरझा जाता है। सुगंध आकार और रंग में यह अद्भुत है।

Advertisment

यह फूल अगस्त के समय में खिलता है और सितम्बर-अक्टूबर के समय में इसमें फल बनने लगते हैं। इसका जीवन 5-6 माह का होता है।

एक विश्वास है कि अगर ब्रह्म कमल को खिलते समय देख कर कोई कामना की जाए तो अतिशीघ्र पूरी हो जाती है।

ब्रह्म कमल को शुभ क्यों माना जाता है?

ब्रह्मकमल के पौधे (Brahmakamal Plants) में एक साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि सिर्फ रात्रि में ही खिलता है। दुर्लभता के इस गुण के कारण से ब्रह्म कमल को शुभ माना जाता है।

ब्रह्मकमल के फायदे | ब्रह्मकमल के औषधीय गुण (Benefits of Brahmakamal | Medicinal properties of Brahmakamal)

ब्रह्म कमल औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है। इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।

इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। साथ ही पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है।

ब्रह्म कमल की विशेषता

इस फूल की विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है। ब्रह्म कमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है। इस पुष्प को देवताओं का प्रिय पुष्प माना गया है और ब्रह्म कमल में जादुई प्रभाव भी होता है। इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती। हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प ब्रह्म कमल देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है।

इसकी सुगंध प्रिय होती है और इसकी पंखुडियों से टपका जल अमृत समान होता है। भाग्यशाली व्यक्ति ही इसे खिलते हुए देखते हैं और यह उन्हें सुख-समृद्धि से भर देता है। ब्रह्म कमल का खिलना एक अनोखी घटना है।

भाग्योदय की सूचना देने वाला यह पुष्प पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। जिस तरह बर्फ से ढंका हिमालयी क्षेत्र देवताओं का निवास माना जाता है उसी तरह बर्फीले क्षेत्र में खिलने वाले इस फूल को भी देवपुष्प मान लिया गया है।

नंदा अष्टमी के दिन देवता पर चढ़े ये फूल प्रसाद रूप में बांटे जाते हैं। मानसून के मौसम में जब यह ऊंचाइयों पर खिलता है। कहा जाता है कि आम तौर पर फूल सूर्यास्त के बाद नहीं खिलते, पर ब्रह्म कमल एक ऐसा फूल है जिसे खिलने के लिए सूर्य के अस्त होने का इंतजार करना पड़ता है।

ब्रह्म कमल को तोड़ने के नियम (Rules for breaking Brahma Kamal)

ब्रह्म कमल के बारे में धार्मिक मान्यता - ब्रह्म कमल अर्थात ब्रह्मा का कमल, यह फूल माँ नन्दा का प्रिय पुष्प है, इसलिए इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं।

ब्रह्मकमल के अन्य नाम

ब्रह्मकमल को अलग-अगल जगहों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे उत्तराखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस नाम से इसे जाना जाता है।

Notes : Saussurea obvallata (ब्रह्म कमल) Plant : Saussurea obvallata is a species of flowering plant in the Asteraceae. It is native from India to southwest China. In the Himalayas, it is found at an altitude of around 4500 m. It is the state flower of Uttarakhand. (Wikipedia)

Advertisment
सदस्यता लें