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जहाँ पूरे विश्व की औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं ख़ुद को कार्बन मुक्त करने की होड़ में लगी हुई हैं, उसी बीच विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जर्मनी, (The world's fourth largest economy, Germany,) ने एक लंबी छलांग मारते हुए, लगभग 9 बिलियन यूरो के नियोजित निवेश के साथ, अपनी राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीति की घोषणा कर दी है।
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यह जानकारी देते हुए पर्यावरणविद् व वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सीमा जावेद ने बताया कि बीती दस जून को की गयी यह महत्वपूर्ण घोषणा लगभग छह महीने चली मंत्रिमंडल-स्तरीय बैठकों और चर्चाओं का नतीजा है। इस घोषणा के साथ ही जर्मनी न सिर्फ़ वातावरण अनुकूल हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में विश्व का नम्बर एक देश बन कर उभरेगा; यह यूरोपीय देश इस अहम फ़ैसले के साथ एक बेहतरीन निर्यात बाज़ार और शानदार घरेलू वेल्यू चेन भी सुनिश्चित करना चाहता है। उनका मानना है कि कार्बन मुक्त होने की इस दिशा में बढ़ते हुए जर्मनी इस शताब्दी के पांचवें दशक तक सैकड़ों रोज़गार के अवसर भी बनाना चाहता है। साथ ही जर्मनी की सरकार इस बात से भी आश्वस्त है कि “भविष्य की इन तकनीकों की मदद से करोना महामारी के दूरगामी प्रभावों को भी बेअसर किया जा सकता है।”
Hydrogen as an alternative to carbon free industry | उद्योग को कार्बन मुक्त करने के लिए हाइड्रोजन एक विकल्प के रूप
निर्माण, विमानन, और शिपिंग उद्योग को कार्बन मुक्त करने के लिए जूझते हुए पूरा विश्व हाइड्रोजन को एक विकल्प के रूप में देख रहा है। लेकिन फ़िलहाल क्योंकि जीवाश्म ईधन पर निर्भरता 99 प्रतिशत तक है; हाइड्रोजन का एक कारगर विकल्प के रूप में आसानी से आना मुश्किल है।
विशेषज्ञों की मानें तो अर्थव्यवस्थाओं के लिए कार्बन से चुटकी बजा कर निजात पाना संभव नहीं। ख़ास तौर से इसलिए क्योंकि पर्यवरण अनुकूल हाइड्रोजन का ना सिर्फ़ सीमित उत्पादन है, उसके आयात की क्षमताएं भी अभी अनुकूल नहीं। ऐसे में अर्थव्यवस्थाओं को फ़िलहाल अपना ध्यान विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता पर देना चाहिए।
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डिकार्बनाइजेशन के लिए हाइड्रोजन के विकल्प के बारे में पर्यावरण संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशिका आरती खोसला कहती हैं कि हाइड्रोजन की प्रासंगिकता तब ही है जब वो पर्यावरण अनुकूल रूप में उपलब्ध हो और उसी रूप में प्रयोग की जाये। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह पूरा निवेश नियोजित किया गया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक डिकार्बनाइजेशन के लिए हाइड्रोजन के विकल्प के रूप में अपनाने के लिए जर्मनी की रणनीति के मुख्य बिन्दु हैं :
जर्मनी में वर्ष 2040 तक 10 गिगा वाट की घरेलू एलेक्ट्रोल्य्सिस क्षमता बनाना और वर्ष 2030 तक, अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमताओं के साथ, कम से कम इस लक्ष्य की आधी (5 गिगा वाट) क्षमता का निर्माण करना।
-- जर्मनी पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन का प्रयोग फ़िलहाल जल मार्ग परिवहन, विमानन, माल परिवहन, और स्टील और रसायन उत्पादन से शुरू करना चाहता है। स्वाभाविक तौर पर इन क्षेत्रों को सरकार द्वारा घोषित निवेशों का सबसे पहले फायदा मिलेगा।
-- इस हाइड्रोजन की अधिकांश मांग को पूरा करने के लिए आयात का सहारा लेना होगा। उत्तरी एवं बाल्टिक सागर के आसपास और दक्षिणी यूरोप में यूरोपीय संघ के देशों का संभावित प्रदायक के रूप में चिन्हित किया गया है। लेकिन पिछले हफ़्ते घोषित किये गए रिकवरी पैकिज में से दो बिलियन यूरो की मदद से विकासशील देशों के साथ भी भागीदारी संभावित है।
-- जब तक पूर्ण रूप से पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन पर निर्भरता नहीं हो जाती, तब तक जर्मनी जीवाश्म गैसों से सृजित ब्लू हाइड्रोजन का प्रयोग स्वीकार करेगा। ब्लू हाइड्रोजन अगर जलवायु के लिए बुरी नहीं तो अच्छी भी नहीं। इसके उपयोग में तमाम तकनीकी जोखिम होते हैं, जिनमें मीथेन रिसाव सबसे महत्वपूर्ण है।
-- हाइड्रोजन एक दुर्लभ संसाधन है और इसके उपयोग को सिर्फ़ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों तक सीमित करना पड़ेगा। मतलब वो क्षेत्र जिनका फ़िलहाल कार्बन मुक्त होना सुगम नहीं।
जर्मनी की स्थिति | Where is Germany now?
डॉ. सीमा जावेद बताती हैं कि जर्मनी की प्राथमिक ऊर्जा खपत का लगभग एक चौथाई हिस्सा प्राकृतिक गैस (जिसे जीवाश्म गैस भी कहा जाता है) से पूरा होता है। जलवायु-तटस्थता तक पहुंचने के लिए इसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बदलना होगा, जिसका अर्थ है कि 2050 तक जीवाश्म गैस के प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से हटाना होगा।
तथा
-- पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन के क्षेत्र में निवेश करने से जर्मनी की प्राकृतिक गैस के लिए रूस पर निर्भरता कम होगी और साथ ही इस क्षेत्र में प्रस्तावित तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनलों के विकास जैसे राज्य-पोषित निवेशों की आवश्यकता कम होगी।
-- जर्मन भारी उद्योग पहले से ही अपनी लंबी अवधि की कार्बन मुक्तिकरण योजनाओं में स्वच्छ हाइड्रोजन पर बहुत अधिक दांव लगा रहा है और कई कंपनियों ने कम उत्सर्जन वाली हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट भी लॉन्च किए हैं। वे नई हाइड्रोजन रणनीति के माध्यम से बेहतर व्यापार मॉडल की स्थापना के लिए सरकारी पहल का स्वागत करते हैं।
यूरोपीय परिदृश्य | What about Europe?
ऐसी उम्मीद है कि यूरोपीय संघ आगामी 24 जून को अपने हाइड्रोजन रोडमैप का विस्तार घोषित करेगा। यूरोपीय संघ आयोग भी जल्द ही यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों, उद्योगों और अनुसंधान संगठनों के "स्वच्छ हाइड्रोजन गठबंधन" को शुरू करने की योजना बना रहा है।
गत 27 मई को प्रकाशित यूरोपीय संघ आयोग की संकट निवारण योजना का लक्ष्य, अगले यूरोपीय संघ के बजट से स्वच्छ हाइड्रोजन के लिए आवंटित 31।5 बिलियन यूरो की मदद से, "यूरोप में स्वच्छ हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को शुरू करना" है।
जर्मनी इस साल के उत्तरार्ध से यूरोपीय संघ की अध्यक्षता करेगा और इस भूमिका का उपयोग वो आवश्यक बाजारों के निर्माण और यूरोपीय संघ के भीतर हाइड्रोजन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए करना चाहता है।
बीती मार्च में नीदरलैंड ने बढ़िया सौर ऊर्जा क्षमता वाले देशों से पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन आयात करने और इसे उत्तर-पश्चिमी यूरोपीय उद्योगों में निर्यात करने के लिए अपनी "अद्वितीय प्रारंभिक स्थिति" की रणनीति को प्रकाशित किया।
स्पेन ने हाल ही में ग्रीन हाइड्रोजन का एक प्रमुख निर्यातक बनने के लिए सार्वजनिक परामर्श शुरू किया है। वहीँ पुर्तगाल ने भी हाल में ही एक राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा की जबकि नॉर्वे (यूरोपीय संघ में नहीं) जल्द ही एक घोषणा करने के वाला है।
ऊर्जा अर्थशास्त्री व जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च (DIW) से जुड़े प्रोफ़ेसर क्लाउडिया केम्फर्ट,(Prof. Claudia Kemfert, Energy economist, German Institute for Economic Research) के मुताबिक
“जैसे ही अर्थव्यवस्थाएं लॉकडाउन से उभरती हैं, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन और दक्षिण कोरिया सहित तमाम सरकारें पर्यावरण को साफ रखने और स्वच्छ विकल्पों के साथ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के तरीकों को देख रही हैं। आर्थिक सुधार की बहस के बीच अपनी हाइड्रोजन रणनीति की शुरूआत के साथ, जर्मनी दर्शाता है कि शून्य कार्बन प्रौद्योगिकियों में दीर्घकालिक निवेश संकट की परिस्थितियों के लिए प्रासंगिक प्रतिक्रिया देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई जर्मन हाइड्रोजन रणनीति यह भी मानती है कि कोयले की तरह, जीवाश्म गैस का कोई भविष्य नहीं है। जर्मनी अब आधिकारिक तौर पर हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में विश्व नेता बनने की वैश्विक दौड़ में है। लेकिन देशों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सतत विकास और लचीली अर्थव्यवस्था को सिर्फ़ पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन के साथ ही प्राप्त किया जा सकता है।”
फेलिक्स हेलेमन, शोधकर्ता, जलवायु प्रबुद्ध मंडल, E3G (Felix Heilmann, Researcher, climate think tank E3G) के मुताबिक
“जर्मनी की हाइड्रोजन रणनीति (Germany’s hydrogen strategy) से पता चलता है कि दुनिया के सबसे बड़े जीवाश्म गैस उपभोक्ताओं में से एक इसके बिना भविष्य की तैयारी कर रहा है। सरकार का यह मानना कि अक्षय स्रोतों से प्राप्त पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन ही धारणीय, जीवाश्म गैस के दीर्घकालिक जोखिम को काफ़ी हद तक कम करता है। साथ ही इस समय, जर्मनी में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की संभावनाओं के बारे में सरकार के भीतर हो रही लंबी चर्चाएँ, उन कठिनाइयों को चित्रित करती है जो हाइड्रोजन पर बहुत अधिक उम्मीदें लगाये हुए देशों को आने वाले समय में अनुभव करनी पड़ सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए, देशों को कार्बन मुक्त होने की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी ऊर्जा प्रणाली पर नज़र बनाए रखनी होगी और साथ ही विद्युतीकरण और दक्षता जैसे अन्य समाधानों की क्षमता को बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा।”