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Good news of Corona's bad times - Randhir Singh Suman is healthy now
कोरोना दुस्समय की एक अच्छी खबर यह है कि पिछले दिनों अस्वस्थ और लखनऊ अस्पताल में भर्ती लोकसंघर्ष पत्रिका के सम्पादक और हस्तक्षेप डॉट कॉम के सहसंपादक रणधीर सिंह सुमन (randhir singh suman) सकुशल व स्वस्थ होकर बाराबंकी में फिर सक्रिय हो गए हैं। वे वकील भी हैं।
आज शाम बाराबंकी से उनका फ़ोन आया तो बेहद खुशी हुई। बुरी खबरों के बीच यह अच्छी खबर मिली। लोकसंघर्ष का प्रकाशन भी नियमित है। लॉक डाउन के मध्य लघु पत्रिकाओं का प्रकाशन बहुत जरूरी है। सूचना के सारे स्रोत बन्द हो जाने की स्थिति में लोकतंत्र की बहाली की लड़ाई में इन लघु पत्रिकाओं की निश्चित भूमिका है।
सुमन जी से देश दुनिया की खूब चर्चा हुई।
आज सुबह से मन भारी है। मेरे बचपन के मित्र रणजीत की आज सुबह बसंतीपुर में निधन हो गया। वे दिल के मरीज थे और मधुमेह भी था उन्हें। कोरोना की वजह से उनका इलाज भी सही नहीं हो सका।
दिनेशपपुर जाने पर सुंदरपुर से आई एक छात्रा से पता चला कि ननिगोपाल दा भी नहीं रहे। उन्हें मई का प्रेरणा अंशु और गांव और किसान देकर आये थे। अब उनके निधन के 5-6 दिन बाद खबर मिली।
कोलकाता से मशहूर साहित्यकार कपिल कृष्ण ठाकुर और कोलकाता विश्वविद्यालय के रिटायर्ड डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. नीतीश विश्वास का फोन बंगाली शरणार्थियों के इतिहास पर हमारे काम के सिलसिले में कल आये थे।
वे बंगाल और कोलकाता के बहुत खराब हालत बता रहे थे।
आज शाम मदनापुर के युवा प्रधान हिमांशु कोरंगा मिलने आये थे। क्षेत्र के ग्राम प्रधान हमेशा हमारे साथ हैं और हम उनके आभारी हैं।
हिमांशु से मुलाकात के बाद घर लौटते ही दरवाजे पर सुमन जी का फोन मिला।
फिर रणजीत के घर गए तो वहां मेरे सहपाठी और गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी दिनेशपुर के चेयरमैन डॉ कुलवंत सिंह विर्क से मुलाकात हो गयी।
कोरोना को हम जरूर हराएंगे। हिम्मत बनाये रखें।
सुमनजी कह रहे थे कि कोरोना से कोई मर नहीं रहा है। गम्भीर बीमारियों का इलाज न होने से लोग मर रहे हैं।
चिकित्सा ठप हो गयी है।
हमारा भी यही मानना है।
पलाश विश्वास