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59 चीनी कंपनियों के एप्स : मुर्दे की हजामत कर उसका वजन कम करने और लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश

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hastakshep
30 Jun 2020
संघ/ भाजपा से जुड़े संस्थानों को मिलती है चीन से आर्थिक सहायता : द टेलीग्राफ की खबर

सिर्फ एप्स हटाने के इस दिखावे से क्या होगा?

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केंद्र सरकार ने नागरिकों की निजता की सुरक्षा के बहाने 59 चीनी कंपनियों के एप्स हटाने का निर्णय (Government of India decision to remove apps from 59 Chinese companies) लिया है और गूगल को आदेश दिया है कि वे अपने स्टोर से इन ऐप्स को हटा दें। साथ ही सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को इन ऐप्स को एक्सिस नहीं देने को भी कहा है। इस कवायद का कारण संघ और जनता का दबाव हो सकता है क्योंकि इधर कुछ समय से चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार की बातें हो रही हैं जो लद्दाख में जारी तनाव के बीच बढ़ गई हैं।

चीनी कंपनियों द्वारा देश में किये गये अरबों डॉलर के निवेश के बीच सिर्फ ये एप्स हटाने के इस दिखावे से क्या होगा?

यदि 'ग्लोबल डाटा' के आंकड़ों को देखा जाये तो ज्ञात होता है कि पिछले चार साल के दौरान देश की नई कंपनियों (स्टार्टअप) में चीन की कंपनियों के निवेश में करीब 12 गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 में भारतीय स्टार्टअप में चीन की कंपनियों का निवेश (Chinese companies invest in Indian startups) 38.1 लाख डॉलर (लगभग 2,800 करोड़ रुपये) था, जो साल 2019 में बढ़कर 4.6 अरब डॉलर (लगभग 32 हजार करोड़ रुपये) हो गया। ऐसी स्थिति में सरकार का 59 चीनी कंपनियों के एप्स हटाने का निर्णय मुर्दे की हजामत कर उसका वजन कम करने की कोशिश मात्र है।

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आर्थिक मामलों पर आंकड़े और विश्लेषण उपलब्ध कराने वाली कंपनी 'ग्लोबल डाटा' के अनुसार देश के प्रमुख 24 में से 17 स्टार्टअप में चीन की कंपनियों के साथ ही कॉरपोरेट निवेश आया है। निवेश करने वाली चीन की कंपनियों में अलीबाबा और टेनसेंट प्रमुख हैं। ये स्टार्टअप एक अरब डॉलर या उससे अधिक बाजार मूल्य वाले हैं।

भारत की कई तकनीकी कंपनियों और स्टार्टअप्स में चीन ने खूब पैसा लगाया है।

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एक अनुमान के मुताबिक, एक अरब डालर से अधिक मूल्य वाली 30 में से 18 स्टार्टअप्स कंपनियों में चीन की प्रमुख हिस्सेदारी है। अलीबाबा और उसकी सहयोगी एंट फाइनेंसियल ने भारत के चार प्रमुख स्टार्टअप (पेटीएम, स्नैपडील, बिगबास्केट और जोमैटो) में 2.6 अरब (लगभग 18 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है। जबकि, टेनसेंट और अन्य चीनी कंपनियों ने पांच प्रमुख स्टार्टअप्स (ओला, स्वैगी, हाइक, ड्रीम11 और बायजूस) में 2.4 अरब डॉलर (लगभग 17 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है।

भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले चीन के अन्य प्रमुख निवेशकों में मेटुआन-डाइनपिंग, दिदी चुक्सिंग, फोसुन, शुनवेई कैपिटल, हिलहाउस कैपिटल ग्रुप और चीन-यूरेसिया एकोनॉमिक कोअपरेशन फंड शामिल हैं।

भारत की कई प्रमुख और लोकप्रिय कंपनियों में चीन की हिस्सेदारी है। इनमें बिग बास्केट, बायजू, डेलहीवेरी, ड्रीम11, फ्लिपकार्ट, हाइक, मेकमायट्रिप, ओला, ओयो, पेटीएम, पेटीएम माल, पालिसी बाजार, क्विकर, रिविगो, स्नैपडील, स्विगी, उड़ान, जोमैटो आदि प्रमुख हैं। चीन का भारत में कुल पूंजी निवेश (China's total capital investment in India) करीब 6.2 अरब डॉलर है।

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चीनी कंपनी बाइट डांस का एप टिक टाक, यूट्यूब को पीछे छोड़ते हुए लोकप्रियता के मामले में भारत के शीर्ष एप में शुमार है। शाओमी के मोबाइल फोन का लगभग एकाधिकार-सा होता जा रहा है। दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग पीछे छूट चुकी है। हुआवे के राउटर्स खूब इस्तेमाल किए जाते हैं। चीन की बड़ी कंपनियां जैसे अलीबाबा, बाइट डांस और टेनसेंट भारतीय कंपनियों में पैसा उड़ेल रही हैं।

'ग्लोबल डाटा' में मुख्य टेक्नोलॉजी विश्लेषक किरण राज के अनुसार पिछले साल तक चीन भू-राजनीतिक तनाव की परवाह किये बिना भारतीय टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स में खूब निवेश कर रहा था। देश के स्टार्टअप्स में पिछले चार सालों में चीनी निवेश में 12 गुना वृद्धि हुई और 2019 में यह बढ़कर 4.6 अरब डॉलर ( 35 हजार करोड़ रुपये के करीब) पहुंच गया। यह 2016 में 38.1 करोड़ डॉलर था।

'ग्लोबल डाटा' के अनुसार वृद्धि के लिहाज से अच्छी संभावना वाले ज्यादातर स्टार्टअप (यूनिकॉर्न) को चीनी कंपनियों और वहां की पूर्ण रूप से निवेश इकाइयों का समर्थन है। यूनिकॉर्न उन स्टार्टअप को कहा जाता है जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर या उससे ऊपर है। यह मामला गंभीर इसलिए है, क्योंकि ये कंपनियां भारत का भविष्य हैं।

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चीन हमसे 3,839 करोड़ का स्टील लेकर 12 हजार करोड़ के स्टील प्रोडक्ट हमें बेच देता है

भारत ने पिछले साल चीन को 3,839 करोड़ रुपए मूल्य का लोहा और स्टील निर्यात किया था। वहीं, चीन से 11,958 करोड़ रुपए मूल्य के स्टील के बने सामान आयात किए गए थे। यह बहुत छोटा-सा उदाहरण यह समझने के लिए पर्याप्त है कि भारत और चीन के बीच होने वाला व्यापार चीन की ओर क्यों झुका हुआ है।

चीन से शीर्ष-10 आयात Top-10 Imports from China
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विद्युत मशीनरी, उपकरण व टीवी, मशीन, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर; उसके पुर्जे, जैविक रसायन, प्लास्टिक और उससे बने सामान, उर्वरक, लोहे या स्टील के सामान, ऑप्टिकल, फोटोग्राफिक, सिनेमैटोग्राफी उपकरण, मेडिकल उपकरण। वाहन, उनके पुर्जे व सहायक उपकरण, विविध रासायनिक उत्पाद, लोहा और इस्पात।

चीन को शीर्ष-10 निर्यात Top-10 exports to China

जैविक रसायन, खनिज तेल, अयस्क, लावा और राख, मछली, कपास, प्लास्टिक और उसके लेख, मशीनरी, यांत्रिक उपकरण, विद्युत मशीनरी, नमक, सल्फर चना और सीमेंट, लोहा और इस्पात।

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दवा निर्यात में हम शीर्ष देशों में लेकिन कच्चा माल के लिए चीन पर निर्भर

दवा निर्यात में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है, लेकिन इसके लिए ज्यादातर कच्चा माल चीन से आता है। भारत की दवा बनाने वाली कंपनियां करीब 70 फीसदी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट्स (एपीआइ) चीन से आयात करती हैं।

साल 2018-19 के वित्तीय वर्ष में देश की फर्मों ने चीन से 240 करोड़ डॉलर मूल्य की दवाइयां और एपीआइ आयात किए। देश का दवा निर्यात 2018-19 में 11 प्रतिशत बढ़कर 1920 करोड़ डॉलर हो गया है। इसमें चीनी एपीआइ पर बड़ी निर्भरता है।

इस तरह केंद्र सरकार ने सुरक्षा के बहाने जो कल 59 चीनी कंपनियों के एप्स हटाने का निर्णय लिया है, वह मुर्दे की हजामत कर उसका वजन कम करने और लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश मात्र है क्योंकि देश के संचार तंत्र से लेकर नीति निर्धारण तक ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जिसमें चीनी कंपनियों की सीधी घुसपैठ नहीं है?

श्याम सिंह रावत

लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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