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सरकार और मीडिया किसान आंदोलन को बदनाम करना बंद करे, भाजपा सरकार और पुलिस दे जवाब : किसान सभा

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hastakshep
27 Jan 2021
भारतीय किसानों के महान संघर्ष के ख़िलाफ़ हिन्दुत्ववादी साज़िश विफल! डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1948 में ही पहचान लिया था संघियों का षड़यंत्रकारी चरित्र

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Government and media should stop maligning Kisan movement: Kisan Sabha

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नई दिल्ली, 27 जनवरी 2021. अखिल भारतीय किसान सभा ने उन लाखों-लाख लोगों को बधाई दी है, जिन्होंने देश भर में ऐतिहासिक किसान-मजदूर परेड में भाग लिया।

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 27 जनवरी को अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ. अशोक ढवले तथा महासचिव हन्नान मौल्ला के संयुक्त हस्ताक्षरों से दिल्ली से बयान जारी किया गया है। बयान में मुखयतः निम्न बातें कही गई हैं -

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास राष्ट्रीय झंडा फहराने, राष्ट्र गान गाने और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद लाखों ट्रैक्टरों तथा अन्य वाहनों ने इस परेड में भाग लिया। 15 अगस्त 1947 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि किसान जनता के नेतृत्व में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों ने गणतंत्र दिवस मनाया। यह परेड उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी और पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में त्रिपुरा तक सभी राज्यों में आयोजित की गयी थी।

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 इसने कार्पोरेट लूट की राह हमवार करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा पारित किए गए किसान विरोधी तथा मजदूर विरोधी कानूनों को मात देने के जनता के संकल्प की पुनर्पुष्टि की और इस बारे में सरकार को स्पष्ट संदेश दिया। किसानों के आंदोलन के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन अब मजदूर वर्ग, महिलाओं, छात्रों,युवाओं तथा शोषित-पीड़ित तबकों की सक्रिय भागीदारी से जन आंदोलन बन चुका है।

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उन सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने इस परेड में हिस्सालिया और इसे जबर्दस्त ढ़ंग से सफल बनाया।

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 इस शानदार शांतिपूर्णविरोध प्रदर्शन ने भाजपा सरकार और शासक वर्गों को पूरी तरह हताश तथा निराश कर दिया है। पिछले दो महीने से सरकार तथा कार्पोरेट मीडिया निरंतर झूठ फैलाते रहे हैं और उकसावे की कोशिशें करते रहे हैं। कार्पोरेट मीडिया तथा संघ, जिन्होंने पिछले दो महीने से जारी शांतिपूर्ण एकजुट आंदोलन को बदनाम करने की तमाम कोशिशें की हैं, वे ही अब किसान आंदोलन की साख को खत्म करने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

कार्पोरेट मीडिया संघर्ष के पिछले दो महीनों में शहीद हुए करीब 150 किसानों की शहादत पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुआ था और सिर्फ भाजपा की ओर से कुत्सापूर्ण अभियान चला रहा था।

इस बात के अनेक उदाहरण रहे हैं, जब किसानों ने उकसावेबाज एजेंटों को पुलिस के हवाले किया है। इनमें कल 26 जनवरी को पुलिस के हवाले किए गए वे लोग भी शामिल हैं, जिनमें से अनेक ने यह दावा किया था कि खुद पुलिस ने ही उन्हें भेजा था। कल 26जनवरी को राजधानी में हुयी छिटपुट घटनाओं की संयुक्त किसान मोर्चा (एस के एम) तथा अखिल भारतीय किसान सभा ने निंदा की है। लेकिन उसके बाद भाजपा सरकार तथा कार्पोरेट मीडिया किसान आंदोलन को अराजक तथा हिंसक आंदोलन के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

जबकि सच्चाई यह है कि एस के एम नेतृत्व ने समय पर और प्रभावी ढ़ंग से उस छोटे से तबके का प्रतिरोध करने लिए हस्तक्षेप किया जो ट्रैक्टर्स केा तय रूट से हटाकर लाल किले की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहा था। उसने दोपहर 2 बजे ही सिंघू बॉर्डर पर ट्रैक्टर्स का संचालन रुकवा दिया था और शाम 6 बजे परेड संपन्न होने की घोषणा कर दी थी। इसने प्रभावी ढ़ंग से उस ग्रुप को अलग-थलग डाल दिया, जो सरकार के हाथ के हाथों खेल रहा था और उसकी साजिशों के मुताबिक काम कर रहा था।

 घटनाओं ने स्पष्ट तौर पर यह दिखाया है कि भाजपा सरकार इन विखंडनकारी तत्वों के साथ मिलकर काम कर रही थी। अखिल भारतीय किसान सभा को पूरा विश्वास है कि हमारे देश की जनता इस साजिश को उसी तरह ठुकरा देगी, जिसके वह लायक है।

 भाजपा सरकार और पुलिस को इन सवालों के जवाब देने होंगे।

जिस रूट प्लान पर एस के एम नेतृत्व के साथ सहमति बनी थी, पुलिस ने उस प्लान का पालन क्यों नहीं किया और क्यों एक छोटे से तबके को वैकल्पिक रूट की इजाजत दे दी और क्यों उसे लाल किले तक पंहुचने की इजाजत दी गयी?

प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के साथ दीप सिद्धू तथा उन दूसरे लोगों का क्या संबंध है, जो लाल किले पर झंडा फहरानेवाली टीम का नेतृत्व कर रहे थे? उन्हें अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है?

पलवल से शुरू हुयी परेड पर उसके 15 किलोमीटर शांतिपूर्ण ढ़ंग से पार लेने के बाद पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज क्यों किया, जबकि आपसी सहमति 45 किलोमीटर का रूट तय करने पर बनी थी?

 अखिल भारतीय किसान सभा ने भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री को आगाह किया है कि एकजुट किसान आंदोलन के खिलाफ कुत्सा षड्यंत्रों को देश की जनता मात देगी। हम इस षड्यंत्र को बेनकाब करने करने के लिए भारत के हर कोने और हर नागरिक तक पंहुचेंगे।

 भाजपा सरकार झूठ और कुत्सा प्रचार बंद करे, किसान विरोधी और मजदूर विरोधी कानून निरस्त करे और किसानों तथा मजदूरों द्वारा उठाए गए दूसरे मुद्दों को हल करने के लिए बाचचीत करे।

 अखिल भारतीय किसान सभा ने देश की जनता से अपील की है कि वह कार्पोरेट मीडिया का इस्तेमाल करते हुए शासक वर्गों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्र को बेनकाब करे।

अखिल भारतीय किसान सभा ने सरकार से भी अपील की है कि वह धमकियां देने और किसान नेताओं को गिरफ्तार करने से बाज आए।

अखिल भारतीय किसान सभा ने यह स्पष्ट किया है कि संघर्ष की ताकत बढ़ रही है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि मांगें पूरी नहीं हो जाती।





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