कड़ाही से आग में कूदना

Guest writer
11 Jan 2023
कड़ाही से आग में कूदना

Justice Markandey Katju

जस्टिस मार्कंडेय काटजू

मैंने एक फेसबुक पोस्ट पर पूछा था कि भारत की बड़ी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, महंगाई आदि को हल करने के लिए राहुल गांधी के ठोस विचार क्या हैं, क्योंकि उनकी बयानबाजी में केवल प्यार फैलाने और नफरत का विरोध करने जैसे उपदेश शामिल हैं।

इस पर कई लोगों ने कहा कि यह सवाल तो सरकार से किया जाना चाहिए।

अब सरकार के पास इनका समाधान करने के बारे में कोई विचार नहीं है। लेकिन अगर राहुल गांधी को सत्ता में लाया जाता है तो यह कड़ाही से आग में कूदने जैसा होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें भी इस बारे में कोई विचार नहीं है कि इन समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए।

मुसलमानों की मुख्य समस्याएँ भी वही हैं जो हिन्दुओं और अन्य समुदायों की मुख्य समस्याएँ हैं, यानी भारी गरीबी, भुखमरी (ग्लोबल हंगर इंडेक्स द्वारा सर्वेक्षण किए गए 121 देशों में से भारत 101वें स्थान से खिसक कर 107वें स्थान पर आ गया है, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से भी पीछे है), भारी और बढ़ती बेरोज़गारी, आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतें, जनता के लिए उचित स्वास्थ्य देखभाल और अच्छी शिक्षा का लगभग पूर्ण अभाव, आदि।

लेकिन जो लोग इस सब के बारे में राहुल गांधी से सवाल पूछने का विरोध करते हैं, वे केवल भाजपा को सत्ता से बाहर करने में रुचि रखते हैं।

मैं बीजेपी का समर्थक नहीं हूं, लेकिन मैं राहुल गांधी का भी नहीं हूं, जो मुझे मूर्ख लगता है। बीजेपी को हटाकर कांग्रेस (जिसने यूपीए सरकार में लाखों करोड़ों रुपये का घोटाला किया था) को फिर से सत्ता में लाना कड़ाही से आग में कूदने जैसा होगा।

समय आ गया है कि भारतीय लोग सतही और भावनात्मक रूप से सोचना बंद करें और हमारी बड़ी समस्याओं के वास्तविक समाधान के बारे में सोचें।

लेखक सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं।

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